इस्लामाबाद, 24 मई । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करके पांच साल का लगातार दूसरा कार्यकाल हासिल करने पर पाकिस्तान की मीडिया ने मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है। मीडिया के एक वर्ग ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर मिला प्रचंड जनादेश करार दिया है जबकि अन्य वर्ग ने इसे दक्षिणपंथियों की जीत के वैश्विक चलन का परिणाम बताया है।
यह आश्चर्यजनक रहा कि मीडिया में मोदी विरोधी लहर गायब रही क्योंकि अधिकतर मीडिया संस्थानों के लिए यह चुनाव का अप्रत्याशित परिणाम नहीं था। चुनाव का गहराई से विश्लेषण भी नहीं किया गया और लगभग सभी समाचार पत्र एवं अन्य मीडिया संस्थान भारत में समर्पित रिपोर्टिंग टीम की अनुपस्थिति में समाचार एजेंसियों पर निर्भर रहे।
‘डॉन’ ने अपने मुख्यपृष्ठ में लिखा कि मोदी ने आम चुनाव में राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर प्रचंड बहुमत प्राप्त किया।
समाचार पत्र ने कहा, ‘‘सीमा पार बालाकोट में हवाई हमले के रणनीतिकार के रूप में स्वयं को पेश करके मोदी ने विपक्ष को बुरी तरह पछाड़ दिया।’’
‘डॉन’ ने मोदी की सफलता को साम्प्रदायिक राजनीति की जीत करार दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की दीवार पर लिखा है: भारत में साम्प्रदायिक राजनीति ऐसे समय में जीती है जो गणराज्य का भविष्य तय करेगी।’’
उसने लिखा, ‘‘परिणाम आश्चर्यजनक और निराशाजनक रूप से दर्शाते हैं कि धार्मिक घृणा एवं साम्प्रदायिक राजनीति का इस्तेमाल मतदाताओं को लुभाने के लिए किया जा सकता है।’’
‘न्यूज इंटरनेशनल’ ने मोदी की जीत को ‘‘नाटकीय’’ करार देते हुए कहा कि यह वैश्विक चलन को दर्शाता है।
उसने कहा, ‘‘मोदी का पुन: चुने जाना दक्षिणपंथियों की अमेरिका से ब्राजील और इटली तक जीत के वैश्विक चलन को दर्शाता है।’’
‘द न्यूज इंटरनेशनल’ में ऐजाज जका सैयद ने लेख में कहा, ‘‘यदि भाजपा और मोदी ने यह चुनाव जीता है, तो वे इस जीत के संभवत: हकदार थे। उन्होंने कड़ी मेहनत की और उनमें जीतने की भूख थी।’’
उन्होंने साथ ही कहा कि मोदी ने कई गलतियां की होंगी लेकिन विपक्ष उन्हें दिखाने में असफल रहा।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के विशेष सलाहकार (सूचना) फिरदौस आशिक अवान ने जियो न्यूज के हामिद मीर से एक टीवी कार्यक्रम के दौरान कहा, ‘‘मोदी की जीत पाकिस्तान के लिए न तो बुरी खबर है और न ही यह अच्छी खबर है। हम भारत के साथ बातचीत करके सभी मतभेद सुलझाना चाहते हैं। हमें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि देश का नेतृत्व कौन कर रहा है।’’
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