नयी दिल्ली 18 अप्रैल । देश में आम चुनाव के दाैरान कई बार मुकाबले कितने कांटे के हो जाते हैं इसका अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि दो अवसरों पर सिर्फ नौ मतों से हार जीत हुयी।
पहली बार 1989 के चुनाव में आन्ध्र प्रदेश के अनाकापल्ली सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार के रामकृष्ण तेलगू देशम पार्टी के अप्पाला नरसिंहघम से केवल नौ मतों से जीत दर्ज की थी। श्री रामकृषण को 299109 और श्री नरसिंहघम को 299100 वोट मिले थे । इस चुनाव में केवल तीन उम्मीदवारों ने चुनाव मैदान में थे।
वर्ष 1998 में बिहार के राजमहल सीट पर भारतीय जनता पार्टी के सोम मरांडी भी नौ वोट से निर्वाचित हुये थे । श्री मरांडी ने कांग्रेस उम्मीदवार थोमस हंसदा को पारजित किया था । श्री मरांडी को 198889 तथा श्री हंसदा को 198880 वोट आये थे । इस चुनाव में कुल 11 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे ।
वर्ष 1962 के आम चुनाव में हुए हार जीत का सबसे कम अंतर 42 रहा था। उस चुनाव में बाहरी मणिपुर क्षेत्र से सोसलिस्ट पार्टी के रिसांग कांग्रेस के सिवो लारहो से 42 मतों से पराजित किया था। श्री रिसांग को 35621 तथा श्री लारहो को 35579 वोट मिले थे । इस चुनाव में कुल पांच उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था । इसके बाद 1967 में हुये चुनाव में हरियाणा के करनाल सीट पर कांग्रेस के एम राम ने भाजपा के आर नंद को 203 वोट से हराया था । श्री राम को 168204 तथा श्री नंद को 168001 वोट आये थे ।
वर्ष 1971 के आम चुनाव में तमिलनाडु के तिरुचेंदुर सीट से द्रविड़ मुनेत्र कषगम के नेता एम एस सिवासामी ने स्वतंत्र पार्टी के एम मटियास से 26 मतों के अंतर से विजयी हुये थे । श्री सिवासामी को 202783 और श्री मटियास को 202757 वोट मिले थे । इस चुनाव में केवल तीन उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे ।
इसी तरह से 1977 के जनता लहर वाले चुनाव में महाराष्ट्र के कोल्हापुर लोकसभा सीट से पीजेंट एंड वर्कर पार्टी के वलवंत राव देसाई कांग्रेस के शंकरराव दत्तात्रेय से 165 मतो से विजयी हुये थे । श्री देसाई को 186077 तथा श्री दत्तात्रेय को 185912 वोट मिले थे । इस चुनाव में तीन उम्मीदवारों के बीच संघर्ष हुआ था।
वर्ष 1980 के चुनाव में उत्तर प्रदेश के देवरिया क्षेत्र से कांग्रेस (आई) के उम्मीदवार रामायण राय और जनता पार्टी (एस) के रामाधार शास्त्री के बीच कांटे की टक्कर में 77 वोट सेे हार जीत का फैसला हुआ था । श्री राय को 110014 तथा श्री शास्त्री को 109937 वोट आये थे । इस चुनाव में कुल आठ प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे । पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में हुये चुनाव में पंजाब के लुधियाना से शिरोमणि अकाली दल के मेवा सिंह 140 मतों से विजयी हुये थे ।
वर्ष 1991 के आम चुनाव में उत्तर प्रदेश के अकबरपुर लोकसभा क्षेत्र से जनता दल के राम अवध 156 मतों से निर्वाचित हुये थे । श्री राम अवध ने भाजपा के बेचन राम को पराजित किया था । श्री राम अवध को 133060 तथा श्री राम को 132904 वोट आये थे । इस चुनाव में कुल 14 उम्मीदवार थे ।
वर्ष 1996 के चुनाव में गुजरात के बरोदा सीट पर कांग्रेस के सत्यजीतसिह दिलीपसिंह गायकवाड ने भाजपा के रतिलाल सुखाड़िया से केवल 17 मतों से पराजित किया था। श्री गायकवाड़ को 131248 तथा श्री सुखाड़िया को 131231 वोट आये थे । इस चुनाव में कुल 24 उम्मीदवार थे।
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