नयी दिल्ली, 23 सितंबर ।संसद ने बुधवार को तीन प्रमुख श्रम सुधार विधेयकों को मंजूरी दे दी, जिनके तहत कंपनियों को बंद करने की बाधाएं खत्म होंगी और अधिकतम 300 कर्मचारियों वाली कंपनियों को सरकार की इजाजत के बिना कर्मचारियों को हटाने की अनुमति होगी।
राज्यसभा ने बुधवार को उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता 2020, औद्योगिक संबंध संहिता 2020 और सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 को चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया।
इस दौरान आठ विपक्षी सांसदों के निलंबन के विरोध में कांग्रेस सहित विपक्ष के ज्यादातर सदस्यों ने सदन की कार्रवाई का बहिष्कार किया।
लोकसभा ने इन तीनों संहितों को मंगलवार को पारित किया था और अब इन्हें राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने तीनों श्रम सुधार विधेयकों पर एक साथ हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा, ‘‘श्रम सुधारों का मकसद बदले हुए कारोबारी माहौल के अनुकूल पारदर्शी प्रणाली तैयार करना है।’’
उन्होंने यह भी बताया कि 16 राज्यों ने पहले ही अधिकतम 300 कर्मचारियों वाली कंपनियों को सरकार की अनुमति के बिना फर्म को बंद करने और छंटनी करने की इजाजत दे दी है।
गंगवार ने कहा कि रोजगार सृजन के लिए यह उचित नहीं है कि इस सीमा को 100 कर्मचारियों तक बनाए रखा जाए, क्योंकि इससे नियोक्ता अधिक कर्मचारियों की भर्ती से कतराने लगते हैं और वे जानबूझकर अपने कर्मचारियों की संख्या को कम स्तर पर बनाए रखते हैं।
उन्होंने सदन को बताया कि इस सीमा को बढ़ाने से रोजगार बढ़ेगा और नियोक्ताओं को नौकरी देने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि ये विधेयक कर्मचारियों के हितों की रक्षा करेंगे और भविष्य निधि संगठन तथा कर्मचारी राज्य निगम के दायरे में विस्तार करके श्रमिकों को सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा प्रदान करेंगे।
सरकार ने 29 से अधिक श्रम कानूनों को चार संहिताओं में मिला दिया था और उनमें से एक संहिता (मजदूरी संहिता विधेयक, 2019) पहले ही पारित हो चुकी है।
चर्चा की शुरूआत करते हुए भाजपा के विवेक ठाकुर ने कहा कि स्थायी संसदीय समिति ने इन तीनों विधेयकों पर विस्तृत चर्चा की। बाद में श्रम मंत्रालय ने भी विभिन्न पक्षों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि एक बड़ा तबका इन विधेयकों के दायरे में आएगा। उद्योगों में श्रम की अहम भूमिका का जिक्र करते हुए उन्होंने इसे प्रगतिशील श्रम सुधार बताया।
ठाकुर ने कहा कि श्रमिक देश की आत्मा हैं और उनके योगदान के बिना उद्योग की कल्पना नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार श्रमिकों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए ये विधेयक लाए गए हैं। इसके प्रावधानों से कारोबार करने में आसानी होगी।
जद (यू) के आरसीपी सिंह ने तीनों विधेयकों का समर्थन करते हुए कहा कि यह ऐतिहासिक कदम है जिसमें 25 कानूनों को एक संहिता में समाहित किया गया है। उन्होंने कहा कि पहले सबकी अलग अलग परिभाषा, अलग प्राधिकार आदि होते थे लेकिन अब सबको समाहित किया जाएगा जिससे अच्छा प्रभाव पड़ेगा।
भाजपा के राकेश सिन्हा ने भी इन विधेयकों को ऐतिहासिक बताया और कहा कि इससे सामाजिक समावेशीकरण को बढ़ावा मिलेगा और लैंगिक भेदभाव समाप्त होगा।
