पन्ना, 01 अगस्त । अथक कोशिशों के चलते बाघों से बमुश्किल आबाद हुए मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में वन विभाग के अमले के रिक्त पदों के चलते यहां बाघों पर एक बार फिर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं।
सूत्रों के मुताबिक वन परिक्षेत्राधिकारियों सहित मैदानी वन अमले की भारी कमी से जूझ रहे टाइगर रिजर्व में बाघों की सुरक्षा व मॉनिटरिंग के लिये जो तंत्र विकसित किया गया था, वह जहां कमजोर हुआ है वहीं व्यवस्था में भी खामियां नजर आने लगी हैं। रिजर्व के बफर क्षेत्र में जंगल की अवैध कटाई व शिकार की घटनाओं पर भी प्रभावी अंकुश नहीं लग पा रहा है।
टाइगर रिजर्व क्षेत्र संचालक के एस भदौरिया ने बताया कि रेन्जर सहित वन कर्मचारियों के कई पद रिक्त हैं, जिससे व्यवस्था बनाने में दिक्कत आ रही हैं। रिक्त पदों की पूर्ति के लिये प्रयास किये जा रहे हैं। वन क्षेत्र से लगे ग्रामों में लोगों को जागरूक कर उन्हें भी जोड़ा जा रहा है, ताकि जन समर्थन से बाघ संरक्षण का नारा चरितार्थ हो।
पार्क सूत्रों के मुताबिक बाघ पुनर्स्थापना योजना के तहत 2009 में शून्य से शुरू हुए इस सफर के तहत पन्ना में अब तक 90 से भी अधिक शावकों का जन्म हो चुका है। कोर क्षेत्र में आधा सैंकड़ा से भी अधिक बाघ विचरण कर रहे हैं। वहीं बफर क्षेत्र व आस-पास के जंगल में भी यहां जन्मे तकरीबन डेढ़ दर्जन बाघों की मौजूदगी है। पन्ना की इसी कामयाबी ने प्रदेश को एक बार फिर सर्वाधिक बाघों वाले प्रदेश का दर्जा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
हालांकि सूत्रों के मुताबिक यहां रेन्जर, डिप्टी रेन्जर, वनपाल व वनरक्षक के करीब 82 पद रिक्त हैं।
श्री भदौरिया ने हालांकि दावा किया कि बफर क्षेत्र में भी कोर जैसी व्यवस्था जरूरी हैं। कोर क्षेत्र में बाघों की संख्या बढऩे से यहां के बाघ बाहर निकल रहे हैं। बफर क्षेत्र में भी सुरक्षा व निगरानी तंत्र विकसित करने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है। संवेदनशील स्थलों पर सुरक्षा चौकियां भी बनाई गई हैं।attacknews.in