इंदौर/नईदिल्ली , 11 अगस्त ।मध्यप्रदेश के इंदौर में 01 जनवरी 1950 को जन्मे जाने माने शायर और मशहूर गीतकार राहत इंदौरी ने आज 70 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह गए।
देश और दुनिया में अपने करोड़ों प्रशंसकों के दिलों में राज करने वाले राहत इंदौरी बीते कुछ समय से अस्वस्थ चल रहें थे।
बताया गया हैं कि वे चार-पांच दिनों से यहां के निजी अस्पताल में उपचारत रहें। इस बीच एहतियातन उनकी कोरोना की जांच करायी गई। कल संक्रमित पाए जाने पर उन्हें यहां एक कोविड केयर निजी अस्पताल में भर्ती किया गया था। जहाँ आज उन्होंने उपचार के बाद दम तोड़ दिया।
राहत इंदौरी के निधन की पुष्टि यहां श्री अरविंदो इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस (सेम्स) ने की है।
सेम्स प्रवक्ता ने बताया कि श्री राहत इंदौरी को बेहद गंभीर अवस्था में उपचार के लिए परसों रात को भर्ती किया गया था। उन्हें आज उपचार के दौरान तीन बार हृदयघात हुआ। इस बीच अपरान्ह लगभग साढ़े चार बजे उन्होंने दम तोड़ दिया।
श्री राहत इंदौरी के निधन की खबर से इंदौर सहित देश और दुनिया में फैले उनके प्रशंसकों में शोक की लहर दौड़ गयी।
मुशायरा लूट लेते थे राहत इंदौरी : गुलज़ार
‘‘उर्दू शायरी में बुलंदियों को छूने वाले राहत इंदौरी का चला जाना बहुत बड़ा ही नहीं बल्कि पूरे का पूरा नुकसान है क्योंकि ज़नाब मुशायरे की जान थे और मुशायरा ही लूट लेते थे।’’
लोगों के ख़यालों और जज़्बातों को शब्दों में बांध कर शायरी के जरिये पेश करने वाले, उर्दू शायरी के अज़ीमोशान फ़नकार राहत इंदौरी के निधन पर उन्हें याद करते हुए यह पंक्तियां प्रख्यात गीतकार और रचनाकार गुलज़ार ने कहीं।
राहत इंदौरी का आज मंगलवार को कोविड-19 महामारी के कारण निधन हो गया। इंदौरी के इस दुनिया से चले जाने की खबर पर गुलज़ार ने कहा ‘‘यह केवल बड़ा नुकसान नहीं है बल्कि उससे कहीं ज्यादा है। मुझे नहीं पता कि कितना बड़ा….।’’
गुलज़ार ने कहा ‘‘कोई अभी अभी वह जगह खाली कर गया जो केवल मुशायरे की थी। उर्दू शायरी आज के मुशायरे में राहत इंदौरी के बगैर पूरी नहीं है। एक वही थे जो इतनी बेहतरीन शायरी कहते थे।’’
उन्होंने कहा ‘‘अक्सर मुशायरों में आपको बहुत कुछ सहना पड़ता है लेकिन राहत को सुनने के लिए इंतज़ार करना पड़ता था। वह लाजवाब थे। ऐसा नहीं है कि मुशायरों में रोमांटिक शेर मिलते हों, वह जो कहते थे वह सामाजिक, राजनीतिक हालात पर, भावनाओं पर होता था, समय के अनुसार होता था … जनता से जुड़ा हुआ।’’
गुलज़ार ने कहा ‘‘समय और पीढ़ियों के साथ उनका जुड़ाव कमाल का था। वह बेहद प्रासंगिक थे।’’
उन्होंने कहा ‘‘वह जगह को खाली करके चले गए। यह बहुत बड़ा ही नहीं, बल्कि पूरी तरह नुकसान है। वह एक खुश मिजाज, खुश दिल आदमी थे।’’
राहत इंदौरी से जुड़ी यादें टटोलते हुए गुलज़ार ने कहा ‘‘जब भी कोई अच्छा शेर सुन लिया, फोन कर लिया…दाद देना। यह याद करना मुश्किल है कि मैंने आखिरी बार उनसे कब बात की थी, ऐसा लगता है कि उस दिन ही तो बात की थी उनसे।’’
उन्होंने कहा ‘‘इंदौरी साहब मुशायरे की जान थे, वह मुशायरे की आत्मा थे। मैं तो कहूंगा कि वह मुशायरा ही लूट लेते थे। ’’