सिन्हा ने कहा कि कुल श्रमिकों में महिलाएं की भी खासी संख्या है अब उन्हें भी समान अधिकार, समान अवसर, समान पारिश्रमिक मिलेगा जिससे महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा मिलेगा।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि आजादी के 73 साल बाद मजछूरों को अब न्याय मिल रहा है जिसकी वे प्रतीक्षा कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि इन विधेयकों के प्रावधानों के तहत श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी, समय से मजदूरी की गारंटी होगी। इन विधेयकों के तहत श्रमिकों को वेतन, सामाजिक व स्वास्थ्य सुरक्षा मिल सकेगी। इसके अलावा महिलाओं और पुरुषों के बीच के भेद खत्म होगा और उन्हें समान वेतन मिल सकेगा।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले ने इन विधेयकों को क्रांतिकारी बताते हुए कहा कि इनसे श्रमिकों को न्याय मिल सकेगा जो अब तक उन्हें नहीं मिल सका है।
आठवले ने सुझाव दिया कि नियमित प्रकृति वाले काम में ठेके पर कर्मचारी नहीं रखे जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि न्यायालय ने भी इस संबंध में फैसला किया है। उन्होंने कहा कि ठेका पद्धति को समाप्त करने के लिए कानून लाना चाहिए।
चर्चा में बीजद के सुभाष चंद्र सिंह, अन्नाद्रमुक के एस आर बालासुब्रमण्यम, तेदपा के के रवींद्र कुमार आदि ने भी भाग लिया और श्रमिकों के कल्याण की जरूरत पर बल दिया।
● संसद द्वारा तीन ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण परिवर्तन लाने वाली श्रम संहिताओं को पारित किया गया
● इन श्रम संहिताओं में श्रम कल्याण उपबंधों से संबंधित कई ‘महत्वपूर्ण परिवर्तन‘ किए गए
● नई श्रम संहिताओं में 50 करोड़ से अधिक संगठित, असंगठित तथा स्व-नियोजित कामगारों के लिए न्यूनतम मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा आदि का प्रावधान किया गया
● ईएसआईसी और ईपीएफओ के सामाजिक सुरक्षा आवरण को और व्यापक बनाकर सभी कामगारों और स्व-नियोजित व्यक्तियों के लिए उपलब्ध कराया गया
● गिग तथा प्लेटफार्म कामगारों के साथ-साथ 40 करोड़ असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए “सामाजिक सुरक्षा निधि” की स्थापना से सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा कवरेज को और व्यापक बनाने में सहायता मिलेगी
● महिला कामगारों को पुरुष कामगारों की तुलना में वेतन की समानता
● नियतकालिक कर्मचारी की सेवा शर्तें, उपदान, अवकाश और सामाजिक सुरक्षा नियमित कर्मचारी की तरह ही होंगी
● दुर्घटना की स्थिति में जुर्माने का 50 प्रतिशत भाग कामगार को अन्य बकायों के साथ दिया जाएगा
● अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा संबंधी माहौल उपलब्ध कराने के लिए “राष्ट्रीय व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य बोर्ड” की स्थापना की जाएगी
● श्रमजीवी पत्रकारों की परिभाषा में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को शामिल किया जाएगा
● गिग तथा प्लेटफार्म कामगारों के साथ-साथ बागान कामगार भी ईएसआईसी के लाभ प्राप्त करेंगे
● पूर्व में ठेकेदारों द्वारा नियुक्त किए गए कामगारों के बजाय अब सभी प्रवासी कामगारों को शामिल किया जाएगा
● बेहतर लक्ष्य निर्धारण, स्किल मैपिंग और कामगारों द्वारा सरकारी योजनाओं के उपयोग में सहायता के लिए कानून के माध्यम से प्रवासी कामगारों पर डेटाबेस
