श्रमिकों के कल्याण और उनके अधिकारों को मजबूत करने वाले तीन विधयेक लोकसभा से पारित,29 केंद्रीय श्रम कानूनों को 4 संहिताओं में समेटा attacknews.in

नयी दिल्ली, 22 सितंबर । लोकसभा में विपक्षी दलों की गैरमौजूदगी में श्रमिकों के कल्याण और उनके अधिकारों को मजबूत करने वाले सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020, औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 और उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता, 2020 विधेयक आज ध्वनिमत से पारित किये गये।

तीनों विधेयक पेश होने से पहले ही कांग्रेस, द्रविड मुन्नेत्र कषगम, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, बहुजन समाज पार्टी तथा समाजवादी पार्टी सहित सभी विपक्षी दलों ने सरकार से किसान संबंधी विधेयक वापस लेने अथवा विधेयक में न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं हटाने की शर्त जोड़ने का लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से आग्रह किया लेकिन जब उनकी बात नहीं मानी गयी तो सभी विपक्षी दलों ने सरकार पर मनमानी करने का आरोप लगाते हुए सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर दिया था।

केन्द्रीय श्रम रोजगार कल्याण राज्यमंत्री संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि वे लोग आज के इस ऐतिहासिक दिन के साक्षी बन रहे हैं, जहां श्रमिकों को 73 साल बाद उनकी सामाजिक सुरक्षा, कल्याण और अधिकारों की रक्षा को सुनिश्चित करने का प्रावधान किया जा रहा है। श्रमिकों के हितों के लिए कानून बनाना इसलिए संभव हो पा रहा है क्योंकि देश में एक जवाबदेह प्रधानमंत्री हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार ने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के सपनों को साकार करते हुए श्रमिकों के लिए अनेक प्रभावी कदम उठाए हैं।

श्रम कानूनों में बदलाव समय की जरूरत : गंगवार

श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने आज कहा कि श्रम कानूनों में बदलाव समय की जरूरत बन गया था और इससे जुड़े तीन विधेयक श्रम कल्याण की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे।

सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020, औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 और उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता, 2020 को लोकसभा में विचार के लिए प्रस्तुत करते हुये श्री गंगवार ने कहा कि आजादी के बाद से काम करने के तरीके, माहौल, रोजगार के स्वरूप आदि में अप्रत्याशित बदलाव आ चुके हैं। लोगों ने कभी घर से काम करने के बारे में सोचा नहीं था। यह कल्पना भी नहीं की गई थी कि एक व्यक्ति एक से अधिक नियोक्ताओं के लिए भी काम कर सकता है। इन बदली परिस्थितियों को आधुनिक बदलावों और भविष्य को ध्यान में रखते हुये श्रम कानूनों को उसके अनुरूप बनाना जरूरी हो गया था। श्रम मंत्री ने उम्मीद जताई कि ये संहिताएं श्रमिक कल्याण की प्राप्ति के उद्देश्य में मील का पत्थर साबित होंगी।

उन्होंने कहा कि 29 केंद्रीय श्रम कानूनों को चार संहिताओं में समेट रही है। इसमें पारिश्रमिक संबंधी संहिता को पहले ही संसद की मंजूरी मिल चुकी है। इन संहिताओं को श्रमिक संगठनों, कर्मचारी संघों, राज्य सरकारों और विशेषज्ञों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श कर तैयार किया गया है। पिछले साल इन तीनों संहिताओं को लोकसभा में पेश किया गया था और बाद में संसद की स्थायी समिति के पास भेज दिया गया था। समिति की 233 अनुशंसाओं में से 76 प्रतिशत को स्वीकार करते हुये अब नये सिरे से तीनों संहिताओं को सदन के समक्ष लाया गया है। उन्होंने बताया कि इन संहिताओं से श्रमिकों के अधिकारों को मजबूत किया जा सकेगा और उद्योग चलाने के लिए अनुपालना आसान होगी।

श्री गंगवार ने कहा कि इन संहिताओं के प्रभावी होने के बाद लाइसेंस प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन हो जायेगी। सभी श्रमिकों को नियुक्ति पत्र देना अनिवार्य होगा। प्रवासी श्रमिकों की परिभाषा को व्यापक बनाया जायेगा ताकि दूसरे राज्य में जाकर काम करने वाले सभी श्रमिक कल्याणकारी योजनाओं के पात्र बन सकें। नयी श्रेणी के श्रमिकों को भी सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाया जायेगा।