देहरादून, 4 अप्रैल । उत्तराखण्ड में इस चुनाव में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए सियासी दलों की उन पर विशेष नजर है लेकिन उनसे जुड़े राजनीतिक दलों के एजेंडे से नदारद नजर आ रहे है।
राज्य में चुनाव प्रचार के लिए अब दो हफ्ते ही बचे हैं और राजनीतिक दल पूरे जोर-शोर के साथ पार्टी का प्रचार करने में लगे हैं लेकिन उनके एजेंडे में महिलाओं की समस्याओं से जुड़े मुद्दे नहीं होने से पहाड़ की महिलाओं में बेहद नाराजगी है।
उत्तराखंड की रीढ़ आज भी महिलाएं ही हैं। वे यहां खेत से लेकर सर्विस सेक्टर तक में काम कर रही हैं। चुनावाें के समय राजनीतिक दलों ने पहाड़ में महिलाओं की जिंदगी को आसान और बेहतर बनाने के लिए वादे तो खूब किये गये पर जमीन पर काम नहीं हुआ ।
चमोली की महिलाओं का कहना है कि चुनाव के वक्त राजनेता जो वायदे करते हैं सत्ता मिलने पर अगर उन पर काम होता तो महिलाओं की न सिर्फ स्थिति में सुधार होता बल्कि यहां से पलायन भी रुकता। अंजू और कमला ने कहा कि पहाड़ की महिलाओं के लिए रोजगार का इंतजाम किया जाना चाहिए ताकि जरूरतें यहीं पूरी हो सकें और पलायन न करना पड़े। पहली बार वोट करने वाली अनु और मधु को पहाड़ों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करना सबसे जरूरी लगता है। अपने मताधिकार के प्रति जागरूक युवा मतदाता कहती हैं कि वोट उसी को देंगीं जो रोजगार के साथ ही उत्तराखंड की महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाएगा।
उत्तराखण्ड की आधी आबादी मतदान महापर्व में पूरे उत्साह के भागीदारी करती आयी है जिसकी वजह से महिलाओं को वोट प्रतिशत किसी भी प्रत्यााशी को संसद की दहलीज पर ले जाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका रखता है । यहां के पुरूषों के सेना और अर्द्ध सुरक्षा बलों में होने के साथ रोजगार कर तलाश में प्रदेश से बाहर रहने पर कई इलाकों में महिला ही निर्णायक भमिका में दिखाई देती है । उत्तराखण्ड गठन के बाद हुए विधानसभा और लोकसभा चुनावों के आंकडों पर गौेर किया जाए तो महिलाओं का वोट प्रतिशत पुरषों के अपेक्षा ज्यादा नजर आता है ।
इस बार भी महिलाओं का वोट निर्णायक होने के कारण लिए सियासी दलों को 36,45,047 महिला मतदाताओं को फोकस करना हेागा । राज्य में 2002 के पहले विधानसभा चुनाव में 52.64 महिलाओं ने मतदान किया था जबकि 2017 में उनका मतदान प्रत्शित बढ़ कर 69.30 फीसदी हो गया । इसी प्रकार 2004 के लोकसभा चुनाव में लगभग 45 प्रतिशत महिलाओं ने ही अपने मताघिकार का प्रयोग किया जो 2014 में बढ़कर 63.05 फीसदी पहुच गया । कांग्रेस जहां महिलाओं के लिए कई योजनायें लागू करने का दावा कर रही है वहीं भाजपा उज्जवला येाजना के माध्यम से महिलाओं के वोट जुटाने की कोई कसर नहीं छोड़ रही है ।
उत्तराखण्ड की पांच संसदीय सीटों पर महिला मतदाताओं की कुल 36,45,047 जबकि पुरूष मतदाता 40,71,849 है। टिहरी जिले में महिला मतदाता की संख्या 691899 तथा पुरूष मतदाताओं की संख्या 773527 है। पौड़ी जिले में महिला मतदाता की संख्या 638311 तथा पुरूष मतदाता 698981 है। इसी प्रकार अल्मोड़ा जिले में महिला मतदाता की संख्या 635996 तथा पुरूषो की संख्या 685655 है। नैनीताल जिले में महिला मतदाता की संख्या 841601 तथा पुरूषों की संख्या 947110 है। हरिद्वार जिले में महिला मतदाता की संख्या 837240 तथा पुरूषों की संख्या 966576 है।
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