● प्रवासी कामगारों को वर्ष में एक बार अपने गृह नगर की यात्रा के लिए नियोक्ता से यात्रा भत्ता प्राप्त होगा
● प्रवासी कामगारों की शिकायतों का समाधान करने के लिए हेल्प लाइन की शुरुआत
● इन संहिताओं से उत्पादकता में वृद्धि लाने तथा रोजगार के और अधिक अवसरों का सृजन करने के लिए सामंजस्य युक्त औद्योगिक संबंधों को बढ़ावा मिलेगा
● इन श्रम संहिताओं से सभी संहिताओं के लिए एक पंजीकरण, एक लाइसेंस और एक विवरणी के प्रावधान से एक पारदर्शी, जवाबदेह और सरल कार्यतंत्र की स्थापना होगी
● निरीक्षक को अब निरीक्षक-सह-सुविधा प्रदाता बनाया गया है तथा इंस्पेक्टर राज समाप्त करने के लिए यादृच्छिक (रैंडम) रूप से वेब आधारित निरीक्षण प्रणाली लागू करना
1.श्रम और रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), संतोष गंगवार ने कल लोक सभा में बहस का जवाब देते हुए कहा था कि देश में ऐतिहासिक श्रम सुधारों के लिए सदन में प्रस्तुत किए गए तीनों विधेयक देश के 50 करोड़ से अधिक संगठित और असंगठित कामगारों के लिए श्रम कल्याण सुधारों में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाने वाले (गेम चेन्जर) साबित होंगे। इससे गिग और प्लेटफॉर्म कामगारों के साथ-साथ स्व-नियोजन क्षेत्र के कामगारों की सामाजिक सुरक्षा के लिए द्वार भी खुलेंगे।
2. संसद में पारित 3 विधेयक हैं: (i) औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 (ii) व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य दशाएं संहिता, 2020 तथा (iii) सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 । ये विधेयक देश में अति आवश्यक श्रम कल्याण सुधार लाने की सरकार की चाहत का भाग हैं जो पिछले 73 वर्षों में नहीं किए गए हैं। पिछले 6 वर्षों में, सभी हितधारकों अर्थात ट्रेड यूनियनों, नियोजकों, राज्य सरकारों और श्रम क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ अनेक बहु-हितधारक परामर्श किए गए थे। इनमें 9 त्रिपक्षीय परामर्श, उप-समिति की चार बैठकें, 10 क्षेत्रीय सम्मेलन, 10 अंतर-मंत्रालयी परामर्श तथा नागरिकों के मत भी शामिल हैं।
3. श्री गंगवार ने कहा कि दूरदर्शी प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में इस सरकार ने 2014 से बाबा साहेब अम्बेडकर के सपनों को पूरा करने के लिए अनेक कदम उठाएं हैं तथा ‘श्रमेव जयते’ तथा ‘सत्यमेव जयते’ दोनों को समान महत्व दिया। सरकार कामगारों द्वारा सामना की जा रही समस्याओं से दु:खी है और इस कोविड-19 महामारी के दौरान सहित पिछले 6 वर्षों से मेरा मंत्रालय संगठित और असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए सामाजिक सुरक्षा और अन्य कल्याणकारी उपायों का प्रावधान करने के लिए अथक रूप से कार्य कर रहा है। उन्होंने आगे कहा कि हमारे यशस्वी प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार द्वारा अभूतपूर्व कदम उठाए गए तथा हमारी बहनों के लिए प्रसूति अवकाश को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह करने, प्रधान मंत्री प्रोत्साहन रोजगार योजना के अंतर्गत महिलाओं को खानों में कार्य करने की अनुमति देने जैसे बहुत से कल्याण उपाय प्रारम्भ किए। औपचारिक नियोजन से ईपीएफओ की सुवाह्यता (पोर्टेबिलिटी) में वृद्धि हुई है तथा हमारे साथी नागरिकों के लिए कल्याण योजनाओं तथा ईएसआईसी सुविधाओं का विस्तार होगा।
