नईदिल्ली 3 सितम्बर ।। केंद्र सरकार ने आधिकारिक रूप से कहा हैं कि संसद का मानसून सत्र जो 14 सितम्बर 2020 से शुरू होकर 1 अक्टूबर 2020 तक चलेगा उसके सम्बन्ध में मीडिया और सोशल मीडिया में भ्रामक प्रचार कुछ विपक्ष के नेताओं द्वारा किया जा रहा है, जबकि वस्तु स्थिति यह है कि कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी के करण असाधारण परिस्थितियों में आयोजित होने वाले संसद के इस सत्र में तीन विषयों को लेकर विवाद किया जा रहा है।
इस विवाद में पहला प्रश्नकाल का नहीं होना, दूसरा प्राईवेट मेम्बर बिजनेस को आगे बढ़ाना और तीसरा शनिवार और रविवार को सत्र की बैठक का होना।
इन विषयों के सम्बन्ध में लोकसभा में सदन के उपनेता और रक्षा मंत्री, संसदीय कार्यमंत्री और संसदीय कार्य राज्यमंत्री द्वारा सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से दूरभाष पर चर्चा की गयी। केवल टीएमसी के नेता डेरेक ओब्रायन ने ही प्रश्नकाल होना चाहिए यह बात कही। अन्य किसी भी लोकसभा व राज्यसभा में विभिन्न दलों के नेताओं ने आपत्ति व्यक्त नहीं कि और यह कहा कि विषम परिस्थितियों में आयोजित इस सत्र में हम सरकार के साथ होंगे। नोटिफिकेशन जारी होने के बाद अब विपक्ष के कुछ नेताओं द्वारा यह कहाना कि सरकार हमारे बोलने के अधिकार को छीन रही है तथा प्रश्नकाल और शून्यकाल नहीं होने दे रही है यह तथ्य से परे है। प्रश्नकाल नहीं होगा ऐसा नि ार्य किया गया है किन्तु अतारांकित प्रश्न के लिए लोकसभा अध्यक्ष व राज्यसभा के सभापति द्वारा आपसी मंत्रणा की जा रही है तथा उसी के अनुसार शेड्यूल जारी कर दिया जायेगा। जहॉं तक शून्यकाल का प्रश्न है तो सरकार ने ऐसा कभी नहीं कहा कि शून्यकाल नहीं होगा। सरकार ने दोनों पीठासीन अधिकारियों से मंत्रणा कर इतना ही संदेश पहुॅंचाया था कि इन परिस्थितियों में शून्य काल आधा घ टे के लिए ही किया जाये। यदि पीठासीन अधिकारी शून्यकाल को 30 मिनट से अधिक समय के लिए चलाना चाहते हैं तो सरकार को कोई आपत्ति नहीं है। जहॉं तक चर्चा के अन्य महत्वपूर्ण विषयों का प्रश्न है सरकार हर विषय पर चर्चा के लिए तैयार है। जो विषय सरकारी बिजनेस के अलावा कार्यमंत्रणा समिति में निर्धारित किये जायेंगे उन सारे विषयों पर सरकार चर्चा करने को तैयार है।
देश कोविड-19 के कारण विषम और असाधारण परिस्थितियों से गुजर रहा है। इसलिए सरकार की ओर से सभी विपक्षी दलों से अनुरोध है कि मानसून सत्र के सुचारू संचालन के लिए सभी प्रमुख दलों के नेता, सभापति राज्यसभा व लोकसभा अध्यक्ष से विचार विमर्श करके, मानसून सत्र का जो सम्मन और शेड्यूल जारी हुआ है, उसके अनुरूप और उपरोक्त पैरा में उल्लिखित तथ्यों के अनुसार सत्र को सुचारू रूप से चलाने हेतु सहयोग करें, ऐसी अपील की जाती है।