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राज्यसभा में अपनी विदाई संबोधन में भावुक हुए विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद के साथ संबंधों को लेकर संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी हुए भावुक attacknews.in

नयी दिल्ली 09 फरवरी। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद मंगलवार को सदन में उस समय भावुक हो गये जब वह वर्ष 2005 में जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में गुजरात के पर्यटकों की एक बस पर आतंकवादी हमले का जिक्र कर रहे थे।

श्री आजाद ने आतंकवादी की विभीषिका का उल्लेख करते हुए कहा कि वह जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री बने और राजधानी श्रीनगर पहुंचे तो आतंकवादियों ने अपनी मौजूदगी दर्शाने के लिए गुजरात के पर्यटकों से भरी एक बस पर हमला किया। इसमें कई लोग मारे गये।

उन्होंने बताया , “ हादसे का पता चलने पर वह घटना स्थल पहुंचें तो पुलिस वहां से लोगों को हटा चुकी थी। गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और मेरे अनुरोध पर केंद्र का विशेष विमान पर्यटकों को गुजरात ले जाने के लिए श्रीनगर हवाई अड्डे पहुंचा। मैं वहां उन बच्चों से मिला जिनमें किसी के पिता, तो किसी की माता, हमले में मारी गयी थी। ये बच्चें मुझसे लिपटकर रोने लगे और मेरी भी चीख निकल गयी।” इस घटना का जिक्र करते हुए श्री आजाद सदन में भावुक हो गये और उनकी आंखों से आंसू निकल आयें।

इससे पहले इसी घटना का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सदन में भावुक हो गये । उनका गला रुंध गया और उन्होंने कई बार पानी पीया। वह अपनी बात पूरी नहीं कर पायें और उन्होंने अंगुली का इशारा करके अपनी बात सदस्यों को बताई। उन्होेंने अपनी आंखों से आंसू भी पोछे।

श्री आजाद ने आतंकवाद खत्म करने की आश्वयकता बतायी और कहा कि आतंक से प्रभावित लोगों को मदद की जरुरत है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों के लिए हिन्दुस्तान जन्नत है। पड़ोसी देश पाकिस्तान और अन्य मुस्लिम देशों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान का मुसलमान बेहतर हालत में हैं क्योंकि उसकी सोच अलग है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम देशों में मुसलमान किसी हिन्दु या ईसाई से नहीं लड़ रहे है बल्कि आपस में लड़ रहे हैं।

उन्होंने शेरो शायरी करते हुए कहा कि देश से आतंकवाद खत्म होने से खुशहाली आयेगी। आतंकवाद से हजारों लोग मरे हैं, औरतें बेवा हुई हैं और बच्चे अनाथ हो गये हैं। उन्होंने कश्मीरी पंडितों का उल्लेख करते हुए कहा कि लोगों को फिर से बसाने का प्रयास करना होगा। उन्होंने कहा, “ गुजर गया वो, जो छोटा सा फसाना था, फूल थे, चमन था और आशियाना था, ना पूछ उजड़े चमन की दांस्तां, थे चार तिनके – लेकिन आशियाना तो था। ”

उन्हाेंने आतंकवाद से निपटने और लोगों के पुनर्वास का प्रयास करने पर बल देते हुए कहा, “ दिल नाउम्मीद नहीं, नाकाम ही तो है, सुबह तो होगी कभी, लंबी ही सही, शाम ही तो है। ”

राज्यसभा से सेवानिवृत्त हो रहे सदस्यों में श्री आजाद के अलावा पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के मीर माेहम्मद फयाज और नजीर अहमद लवाय तथा भारतीय जनता पार्टी के शमशेर सिंह मन्हास शामिल है।

दल के साथ देश और सदन की भी चिंता की आजाद ने: मोदी

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कभी नेता विपक्ष के रूप में केवल अपना दबदबा बनाये रखने की कोशिश नहीं की बल्कि उन्होंने अपने दल के साथ साथ देश तथा सदन की भी चिंता की।