4. मंत्री ने लोक सभा के सदस्यों द्वारा उठाए गए मुद्दों का जवाब देते हुए, कहा कि विधेयकों में श्रमिक हित को सर्वोपरि मानते हुए देश के समग्र विकास को ध्यान में रखा गया है। उन्होंने कहा कि ये वे लोग हैं जो अधिक श्रम कानूनों के कारण प्रक्रियात्मक जटिलताओं से सबसे अधिक पीड़ित हुए हैं तथा इस वजह से विभिन्न कल्याणकारी और सुरक्षा प्रावधानों के कार्यान्वयन में बाधा उत्पन्न हुई।
उन्होंने आगे कहा कि 29 श्रम कानूनों को सरल, समझने में आसान तथा पारदर्शी 4 श्रम संहिताओं में सम्मिलित किया जा रहा है। 4 श्रम संहिताओं में से, मजदूरी संबंधी संहिता संसद में पहले ही पारित की जा चुकी है तथा इस देश का कानून बन चुकी है। सभी श्रम कानूनों (कुल 29) को 4 श्रम संहिताओं में आमेलित किया जा रहा है जो निम्नानुसार हैं:
A-संहिता का नाम, B-आमेलित कानूनों की संख्या और नाम
1-मजदूरी संहिता
4 कानून-
(i) मजदूरी संदाय अधिनियम, 1936
(ii) न्यूनतम मजदूरी अधिनियम,1948
(iii) बोनस संदाय अधिनियम, 1965
(iv) समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976
2-औद्योगिक संबंध संहिता
3 कानून –
(i) ट्रेड यूनियन अधिनियम, 1926
(ii)औद्योगिक नियोजन (स्थायी आदेश) अधिनियम, 1946
(iii)औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947
3-ओएसएच संहिता
13 कानून –
(i) कारखाना अधिनियम, 1948
(ii)बागान श्रमिक अधिनियम, 1951
(iii)खान अधिनियम, 1952
(iv)श्रमजीवी पत्रकार एवं अन्य समाचार-पत्र कर्मचारी (सेवा-शर्तें) एवं प्रकीर्ण उपबंध अधिनियम, 1955
(v) श्रमजीवी पत्रकार (वेतन की दरों का निर्धारण) अधिनियम, 1958
(vi) मोटर परिवहन कामगार अधिनियम, 1961
(vii)बीड़ी एवं सिगार कामगार (रोजगार की शर्तें) अधिनियम, 1966
(viii)ठेका श्रम (विनियमन एवं उत्सादन) अधिनियम, 1970
(ix)विक्रय संवर्धन कर्मचारी (सेवा-शर्तें) अधिनियम,1976
(x) अंतर-राज्यिक प्रवासी कामगार (रोजगार का विनियमन एवं सेवा-शर्तें) अधिनियम, 1979
(xi) सिने कामगार तथा सिनेमा थियेटर कामगार (रोजगार का विनियमन) अधिनियम, 1981
(xii) गोदी कामगार (सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कल्याण) अधिनियम, 1986
(xiii)भवन एवं अन्य सन्निर्माण कामगार (रोजगार का विनियमन एवं सेवा-शर्तें) अधिनियम, 1996
4-सामाजिक सुरक्षा संहिता
9 कानून –
(i) कर्मकार प्रतिकर अधिनियम, 1923
(ii)कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948
(iii)कर्मचारी भविष्य निधि एवं प्रकीर्ण उपबंध अधिनियम, 1952
(iv)रोजगार कार्यालय (रिक्तियों की अनिवार्य अधिसूचना) अधिनियम, 1959
(v) प्रसूति प्रसुविधा अधिनियम, 1961
(vi) उपदान संदाय अधिनियम, 1972
(vii)सिने कामगार कल्याण निधि अधिनियम, 1981
(viii) भवन एवं अन्य सन्निर्माण कामगार कल्याण उपकर अधिनियम, 1996
(ix)असंगठित कामगार सामाजिक सुरक्षा अधिनियम, 2008
कुल 29 कानून
· 2014 के बाद से 12 श्रम अधिनियम पहले से ही निरस्त हैं
5. नई श्रम संहिताओं से होने वाले लाभों पर विस्तारपूर्वक चर्चा हुई, श्री गंगवार ने सदन को सूचित किया कि देश का समस्त कार्यबल अब विभिन्न संहिताओं के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने का पात्र होगा। मंत्री जी ने लोक सभा द्वारा पारित की गई 3 संहिताओं की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख इस प्रकार किया:-
