नयी दिल्ली, पांच अगस्त। राज्यसभा ने सोमवार को अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराओं को खत्म कर जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख को दो केन्द्र शासित क्षेत्र बनाने संबंधी सरकार के दो संकल्पों को मंजूरी दे दी। गृह मंत्री अमित शाह ने इस अनुच्छेद के कारण राज्य में विकास नहीं होने और आतंकवाद पनपने का दावा करते हुए आश्वासन दिया कि जम्मू कश्मीर को केन्द्र शासित क्षेत्र बनाने का कदम स्थायी नहीं है तथा स्थिति समान्य होने पर राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा।
उच्च सदन में कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों के भारी हंगामे के बीच गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश किए गये दो संकल्पों एवं जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक को चर्चा के बाद मंजूरी दी गयी। साथ ही सदन ने जम्मू कश्मीर आरक्षण (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019 को भी मंजूरी दी। इनको पारित किये जाने के समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी सदन में मौजूद थे। प्रधानमंत्री मोदी ने शाह की पीठ थपथपाते हुए उन्हें बधाई दी और गृह मंत्री शाह ने हाथ जोड़कर उनका आभार जताया।
बाद में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गृह मंत्री शाह द्वारा सदन में दिये गए भाषण की सराहना करते हुए उसे ‘‘व्यापक और सारगर्भित‘‘ बताया।
सरकार के दोनों संकल्पों के एवं पुनर्गठन विधेयक के प्रावधानों के तहत जम्मू कश्मीर विधायिका वाला केन्द्र शासित क्षेत्र बनेगा जबकि लद्दाख बिना विधायिका वाला केन्द्र शासित क्षेत्र होगा। इन दोनों संकल्पों को साहसिक और जोखिमभरा माना जा रहा है।
दोनों संकल्पों और दोनों विधेयकों पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री शाह ने जम्मू कश्मीर में आतंकवाद सहित वहां की तमाम समस्याओं की जड़ करार दिया।
शाह ने जम्मू कश्मीर से राज्य का दर्जा लिये जाने पर नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद द्वारा जतायी गयी चिंता का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘जैसे ही स्थिति सामान्य होगी और उचित समय आयेगा, हम जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा दे देंगे।’’ उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर ‘‘देश का मुकुट मणि’’ है और बना रहेगा।
गृह मंत्री ने जम्मू कश्मीर में आतंकवाद और सभी प्रकार के सामाजिक अन्याय के लिये सिर्फ अनुच्छेद 370 को जिम्मेदार ठहराते हुये कहा कि इसके हटने पर राज्य में विकास, अन्याय और आतंकवादी हिंसा सहित सभी प्रकार की बाधायें दूर हो जायेंगी।
शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर में पिछले कुछ सालों में 41,849 स्थानीय लोग आतंकवाद के रक्तपात की भेंट चढ़े।
उन्होंने कहा कि इस प्रावधान से सिर्फ तीन ‘‘सियासतदान’’ परिवारों का भला हुआ। इतना ही नहीं राज्य में पर्यटन सहित अन्य क्षेत्र में कारोबार भी इन्हीं तीन परिवारों के इर्दगिर्द ही सीमित रहा। इसके कारण न तो युवाओं को रोजगार मिला, न ही उद्यमशील बनने के अवसर मिल सके। नतीजतन राज्य की जनता को मंहगाई का भी दंश झेलना पड़ रहा है। इन सभी समस्याओं के मुख्य कारण अनुच्छेद 370 और 35 ए हैं।
अनुच्छेद 370 से जम्मू कश्मीर की संस्कृति का संरक्षण होने की विपक्ष की दलील को खारिज करते हुये उन्होंने कहा, ‘‘संस्कृति की बात करने वालों को सोचना चाहिए कि क्या भारत में महाराष्ट्र या गुजरात की संस्कृति नहीं बच पायी।’’
शाह ने कहा, ‘‘हम 70 साल तक अनुच्छेद 370 के साथ जिये। हमें पांच साल दीजिए, हम जम्मू कश्मीर को देश का सबसे विकसित राज्य बना कर दिखायेंगे।’’ उन्होंने कहा कि राज्य की समस्या के स्थायी समाधान में समय जरूर लगेगा लेकिन हमारी नजर में इसका रास्ता एक ही है और वह है अनुच्छेद 370 से जम्मू कश्मीर को मुक्ति दिलाना।
कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने सरकार के इस कदम का कड़ा विरोध किया। नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने जहां इसे जम्मू कश्मीर के लोगों के साथ विश्वासघात करार दिया वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने सरकार को आगाह किया कि वह अनुच्छेद 370 को हटाकर उन ताकतों को हवा दे रहे हैं जिन्हें वह नियंत्रित नहीं कर पाएंगे।
तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने विधेयक का विरोध करते हुए आज के दिन को ‘काला सोमवार’ करार दिया और कहा कि यह विधेयक- संविधान, संघवाद, संसद और लोकतंत्र के लिए काला दिन है।
