नयी दिल्ली 03 दिसम्बर ।केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज साफ किया कि विशेष संरक्षा ग्रुप (संशोधन) विधेयक प्रधानमंत्री की सुरक्षा को अधिक चाक चौबंद बनाने के लिए लाया गया है और इसका गांधी परिवार के सदस्यों की सुरक्षा हटाने से कुछ भी लेना देना नहीं है।
श्री शाह ने मंगलवार को इस विधेयक पर राज्यसभा में लगभग दो घंटे की चर्चा के बाद अपने जवाब में कहा कि गांधी परिवार सहित देश के 130 करोड़ लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी केन्द्र तथा राज्य सरकारों की है और वे इससे पीछे नहीं हटेगी।
उनके जवाब के बाद राज्यसभा ने इस विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया जिससे इस पर संसद की मुहर लग गयी। लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है। सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने गृह मंत्री के जवाब के बाद कहा कि उनकी पार्टी इससे संतुष्ट नहीं है और सदन से वाकआउट कर रही है। गृह मंत्री के जवाब से असंतुष्ट वामदलों के सदस्यों ने भी वाकआउट किया।
विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए तृणमूल कांग्रेस के मानस रंजन भुनिया ने कहा ‘‘जब हम बार बार परिवार की बात करते हैं तो हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि एक ही परिवार से दो दो प्रधानमंत्रियों की हत्या हुई। क्या संशोधन पर चर्चा करते समय इस तथ्य पर विचार नहीं किया जाएगा ?’’
उन्होंने कहा ‘‘परिवार का मुद्दा नहीं है। और बार बार परिवार का जिक्र किया भी नहीं जाना चाहिए क्योंकि यह भारतीय राजनीति के मर्म को आहत करता है।’’
भुनिया ने कहा ‘‘हमें परिस्थितियों पर विचार करना चाहिए और किसी तरह के विद्वेष के साथ कोई कदम नहीं उठाना चाहिए।’’
सपा के रामगोपाल यादव ने कहा कि सुरक्षा संबंधी खतरे की परिभाषा सरकार बदलने के साथ बदलती रहती है। उन्होंने कहा कि सत्ता में न रहने पर सुरक्षा का खतरा कहीं ज्यादा होता है और इस बात को सुरक्षा पर विचार करते समय हमेशा ध्यान में रखना चाहिए।
उन्होंने कहा ‘‘लोगों में यह संदेश नहीं जाना चाहिए कि बदले की भावना के साथ कोई कार्रवाई की जा रही है।’’
बीजद के प्रसन्न आचार्य ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार यह तय करने में सक्षम है कि किसे कौन सी सुरक्षा दी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस बात में कोई शक नहीं है कि गांधी परिवार का देश के लिए अहम योगदान है और इस परिवार से दो लोगों की शहादत भी हुई है। ‘‘लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि पूरे खानदान को, नाती पोतों तक को युग युगान्तर तक एसपीजी सुरक्षा दी जाए।’’
बीजद सदस्य ने कहा कि समय समय पर सुरक्षा संबंधी खतरे की समीक्षा करनी चाहिए।
जदयू के आरसीपी सिंह ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि जब कोई प्रधानमंत्री पद पर नहीं रहता तब उसे ऐसी सुरक्षा क्यों दी जानी चाहिए ।
उन्होंने कहा कि गांधी परिवार की सुरक्षा को हटाया नहीं गया है , केवल बदलाव किया गया है।
माकपा सदस्य के के रागेश ने एसपीजी संशोधन विधेयक का विरोध करते हुए जानना चाहा कि विधेयक का वास्तविक मंतव्य क्या है ?
उन्होंने कहा कि सरकार 2024 तक पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के बारे में सोच सकती है। ऐसे में संसाधनों की दिक्कत बता कर एसपीजी सुरक्षा कवर को हटाने की जरूरत का तर्क समझ से परे है।
रागेश ने कहा ‘‘ प्रतिमा बनाने के लिए तीन हजार करोड़ रुपये खर्च किए जा सकते हैं । ऐसे में संसाधनों की कमी की दुहाई दे कर एसपीजी कवर हटाने की बात राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित है।’’
द्रमुक के पी विल्सन ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि एक केवल एक परिवार को लक्ष्य कर लाया गया है।
उन्होंने कहा कि विधेयक के उद्देश्य और कारण अतार्किक हैं।
मनोनीत सदस्य के टी एस तुलसी ने कहा कि सुरक्षा को लेकर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए। अगर एसपीजी कवर हटाने के पीछे सरकार का तर्क है कि ऐसा कोई खतरा नहीं है तो उसे संबंधित रिपोर्ट सदन के पटल पर रखनी चाहिए।
वाईएसआर कांग्रेस के विजय साई रेड्डी ने विधेयक का समर्थन करते हुए इसे सुधारों की दिशा में उचित कदम बताया। उन्होंने कहा कि खतरे के आकलन के आधार पर ही एसपीजी सुरक्षा दी जानी चाहिए।
रेड्डी ने कहा कि एसपीजी कवर स्टेटस सिंबल न हो।
राजद के प्रो मनोज कुमार झा ने कहा कि गांधी परिवार की एसपीजी सुरक्षा को वापस नहीं लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा ‘‘विधेयक में पूर्व प्रधानमंत्रियों के परिवारों से पांच साल के बाद सुरक्षा हटाने की बात कही गई है। ऐसा कौन से वैज्ञानिक आधार पर कहा गया है कि आतंकवादियों की मेमोरी पांच साल में डिलीट हो जाती है।’’
भाकपा के बिनोय विश्वम ने कहा कि इस विधेयक को राजनीतिक द्वेष के तहत लाया गया है। एसपीजी सुरक्षा हटाने के लिए लागत का कारण बताया गया है जो तर्कहीन है।
भाजपा के सुब्रमण्यम स्वामी ने विधेयक का स्वागत करते हुए कहा कि ऐसी कोई सुरक्षा सुविधा किसी को नहीं दी जानी चाहिए जो दूसरों को नहीं दी जा सके।
कांग्रेस के बी के हरिप्रसाद ने इस संशोधन विधेयक को ‘‘स्पेशल पॉलिटिकल गाइडिंग’’ विधेयक करार दिया। उन्होंने विधेयक वापस लिए जाने की मांग करते हुए कहा कि जिस परिवार ने शहादत दी हो, उसे सुरक्षा दी जानी चाहिए।
चर्चा में भाजपा के जीवीएल नरसिंह राव, अन्नाद्रमुक के नवनीत कृष्णन, शिरोमणि अकाली दल के नरेश गुजराल, मनोनीत नरेंद्र जाधव, बसपा के सतीश चंद्र मिश्र, आप के संजय सिंह, आरपीआई के रामदास अठावले ने भी हिस्सा लिया।