(क) सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020
ईएसआईसी की पहुंच का विस्तार करना: ईएसआईसी के अंतर्गत अधिकतम संभावित कामगारों को स्वास्थ्य सुरक्षा का अधिकार देने के प्रयास किए गए हैं:-
· ईएसआईसी की सुविधा अब सभी 740 जिलों में उपलब्ध कराई जाएगी। वर्तमान में, यह सुविधा केवल 566 जिलों में दी जा रही है।
· जोखिमकारी क्षेत्रों में कार्यरत प्रतिष्ठान अनिवार्य रूप से ईएसआईसी से संबद्ध किए जाएंगे, चाहे इनमें केवल एक ही कामगार हो।
· असंगठित क्षेत्र और गिग कामगारों को ईएसआईसी से संबद्ध करने के लिए योजना बनाने हेतु प्रावधान।
· बागान के मालिकों को बागानों में कार्यरत कामगारों को संबद्ध करने का विकल्प दिया जा रहा है।
· ईएसआईसी का सदस्य बनने का विकल्प 10 से कम कामगारों वाले प्रतिष्ठानों को भी दिया जा रहा है।
ईपीएफओ की पहुंच का विस्तार करना:
· ईपीएफओ की कवरेज 20 कामगारों वाले सभी प्रतिष्ठानों पर लागू होगी। वर्तमान में, यह केवल अनुसूची में शामिल प्रतिष्ठानों पर लागू थी।
· 20 से कम कामगारों वाले प्रतिष्ठानों को भी ईपीएफओ में शामिल होने का विकल्प दिया जा रहा है।
· ‘स्व-नियोजित’ वर्ग या किसी अन्य वर्ग के अंतर्गत आने वाले कामगारों को ईपीएफओ के तत्वावधान में शामिल करने के लिए योजनाएं बनाई जाएंगी।
· असंगठित क्षेत्र के कामगारों को व्यापक सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए विभिन्न योजनाएं तैयार करने हेतु प्रावधान किया गया है। इन योजनाओं को कार्यान्वित करने के लिए वित्तीय पक्ष पर एक “सामाजिक सुरक्षा निधि” सृजित की जाएगी।
· “प्लेटफॉर्म कामगार या गिग कामगार” जैसी बदलती प्रौद्योगिकी के साथ सृजित रोजगार के नए स्वरूपों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने का कार्य सामाजिक सुरक्षा संहिता में किया गया है। भारत उन कुछ देशों में से एक है जहां इस वर्ग के कामगारों को सामाजिक सुरक्षा के अंतर्गत लाने का यह अप्रत्याशित कदम उठाया गया है।
· नियत कालिक कर्मचारी के लिए उपदान का प्रावधान किया गया है और इसके लिए न्यूनतम सेवा अवधि की कोई शर्त नहीं होगी। ऐसा पहली बार हुआ है कि अनुबंध पर किसी निर्धारित अवधि के लिए काम करने वाले किसी नियत कालिक कर्मचारी को नियमित कर्मचारी की तरह ही सामाजिक सुरक्षा का अधिकार दिया गया है।
· असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए एक राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार करने के उद्देश्य से, इन सभी कामगारों का पंजीकरण एक ऑनलाइन पोर्टल पर किया जाएगा और यह पंजीकरण एक साधारण प्रक्रिया के माध्यम से स्व-प्रमाणन के आधार पर किया जाएगा। इससे यह लाभ होगा कि असंगठित क्षेत्र के लाभार्थियों को विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ आसानी से प्राप्त होगा। हम यह कह सकते हैं कि इस डेटाबेस की सहायता से हम असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए सामाजिक सुरक्षा की “लक्षित प्रदायगी” में सफल होंगे।
· रोज़गार पाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है रोज़गार के बारे में सूचना प्राप्त करना। इसी लक्ष्य से 20 या उससे अधिक कामगारों वाले सभी प्रतिष्ठानों के लिए यह अनिवार्य किया गया है कि वे अपने प्रतिष्ठानों में रिक्त पदों की सूचना दें। यह सूचना ऑनलाइन पोर्टल पर दी जाएगी।