हालांकि बीजू जनता दल, अन्नाद्रमुक, बहुजन समाज पार्टी, वाईएसआर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने सरकार के इन कदमों का समर्थन किया। अनुच्छेद 370 समाप्त करने के संकल्प के विरोध में जनता दल यू और तृणमूल कांग्रेस ने सदन से वाक आउट किया। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने पुनर्गठन संबंधी विधेयक पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया।
उच्च सदन में इन संकल्पों को गृह मंत्री द्वारा पेश किये जाने के समय कुछ देर बाद भारी हंगामा देखने को मिला। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, सपा सहित कुछ विपक्षी दल के कई सदस्य विरोध जताते हुए आसन के समक्ष धरना देकर बैठ गये।
हंगामे के बीच पीडीपी के दो सदस्यों को उनके अप्रिय आचरण की वजह से मार्शलों की मदद से सदन से बाहर करने का आसन को आदेश देना पड़ा।
विरोध कर रहे पीडीपी के सदस्यों नजीर अहमद लवाय और मीर मोहम्मद फयाज ने अपनी अपनी बांह पर काली पट्टी बांध रखी थी। इन दोनों सदस्यों ने संकल्प की प्रतियां फाड़ीं और हवा में उछालीं। विरोध जाहिर करते हुए लवाय ने अपना कुर्ता फाड़ लिया। इस पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने गहरी नाराजगी जाहिर की।
हंगामे के दौरान ही लवाय तथा फयाज ने संविधान की प्रतियां फाड़ीं। अन्य विपक्षी सदस्यों ने फयाज तथा लवाय को रोकने का प्रयास किया।
इसके बाद सभापति एम वेंकैया नायडू ने पीडीपी के इन दोनों सदस्यों को मार्शलों के जरिये सदन से बाहर निकालने का आदेश दिया।
सभापति ने कहा ‘‘भारत का संविधान सर्वोच्च है। इसके अपमान की इजाजत किसी को भी नहीं दी जा सकती। इसे फाड़ने का अधिकार किसी को भी नहीं है। ’’
इससे पहले केंद्र सरकार ने सोमवार को राज्यसभा में एक ऐतिहासिक संकल्प पेश किया जिसमें जम्मू कश्मीर राज्य से संविधान का अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य का विभाजन —जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख के दो केंद्र शासित क्षेत्रों के रूप में करने का प्रस्ताव किया गया है । जम्मू कश्मीर केंद्र शासित क्षेत्र में अपनी विधायिका होगी जबकि लद्दाख बिना विधायी वाली केंद्रशासित क्षेत्र होगा।
गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में एक संकल्प पेश किया जिसमें कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 370 के सभी खंड जम्मू कश्मीर में लागू नहीं होंगे ।
शाह ने कहा कि विगत में 1950 और 1960 के दशकों में तत्कालीन कांग्रेस सरकारों ने इसी तरीके से अनुच्छेद 370 में संशोधन किया था। हमने भी यही तरीका अपनाया है।
गृह मंत्री ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद स्वयं भी जम्मू कश्मीर से आते हैं, उन्हें चर्चा में भाग लेकर राज्य के लोगों की समस्याओं को उजागर करना चाहिए।
शाह ने राज्यसभा में जम्मू एवं कश्मीर राज्य पुनर्गठन विधेयक 2019 पेश किया । गृह मंत्री अमित शाह ने लद्दाख के लिये केंद्र शासित प्रदेश के गठन की घोषणा की जहां चंडीगढ़ की तरह विधानसभा नहीं होगी।
शाह ने राज्यसभा में घोषणा की कि कश्मीर और जम्मू डिविजन विधानसभा के साथ एक अलग केंद्र शासित प्रदेश होगा जहां दिल्ली और पुडुचेरी की तरह विधानसभा होगी।
गृह मंत्री ने कहा, ‘‘ राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद अनुच्छेद 370 के सभी खंड लागू नहीं होंगे। ’’
राज्यसभा में इस दौरान कांग्रेस समेत अधिकतर विपक्षी दलों ने विधेयक का विरोध करते हुए हंगामा किया और आसन के समक्ष धरने पर बैठ गये। हंगामे के दौरान ही पीडीपी के दो सदस्यों को सभापति एम वेंकैया नायडू के आदेश पर मार्शलों ने सदन से बाहर किया ।
सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि वह जम्मू कश्मीर राज्य में संविधान के अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य का विभाजन दो केंद्र शासित प्रदेशों के रूप में करने संबंधी संकल्प का विरोध करते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी देश के संविधान का सम्मान करती है, उसकी रक्षा का संकल्प जाहिर करती है और संविधान की प्रतियां फाड़े जाने की कड़ी निंदा करती है।
संकल्प के विरोध में आसन के समक्ष आ कर हंगामा कर रहे पीडीपी के सदस्यों ने संकल्प की प्रतियां भी फाड़ीं और हवा में उछालीं। इनमें से एक सदस्य ने अपना कुर्ता भी फाड़ा जिस पर सभापति ने गहरी नाराजगी जाहिर की। पीडीपी सदस्यों ने अपनी बांहों पर काली पट्टी बांध रखी थी।
हालांकि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने को लेकर बसपा ने सरकार का समर्थन किया ।
इससे पहले सोमवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की एक घंटे लंबी बैठक चली। समझा जाता है कि इस बैठक में शीर्ष नेतृत्व ने जम्मू-कश्मीर से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की
बीजद के प्रशांत नंदा ने कहा कि भारत के बाकी राज्यों के लोग पूछते हैं कि जब देश जम्मू कश्मीर के लिए इतना करता है तो फिर वहां हमारी सेना के लोगों के साथ इतना खराब बर्ताव क्यों किया जाता है ?
