ब्रिटेन, फाइजर-बायोएनटेक के कोविड-19 टीके को मंजूरी देने वाला पहला देश बना,डॉ. रेड्डीज, आरडीआईएफ ने भारत में स्पूतनिक वी वैक्सीन के लिए नैदानिक परीक्षण शुरू किया attacknews.in

लंदन(ब्रिटेन)/हैदराबाद (भारत), दो दिसंबर । ब्रिटेन, दवा कंपनी फाइजर-बायोएनटेक के कोविड-19 टीके को मंजूरी देने वाला पहला देश बन गया है। इससे घातक कोरोना वायरस को काबू करने के लिए व्यापक पैमाने पर टीकाकरण की शुरुआत का मार्ग प्रशस्त हो गया है।

ब्रिटेन की दवा और स्वास्थ्य उत्पाद नियामक एजेंसी (एमएचआरए) ने बताया कि यह टीका उपयोग में लाने के लिए सुरक्षित है। दावा किया गया था कि यह टीका कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए 95 प्रतिशत तक असरदार रहा है।

प्रसिद्ध और प्रमुख अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर और जर्मन कंपनी बायोएनटेक ने साथ मिलकर इस टीके को विकसित किया है। कंपनी ने हाल में दावा किया था कि परीक्षण के दौरान उसका टीका सभी उम्र, नस्ल के लोगों पर कारगर रहा।

ब्रिटेन सरकार ने एमएचआरए को कंपनी द्वारा मुहैया कराए गए आंकड़ों पर गौर कर यह देखने को कहा था कि क्या यह गुणवत्ता, सुरक्षा और असर के मामले में सभी मानकों पर खरा उतरता है।

ब्रिटेन को 2021 के अंत तक दवा की चार करोड़ खुराक मिलने की संभावना है। इतनी खुराक से देश की एक तिहाई आबादी का टीकाकरण हो सकता है।

ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैंकॉक ने पिछले महीने कहा था कि नियामक से मंजूरी मिल जाने पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) टीकाकरण करने के लिए तैयार है। एनएचएस के पास टीकाकरण का व्यापक अनुभव है और उसके पास सारी व्यवस्थाएं भी हैं।

टीके का उत्पादन बायोएनटेक के जर्मनी स्थित केंद्रों के साथ ही फाइजर की बेल्जियम स्थित यूनिट में किया जाएगा।

डॉ. रेड्डीज, आरडीआईएफ ने भारत में स्पूतनिक वी वैक्सीन के लिए नैदानिक परीक्षण शुरू किया:

इधर भारत के हैदराबाद, से 01 दिसंबर से खबर है कि, स्वास्थ्य क्षेत्र के अग्रणी संस्थान डा़ रेड्डीज लैबोरेटरीज लिमिटेड और रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (आरडीआईएफ) ने मंगलवार को घोषणा की कि केन्द्र सरकार की केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला, कसौली से आवश्यक मंजूरी प्राप्त करने के बाद भारत में स्पूतनिक वी वैक्सीन के अनुकूल दौर दूसरे और तीसरे चरण का नैदानिक परीक्षण शुरू कर दिया है।

कंपनी की ओर से मंगलवार को जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह एक बहुस्तरीय और यादृच्छिक नियंत्रित अध्ययन होगा, जिसमें सुरक्षा और प्रतिरक्षण अध्ययन शामिल तथा अन्य कारकों के संबंध में आंकड़े जुटाए जाएंगे।

इस नैदानिक परीक्षण में जेएसएस मेडिकल रिसर्च अनुसंधान भागीदार के रूप में शामिल हो रहा है। इसके अलावा डा़ रेड्डीज लेबोरेट्रीज ने सलाहकार समर्थन के लिए जैव प्रौद्योगिकी शोध सहायता परिषद(बिराक), जैव प्रौद्योगिकी विभाग के साथ भी गठजोड़ किया है और वह वह वैक्सीन के लिए संस्थान के चिकित्सकीय परीक्षण केन्द्रों का इस्तेमाल करेगा।

हाल ही में आरडीआईएफ ने चिकित्सकीय परीक्षण आंकडों के दूसरे अंतरिम विश्लेषण की घोषणा की है जिसमें कहा गया है वैक्सीन के पहले डोज के 28 दिनों बाद इसकी प्रभाविता क्षमता 91.4 प्रतिशत देखी गई है और पहले डोज के 42 दिन बाद यह क्षमता 95 प्रतिशत पाई गई है।

इस समय स्पूतनिक वी चिकित्सकीय परीक्षणों के तीसरे चरण में 40,000 स्वयंसेवक हिस्सा ले रहे हैं, जिनमें से 22,000 से अधिक को वैक्सीन का पहला डोज दिया जा चुका है और 19,000 से अधिक को वैक्सीन की टीके का पहला और दूसरा डोज दिया जा चुका है।

डॉ .रेड्डीज लैबोरेटरीज के सह-अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक जीवी प्रसाद ने कहा, “यह एक और महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि हम भारत में वैक्सीन शुरू करने की प्रक्रिया को तेज करने के लिए सरकारी निकायों के साथ साथ कई संस्थाओं के साथ सहयोग जारी रख रहे हैं। हम आयात और स्वदेशी उत्पादन माडल को मिलाकर वैक्सीन को भारत में उपलब्ध कराने की दिशा में काम कर रहे हैं।

गौरतलब है कि सितंबर 2020 में, डॉ रेड्डीज और आरडीआईएफ ने स्पूतनिक वी वैक्सीन के नैदानिक परीक्षण और भारत में पहली 100 मिलियन डोज के वितरण के अधिकारों के लिए साझेदारी की थी।