(ख) व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य दशा संहिता, 2020
· नियोक्ता द्वारा एक निर्धारित आयु से अधिक आयु वाले कामगारों के लिए वर्ष में एक बार निःशुल्क चिकित्सा जांच।
· पहली बार कामगारों को नियुक्ति पत्र प्राप्त करने का कानूनी अधिकार दिया गया है।
· सिने कामगार को श्रव्य-दृश्य कामगार के रूप में नामित किया गया है, ताकि अधिक से अधिक कामगार ओएसएच संहिता के तहत कवर हो सकें। पहले यह सुरक्षा केवल फिल्मों में काम करने वाले कलाकारों को दी जा रही थी।
(ग) औद्योगिक संबंध संहिता, 2020
सरकार द्वारा कामगारों के विवादों को शीघ्रता पूर्वक सुलझाने के लिए किए गए प्रयास:
· औद्योगिक अधिकरण में एक सदस्य के बजाय दो सदस्यों का प्रावधान। एक सदस्य के अनुपस्थित रहने की स्थिति में भी कार्य सुचारू रूप से किया जा सकता है।
· समझौते के स्तर पर विवाद के न सुलझने की स्थिति में मामले को सीधे अधिकरण में ले जाने का प्रावधान है। वर्तमान में, मामले को समुचित सरकार द्वारा अधिकरण को भेजा जाता है।
· अधिकरण के निर्णय के बाद 30 दिनों के भीतर उस निर्णय का क्रियान्वयन।
· नियत कालिक रोज़गार की मान्यता के बाद कामगारों को ठेका श्रम के बजाय नियत कालिक रोज़गार का विकल्प प्राप्त होगा। इसके अंतर्गत उन्हें नियमित कर्मचारी के समान ही कार्य घंटे, वेतन सामाजिक सुरक्षा तथा अन्य कल्याणकारी लाभ प्राप्त होंगे।
(ड.) ट्रेड यूनियनों की बेहतर और प्रभावी भागीदारी के उद्देश्य से किसी विवाद पर विचार विमर्श करने के लिए वार्ताकार यूनियन और वार्ताकार परिषद् का प्रावधान किया गया है। इस मान्यता को प्रदान किए जाने से विवादों का बातचीत से समाधान करने को बढ़ावा मिलेगा और कामगार अपने अधिकारों को बेहतर तरीके से प्राप्त कर सकेंगे।
(च) ट्रेड यूनियनों के बीच उत्पन्न विवादों का समाधान करने के लिए अधिकरण में जाने की व्यवस्था की गई है। उनके विवादों का निपटान करने में कम समय लगेगा।
(छ) ट्रेड यूनियनों को केन्द्रीय और राज्य स्तर पर मान्यता प्रदान करने हेतु प्रावधान किए गए हैं। यह मान्यता श्रम कानूनों में पहली बार प्रदान की गई है और इस मान्यता के बाद ट्रेड यूनियनें केन्द्रीय और राज्य स्तर पर और अधिक सकरात्मक रूप से तथा और अधिक प्रभावी तरीके से योगदान करने में समर्थ होंगे।
(ज) पहली बार कानून में पुन: कौशल निधि का प्रावधान किया गया है । इसका उद्देश्य उन कामगारों को पुन: कौशल प्रदान करना है जिन्हें काम से निकाल दिया गया है और उन्हें पुन: आसानी से रोजगार मिल सके। इसके लिए कामगारों को 45 दिनों की अवधि के भीतर 15 दिनों का वेतन दिया जाएगा।
6. श्री गंगवार ने कहा कि हमने प्रवासी कामगारों की परिभाषा में विस्तार किया है ताकि अपने आप एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने वाले प्रवासी कामगारों तथा नियोक्ता द्वारा किसी भिन्न राज्य से नियुक्त किए गए प्रवासी कामगारों को भी ओएसएच संहिता के दायरे में लाया जा सके। वर्तमान में, केवल ठेकेदार द्वारा लाए गए प्रवासी कामगार इन उपबंधों से लाभान्वित हो रहे थे।
· प्रवासी कामगारों की समस्याओं के निपटान के लिए हेल्पलाइन की अनिवार्य सुविधा।
· प्रवासी कामगारों के लिए राष्ट्रीय डाटाबेस का निर्माण।
· प्रत्येक 20 कार्य दिवसों के लिए एक दिन का अवकाश संचय करने का प्रावधान, जब कार्य 240 दिनों के स्थान पर 180 दिन किया गया हो।