श्री मोदी ने श्री आजाद का उच्च सदन में कार्यकाल पूरा होने के मौके पर मंगलवार को विदायी संबोधन में यह बात कही। श्री आजाद के साथ साथ जम्मू कश्मीर से राज्यसभा में सदस्य मीर फय्याज, शमशेर सिंह मन्हास और नजीर अहमद को भी विदायी दी गयी।

श्री आजाद और श्री अहमद का कार्यकाल 15 फरवरी को जबकि श्री मन्हास और श्री फय्याज का कार्यकाल 10 फरवरी को पूरा हो रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि श्री आजाद अपने दायित्व के प्रति बहुत सजग थे और उन्होंने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभायी। ऐसा लगता है कि उनके उत्तराधिकारी के लिए उनकी जगह लेना बहुत कठिन होगा।

उन्होंने कहा कि श्री आजाद ने नेता विपक्ष के रूप में कभी अपना दबदबा बनाये रखने की कोशिश नहीं की और अपने दल के साथ साथ देश और सदन की भी चिंता की । उन्होंने कहा कि यह कार्यकाल उनके कैरियर का संभवत उत्तम कार्यकाल है क्योंकि इस दौरान इतिहास ने करवट ली है और वे इसके सहयात्री रहे हैं।

श्री मोदी ने कहा कि श्री आजाद के सत्ता और विपक्ष के 28 वर्षों के अनुभव से सबको बहुत कुछ सीखने को मिला है और उनकी कमी सदन को हमेशा खलेगी।

श्री मोदी ने भावुक होते हुए कहा कि जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो श्री आजाद जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे और उन दोनों के बीच जबरदस्त तालमेल तथा सहयोग था। गुजरात में एक हमले मे कुछ लोगों की मौत होने के समय श्री आजाद की एकजुटता का उल्लेख करते हुए वह बहुत भावुक हो गये और कहा कि श्री आजाद ने उस समय परिवार के सदस्य की तरह चिंता व्यक्त की।

उन्होंने कहा कि वह एक मित्र के रूप में श्री आजाद का हमेशा आदर करते हैं और उनके विचारों था सुझावों के लिए उनके द्वार हमेशा खुले रहेंगे।

गुलाम नबी आजाद की तारीफ करते समय भावुक हुए मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विपक्ष के नेता और कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य गुलाम नबी आजाद की तारीफ करते हुए भावुक हो गए।

गौरतलब है कि गुलाम नबी आजाद का उच्च सदन में कार्यकाल पूर्ण हो रहा है और उन्हें आज विदायी दी गई।

मोदी ने उन्हें एक बेहतरीन मित्र बताते हुए कहा ‘‘सदन के अगले नेता प्रतिपक्ष को आजाद द्वारा स्थापित मानकों को पूरा करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। आजाद ने अपने दल की चिंता जिस तरह की, उसी तरह उन्होंने सदन की और देश की भी चिंता की।’’

उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता के पद पर रहते हुए आजाद ने कभी दबदबा स्थापित करने का प्रयास नहीं किया।

प्रधानमंत्री ने बताया कि जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब आजाद जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री थे। उन दिनों कश्मीर में पर्यटकों पर आतंकी हमला हुआ और कुछ पर्यटक मारे गए थे। इनमें गुजरात के पर्यटक भी थे।

मोदी ने कहा ‘‘तब सबसे पहले, गुलाम नबी आजाद ने फोन कर उन्हें सूचना दी और उनके आंसू रुक नहीं रहे थे। मैंने तत्कालीन रक्षा मंत्री प्रणव मुखर्जी से पर्यटकों के पार्थिव शरीर लाने के लिए सेना का हवाई जहाज उपलब्ध कराने का अनुरोध किया जो उन्होंने स्वीकार कर लिया। रात को पुन: आजाद ने फोन किया। यह फोन उन्होंने हवाईअड्डे से किया और उनकी चिंता उसी तरह थी जिस तरह लोग अपने परिवार की चिंता करते हैं।’’

