रायबरेली, 26 मार्च । लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की 80 में से ज्यादातर सीटें जीतने के लिये सभी पार्टियों में होड़ लगी है। प्रदेश की इन सीटों में रायबरेली भी है, जिसे कांग्रेस का मजबूत गढ़ कहा जाता है।
इस सीट से कांग्रेस की उम्मीदवार सोनिया गांधी होंगी लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने प्रत्याशी के नाम का अभी खुलासा नहीं किया है। भाजपा की ओर से पूर्व प्रत्याशी अजय अग्रवाल और कई अन्य नेताओं के नामों की चर्चा जरूर हो रही है।
कांग्रेस के लिये रायबरेली की सीट कितनी अहम है यह इसी से पता चलता है कि नेहरू-गांधी परिवार का यहां से पुराना नाता है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान मोतीलाल नेहरू और 1921 में मुंशीगंज में किसानों पर गोलीबारी के बाद जवाहरलाल नेहरू यहां आये थे। कांग्रेस का यह कितना मजबूत गढ़ है यह इसी से पता चलता है कि रायबरेली में पार्टी अब तक सिर्फ तीन बार पराजित हुयी है।
1977 में जनता पार्टी से राजनारायण, 1996 और 1998 में भाजपा के अशोक कुमार सिंह ने रायबरेली संसदीय सीट पर कांग्रेस को पटकनी दी थी लेकिन उसके बाद से यहां नेहरू-गांधी परिवार का ही कब्जा है।
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रायबरेली सीट पर कब्जा बरकरार रखा था। उन्हें तब 5,26,434 मत मिले थे जबकि भाजपा के प्रत्याशी रहे अजय अग्रवाल को 1,73,721 मत हासिल हुये थे।
यहां के लोग याद करते हैं कि 1967 से 1977 तक का दौर रायबरेली के विकास का स्वर्णिम समय रहा। इस दौरान केंद्र और राज्य सरकार ने यहां विकास कराया था। कई बड़ी फैक्टरियां और राष्ट्रीय स्तर के संस्थान भी यहां खुले लेकिन 1977 में जनता पार्टी की जीत के बाद विकास की रफ्तार थम गयी।
रायबरेली संसदीय सीट पर 16,50,767 मतदाता हैं। इनमें 8,70,954 पुरुष और 7,79,813 महिलायें हैं। कांग्रेस की ओर से सोनिया गांधी का यहां से एक बार फिर चुनाव लड़ना तय है वहीं अजय अग्रवाल एक बार फिर भाजपा के टिकट पर यहां से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। उनके अलावा कांग्रेस से बगावत करने वाले विधान परिषद सदस्य दिनेश प्रताप सिंह भी भाजपा का टिकट चाहते हैं।
श्री अग्रवाल और श्री सिंह के अलावा अमर सिंह, कुमार विश्वास और मीनाक्षी लेखी का नाम भी रायबरेली से भाजपा उम्मीदवार के तौर पर उछाला जा रहा है लेकिन अभी तक पार्टी आलाकमान ने कोई फैसला नहीं लिया है।
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