· महिलाओं के लिए प्रत्येक क्षेत्र में समानता: महिलाओं को प्रत्येक क्षेत्र में रात्रि में कार्य करने की अनुमति दी जानी है, परन्तु यह सुनिश्चित किया जाना है कि उनकी सुरक्षा की व्यवस्था नियोक्ता द्वारा की जाती है तथा रात्रि में उनके कार्य करने से पहले उनसे सहमति ली जाती है।
· कार्य स्थल पर दुर्घटना के कारण कामगार की मृत्यु होने अथवा चोट लगने के मामले में, शास्ति का न्यूनतम 50 प्रतिशत हिस्सा दिया जाएगा। यह राशि कर्मचारी प्रतिपूर्ति के अतिरिक्त होगी।
· गिग तथा प्लेटफार्म कामगारों के साथ-साथ 40 करोड़ असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए “सामाजिक सुरक्षा निधि” की स्थापना से सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा कवरेज में सहायता मिलेगी।
· महिला कामगारों को पुरूष कामगारों की तुलना में वेतन की समानता।
· व्यावसायिक सुरक्षा में अ ब आईटी तथा सेवा क्षेत्र के कामगारों को भी शामिल करना संभव होगा।
· हड़ताल के लिए 14 दिन का नोटिस ताकि इस अवधि में सौहार्द्रपूर्ण समाधान निकल सके।
· श्रम न्यायधीकरणों द्वारा मामलों के त्वरित निपटान हेतु एक सशक्त तंत्र प्रस्तावित है क्योंकि “न्याय मिलने में देरी का अर्थ है न्याय न मिल पाना”
· संहिताओं से उच्चतर उत्पादकता तथा रोजगार सृजन के वृद्धि के लिए सौहार्द्रपूर्ण औद्योगिक संबंधों को बढ़ावा मिलेगा।
· श्रम संहिताओं से पूर्व के विभिन्न कानूनों के अंतर्गत पंजीकरण की आवश्यकता 8 से घटकर केवल 1 रह जाएगी; लाइसेंस की आवश्यकता भी 3 या 4 से घटकर केवल 1 रह जाएगी और 1 पारदर्शी, जवाबदेह और सरल कार्यतंत्र की स्थापना होगी।
· निरीक्षक को अब निरीक्षक-सह-सुविधा प्रदाता बनाया गया है तथा इंस्पेक्टर राज समाप्त करने के लिए यादृच्छिक(रैंडम) रूप से वेब आधारित निरीक्षण प्रणाली लागू करना।
· जूर्माना को कई गुना बढ़ा दिया गया है;ताकि वे निवारक के रूप में कार्य करे।
7. श्री गंगवार ने इस पर भी बल दिया कि श्रम कानूनों में परिवर्तन एवं सुधारों की परिकल्पना वर्षों से बदलते परिदृश्य को देखते हुए तथा उन्हें भविष्य के अनुकूल बनाने के लिए की गई है ताकि देश उन्नति के पथ पर तेजी से अग्रसर हो। इन बदलावों से देश में शांतिपूर्ण एवं सौहार्दपूर्ण औद्योगिक संबंधों को बढ़ावा मिलेगा जिसके परिणामस्वरूप उद्योग एवं रोजगार का विकास होगा, आय में वृद्धि के साथ-साथ संतुलित क्षेत्रीय विकास होगा तथा कामगारों के हाथों में खर्च करने के लिए और अधिक आय होगा। श्री गंगवार ने आगे उल्लेख किया कि ये ऐतिहासिक सुधार देश में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के साथ-साथ उद्यमियों से घरेलू निवेश को भी आकर्षित करेंगे तथा देश में ‘इंस्पेक्टर राज’ को समाप्त करके इस पद्धति में पूर्ण पारदर्शिता लाएंगे। उन्होने आगे कहा कि “भारत विश्व में पसंदीदा निवेश गंतव्य बन जाएगा”।
8. कामगार वर्ष में एक बार मुफ्त स्वास्थ्य जांच के हकदार होंगे और इसके साथ ही प्रवासी कामगारों को वर्ष में एक बार अपने गृह नगर की यात्रा करने के लिए भत्तों का भुगतान किया जाएगा। श्री गंगवार ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि “हमारी बहनों एवं पुत्रियों को सभी क्षेत्रों में आजादी मिलेगी और वे रात की पालियों में भी काम कर सकेंगी जिसके लिए उन्हें नियोक्ताओं द्वारा सुरक्षा उपलब्ध कराई जाएगी।”