यह बोलते हुए प्रधानमंत्री का गला रुंध गया।

मोदी ने कहा ‘‘मेरे लिए बहुत भावुक पल था। अगले दिन सुबह पुन: आजाद का फोन आया और उन्होंने पूछा कि मोदी जी, क्या सभी पहुंच गए।’’

उन्होंने कहा ‘‘एक मित्र के रूप में घटनाओं और अनुभव को देखते हुए मैं आजाद का बहुत आदर करता हूं।’’

प्रधानमंत्री ने कुछ यादें साझा करते हुए कहा कि जब वह कोविड-19 महामारी पर सदन में विभिन्न दलों के नेताओं की बैठक बुलाने पर विचार कर रहे थे तब आजाद ने फोन कर उन्हें सभी दलों के नेताओं की बैठक बुलाने का सुझाव दिया था। मोदी ने कहा, ‘‘मैंने वह सुझाव माना और वह सुझाव उपयोगी रहा।’’

आजाद के बारे में मोदी ने कहा ‘‘आजाद को सत्ता पक्ष में रहने का और विपक्ष में रहने का गहरा और लंबा अनुभव है । 28 साल का कार्यकाल … बड़ी उपलब्धि होता है।’’

उन्होंने कहा कि बहुत पहले एक बार संसद भवन में लॉबी में वह आजाद से बात कर रहे थे। वहां से निकलने पर पत्रकारों के सवाल पूछने पर आजाद ने कहा था ‘‘टीवी पर , अखबारों में आप हमें लड़ते झगड़ते देखते हैं। लेकिन यहां हम सबके बीच एक परिवार की तरह वातावरण होता है।’’

मोदी ने मुस्कुराते हुए कहा ‘‘ अपने सरकारी बंगले को आजाद ने बहुत प्यार से संवारा और उनका बगीचा देख कर वहां कश्मीर की याद आ जाती है। उन्होंने वहां एक कश्मीर बना रखा है। स्पर्धा में उनका बंगला पहले नंबर पर आ जाता है। ’’

दोनों सदनों में आजाद के लंबे कार्यकाल का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि उनकी सौम्यता, विनम्रता और देश के लिए कुछ कर गुजरने की कामना प्रशंसनीय है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आजाद की यह प्रतिबद्धता उन्हें आगे भी चैन से नहीं बैठने देगी और उनके अनुभवों से देश लाभान्वित होता रहेगा।

सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि सदन में उन्हें आजाद की कमी खलेगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि वह जल्द ही सदन में वापस लौटेंगे।

आजाद के साथ ही भाजपा के शमशेर सिंह मन्हास, और पीडीपी के मीर मोहम्मद फ़ैयाज तथा नजीर अहमद लवाय का कार्यकाल भी समाप्त हो रहा है।

आजाद और नजीर अहमद का कार्यकाल 15 फरवरी को और मन्हास तथा मीर फयाज का कार्यकाल 10 फरवरी को पूरा हो रहा है।

प्रधानमंत्री ने मीर मोहम्मद फयाज, नजीर अहमद लवाय का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें इन दोनों सदस्यों के साथ बातचीत में कश्मीर के अनेक पहलुओं के बारे में जानकारी मिलती थी। उन्होंने कहा कि इन सदस्यों के साथ उनका व्यक्तिगत तौर पर नाता रहा।

उन्होंने भरोसा जताया कि इन दोनों सदस्यों की प्रतिबद्धता देश के लिए, खास कर जम्मू कश्मीर के लिए बेहद उपयोगी रहेगी।

शमशेर सिंह का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वह और शमशेर सिंह दोनों ही संगठन में थे अत: उनका साथ लंबा रहा। उन्होंने कहा कि सदन में शमशेर सिंह की उपस्थिति 96 फीसदी है जो बताती है कि उन्होंने जनता द्वारा दिए गए दायित्व को निभाने का पूरा प्रयास किया।

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के इन चारों सदस्यों का यह कार्यकाल उनके जीवन के बेहतरीन कार्यकाल में से है।

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