नयी दिल्ली, सात दिसंबर ।कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के दायरे में आने वाले कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए न्यूनतम पेंशन 7,500 रुपये मासिक किये जाने समेत अन्य मांगों को लेकर पेंशनभोगियों ने शनिवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में रैली की और रास्ता रोको अभियान चलाया।
देश के करीब 27 राज्यों से आये पीड़ित पेंशनभोगियों ने यह भी कहा है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गयी तो आने वाले समय में आंदोलन तेज करेंगे। संगठन का कहना है कि तीस-तीस साल काम करने और ईपीएस आधारित पेंशन मद में निरंतर योगदान करने के बाद भी कर्मचारियों को मासिक पेंशन के रूप में अधिकतम 2,500 रुपये ही मिल रहे हैं। इससे कर्मचारियों और उनके परिजनों का गुजर-बसर करना कठिन है।
ईपीएस 95 राष्ट्रीय संघर्ष समिति (एनएसी) के अध्यक्ष कमांडर अशोक राउत (सेवानिवृत्त) ने एक बयान में कहा कि पेंशनभोगी महंगाई भत्ते के साथ मूल पेंशन 7500 रुपये मासिक करने, पेंशनभोगियों के पति या पत्नी को मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाएं तथा ईपीएस 95 के दायरे में नहीं आने वाले सेवानिवृत्त कर्मचारियों को भी 5,000 रुपये मासिक पेंशन देने की मांग कर रहे हैं।
बयान में कहा गया है कि प्रदर्शनकारियों ने रामलीला मैदान से प्रधानमंत्री आवास तक विरोध मार्च निकाला कि उन्हें रास्ते में ही रोक दिया गया।
समिति के महासचिव वीरेंद्र सिंह ने उम्मीद जतायी कि सरकार पेंशनभोगियों की आवाज़ सुनेगी और माँगों को पूरा किया जाएगा।उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं हुआ तो आगामी 25 जनवरी से पूरे देश में जन-आंदोलन चलाया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि ईपीएस (कर्मचारी पेंशन योजना), 95 के तहत आने वाले कर्मचारियों के मूल वेतन का 12 प्रतिशत हिस्सा भविष्य निधि में जाता है। वहीं नियोक्ता के 12 प्रतिशत हिस्से में से 8.33 प्रतिशत कर्मचारी पेंशन योजना में जाता है। इसके अलावा पेंशन कोष में सरकार भी 1.16 प्रतिशत का योगदान करती है।
राउत ने कहा है कि कर्मचारियों का पेंशन बढ़ाने से सरकार पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा और उन्होंने इस बारे में श्रम मंत्री को अपनी पूरी रिपोर्ट सौंपी है।
संगठन का कहना है कि तीस-तीस साल काम करने और ईपीएस आधारित पेंशन मद में निरंतर योगदान करने के बाद भी कर्मचारियों को मासिक पेंशन के रूप में अधिकतम 2,500 रुपये ही मिल रहे हैं। इससे कर्मचारियों और उनके परिजनों का गुजर-बसर करना कठिन है।
श्री राउत (सेवानिवृत्त) ने एक बयान में कहा कि पेंशनभोगी महंगाई भत्ते के साथ मूल पेंशन 7500 रुपये मासिक करने, पेंशनभोगियों के पति या पत्नी को मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाएं तथा ईपीएस 95 के दायरे में नहीं आने वाले सेवानिवृत्त कर्मचारियों को भी 5,000 रुपये मासिक पेंशन देने की मांग कर रहे हैं।
बयान में कहा गया है कि प्रदर्शनकारियों ने रामलीला मैदान से प्रधानमंत्री आवास तक विरोध मार्च निकाला कि उन्हें रास्ते में ही रोक दिया गया।
समिति के महासचिव वीरेंद्र सिंह ने उम्मीद जतायी कि सरकार पेंशनभोगियों की आवाज़ सुनेगी और माँगों को पूरा किया जाएगा।उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं हुआ तो आगामी 25 जनवरी से पूरे देश में जन-आंदोलन चलाया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि ईपीएस (कर्मचारी पेंशन योजना), 95 के तहत आने वाले कर्मचारियों के मूल वेतन का 12 प्रतिशत हिस्सा भविष्य निधि में जाता है। वहीं नियोक्ता के 12 प्रतिशत हिस्से में से 8.33 प्रतिशत कर्मचारी पेंशन योजना में जाता है। इसके अलावा पेंशन कोष में सरकार भी 1.16 प्रतिशत का योगदान करती है।
राउत ने कहा है कि कर्मचारियों का पेंशन बढ़ाने से सरकार पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा और उन्होंने इस बारे में श्रम मंत्री को अपनी पूरी रिपोर्ट सौंपी है।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के पेंशनधारकों ने न्यूनतम पेंशन साढ़े सात हजार रुपए किए जाने समेत कोश्यारी समिति की सिफारिशों को लागू करने की मांग करते हुए चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों को अविलंब नहीं माना गया तो वह 25 जनवरी के बाद देशव्यापी आंदोलन करेंगे।
‘ईपीएस 95 नेशनल एजिटेशन कमेटी’ के नेतृत्व में पेंशनधारकों की विशाल रैली को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय महासचिव वीरेंद्र सिंह ने कहा कि पेंशनधारक लंबे समय से मांग करते चले आ रहे हैं किंतु सरकार की तरफ से कोई ध्यान नहीं दिया गया है।
उन्होंने कहा कि सरकार न्यूनतम पेंशन साढ़े सात हजार करने और कोश्यारी समिति की अन्य मांगों पर अविलंब विचार नहीं करती है तो उन्हें देशव्यापी आंदोलन करने पर मजबूर होना पड़ेगा।
श्री सिंह ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने चार अक्टूबर आदेश दिया है जिसके अनुसार वास्तविक वेतन पर उच्च पेंशन के लाभ से भी पेंशनधारियों को वंचित रखा जा रहा है। उन्होंने सरकार से पेंशनधारियों के अधिकारों की रक्षा का आग्रह किया ।
रैली मे शामिल होने आए बड़ी संख्या में बुजुर्ग पेंशनभागियाें ने प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर शांतिपूर्ण मार्च निकालने की कोशिश की किंतु उन्हें रास्ते में ही रोक दिया गया। पेंशनधारक“बस, बहुत हो चुका, नहीं सहेंगे नाइंसाफी, लेकर रहेंगे हम इंसाफ” आदि नारे लगा रहे थे ।
श्री सिंह ने कहा, “अगर 25 जनवरी तक हमारी माँगें नहीं मानी गईं तो देशव्यापी आंदोलन किया जायेगा। ये हमारी सरकार से आर-पार की लड़ाई होगी। बहरहाल, हमें उम्मीद है कि सरकार हमारी आवाज़ सुनेगी और माँगों को पूरा करेगी।”
प्रदर्शनकारियों ने अपनी मांगों को लेकर कल शाम प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह से भी मुलाक़ात की थी और ज्ञापन सौंपकर ईपीएफओ की शिकायत की थी।
उल्लेखनीय है कि कोश्यारी कमेटी ने 2013 में ही तत्कालीन सरकार को अपनी सिफारिशें सौंपी थी। इनमें सेवानिवृत्त कर्मचारियों को न्यूनतम पेंशन की गारंटी और महंगाई भत्ता देने का प्रावधान किया गया है। रिपोर्ट में किसी कर्मचारी की असमय मृत्यु होने पर उसके पति या पत्नी को सहायता राशि देना भी शामिल है।।