सरकार ने श्रम संहिताओं में कर्मचारियों और नियोक्ताओं के अधिकारों और दायित्वों में संतुलन स्थापित करने का प्रयास किया है : श्री गंगवार
श्री संतोष गंगवार ने 3 श्रम संहिताओं को परिवर्तनकारी मील का पत्थर बताते हुए लोकसभा में इन पर चर्चा की शुरुआत की
श्रम एवं रोजगार मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने लोकसभा में 3 श्रम संहिताओं पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि देश में कर्मचारियों और नियोक्ताओं के हितों, अधिकारों और दायित्वों के बीच संतुलन कायम करने के उद्देश्य से इन श्रम संहिताओं को लाया गया है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि ये श्रम संहिताएं श्रमिकों का कल्याण सुनिश्चित करने में एक बड़ा मील का पत्थर साबित होंगी। तीन श्रम संहिताओं में; (1) ओएसएच संहिता, (2) आईआर संहिता और (3) सामाजिक सुरक्षा संहिता शामिल हैं।
73 साल में पहली बार हुए कई प्रावधानों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इनमें नियुक्ति पत्र का अधिकार शामिल है, जिससे औपचारिक रोजगार को प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने कहा कि प्रवासी कामगारों की परिभाषा का विस्तार किया गया है, जिसमें ऐसे लोगों को शामिल किया गया है जो बिना ठेकेदार के काम के लिए दूसरे राज्यों का रुख करते हैं। इससे उन्हें देश में कल्याणकारी योजनाओं के लिए सुरक्षित पात्रता और बेहतर लक्ष्य हासिल करने में सहायता मिलेगी।
इसी तरह श्री गंगवार ने बताया कि जिन श्रमिकों को काम से हटा दिया गया था उनको फिर से कौशल प्रदान करने के लिए एक तंत्र प्रस्तावित किया गया है। उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण प्रावधानों में से एक में असंगठित क्षेत्र के मजदूरों, जीआईजी और प्लेटफॉर्म श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाना शामिल है। श्री गंगवार ने कहा कि ट्रेड यूनियनों के महत्व को समझते हुए निपटारे के लिए तीन स्तरीय प्रक्रिया – एंटरप्राइज़ स्तर, राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तावित की गई है ताकि श्रम संबंधी मुद्दों का त्वरित समाधान किया जा सके।
मंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि तकनीक, कार्य पद्धतियों, कार्य-क्षेत्र की सुविधाओं और कार्यों की प्रकृति के संदर्भ में बीते 73 वर्षों के दौरान भारत जिस अभूतपूर्व परिवर्तन से गुजरा है उसे ध्यान में रखते हुए श्रम संहिता में परिवर्तन किए गए हैं। 70 साल पहले कोई सोच भी नहीं सकता था कि हम घर से भी काम कर सकते हैं। इसलिए वैश्विक परिदृश्य में बदलावों को स्वीकार करते हुए और भविष्य की कार्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए श्रम कानूनों में बदलाव की परिकल्पना की गई है। क्योंकि इन उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए ही 4 ऐतिहासिक श्रम संहिताओं पर इस तरह का काम शुरू किया गया था।
श्री गंगवार ने आगे बताया कि कैसे 4 उप समितियों, 10 अंतर-मंत्रिस्तरीय चर्चाओं, व्यापार संघों, नियोक्ता संघों, राज्य सरकारों, विशेषज्ञों, अंतर्राष्ट्रीय निकायों समेत कई दायरों में इन श्रम संहिताओं पर व्यापक रूप से चर्चा की गई और उन्होंने इन्हें 3-4 महीनों के लिए सार्वजनिक दायरे में रखकर जनता के सुझावों/टिप्पणियों को भी आमंत्रित किया गया था ।