उन्होंने सरकार के कदम का समर्थन करते हुए कहा कि इससे ‘‘हमारा सिर कटा नहीं, बल्कि गर्व से सिर ऊंचा उठ गया है।’’
माकपा सदस्य के के रागेश ने सरकार को आगाह किया कि उसके इस कदम से देश के एक राज्य में फलस्तीन जैसी स्थिति बन सकती है।
उन्होंने सरकार से सवाल किया कि जब वह यह दावा कर रही है कि यह कदम लोगों को विश्वास में लेकर किया गया है तो वहां धारा 144 क्यों लागू की गयी है?
भाजपा के सीएम रमेश ने जहां सरकार के इस कदम को ऐतिहासिक बताया वहीं आईएमयूएल के अब्दुल वहाब ने कहा कि कश्मीर में विभिन्न संस्कृतियां मिलकर सदियों से एकसाथ रह रही हैं।
आरपीआई (ए) के रामदास अठावले ने सरकार के इस कदम का समर्थन करते हुए कहा कि इससे देश और मजबूत होगा।
कांग्रेस के कपिल सिब्बल ने सरकार के इस कदम का विरोध करते हुए इसे ‘‘इतिहास पर धब्बा, संघीय ढांचे पर प्रहार और संघ की रूह पर धब्बा’’ करार दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने कश्मीर को जीता और आपने कश्मीर को गंवा दिया।’’
सिब्बल ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ भाजपा संविधान की बुनियाद को खत्म करने जा रही है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए इसे ऐतिहासिक कदम करार दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने यह निर्णय व्यापक विचार विमर्श के बाद किया है।
निर्मला ने कहा कि अनुच्छेद 370 को खत्म करने का रूख भाजपा का जनसंघ के समय से रहा है। उन्होंने कहा कि यह शुरू से हमारे चुनावी घोषणापत्र का अंग रहा है।
उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 के कारण जम्मू कश्मीर की महिलाओं, अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों के साथ भेदभाव हो रहा था और उन्हें वे सुविधाएं और अधिकार नहीं मिल पा रहे थे जो भारत के अन्य नागरिकों को मिलते हैं।
निर्मला ने कहा कि लद्दाख के लोग काफी समय से केन्द्र शासित क्षेत्र के दर्जे की मांग कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 के कारण जम्मू कश्मीर में निवेश नहीं हो पा रहा है।
केरल कांग्रेस के जोस मणि ने सरकार के इस कदम का विरोध करते हुए कहा कि यह काम लोगों को विश्वास में लिये बिना किया जा रहा है, वहीं कांग्रेस के विवेक तनखा ने सरकार से पूछा कि क्या उसके इस कदम से कश्मीर के पंडित वापस लौट पाएंगे।
केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि कश्मीर में आज भी शांति कायम है और राज्य के अधिकतर लोग केन्द्र के इस कदम के साथ है।
उन्होंने दावा किया कि अनुच्छेद 370 के कारण कश्मीर के लोगों के साथ अन्याय हो रहा था।
जावड़ेकर ने कहा कि वह मानव संसाधन विकास मंत्री रह चुके हैं और वह इस बात को अच्छी तरह जानते हैं कि जिस प्रकार देश के बाकी शिक्षकों को प्रशिक्षण मिल रहा है वह जम्मू कश्मीर के शिक्षकों को नहीं मिल पाता है।
उन्होंने कहा कि राज्य के छात्रों को केन्द्र की विभिन्न छात्रवृत्तियों का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है।