संयुक्त राष्ट्र, 25 नवंबर । भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कहा कि पाकिस्तान, “संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादियों का सबसे बड़ा प्रश्रयदाता है” और उसे एबटाबाद याद रखना चाहिए जहां अल-कायदा का सरगना ओसामा बिन लादेन कई सालों तक छिपा रहा और अंततः मारा गया।
संरा महासचिव एंतोनियो गुतारेस को पाकिस्तान के राजनयिक द्वारा एक डोजियर सौंपा गया था जिसके जवाब में भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत टी एस तिरुमूर्ति ने ट्वीट किया कि पाकिस्तान की ओर से दिया गया डोजियर “झूठ का पुलिंदा है और उसकी कोई विश्वसनीयता नहीं है।”
उन्होंने कहा, “फर्जी दस्तावेज देना और झूठा कथानक गढ़ना पाकिस्तान के लिए नयी बात नहीं है। वह संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादियों का सबसे बड़ा प्रश्रयदाता है। उसे एबटाबाद याद रखना चाहिए।”
संयुक्त राष्ट्र में इस्लामाबाद के राजनयिक मुनीर अकरम ने गुतारेस से भेंट कर उन्हें पाकिस्तान सरकार की ओर से एक डोजियर सौंपा था और आरोप लगाया था भारत उनके देश में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है।
तिरुमूर्ति ने अपने ट्वीट में पाकिस्तान के शहर एबटाबाद की याद दिलाई जहां बिन लादेन कई सालों तक छिपा रहा और मई 2011 में अमेरिकी नौसेना के सील कमांडों के दस्ते ने उसे मार गिराया था।
विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला ने सोमवार को अमेरिका, रूस, फ्रांस और जापान जैसे बड़े देशों के दूतों को पाकिस्तान स्थित जैश ए मोहम्मद आतंकी संगठन द्वारा जम्मू कश्मीर के नगरोटा में हमले की साजिश से अवगत कराया था।
भारतीय सुरक्षा बलों ने 19 नवंबर को आतंकवादियों की इस साजिश को नाकाम करते हुए मुठभेड़ में चार आतंकवादियों को मार गिराया था।
श्री तिरुमूर्ति ने कहा कि पाकिस्तान ने जो दस्तावेज पेश किये हैं वह झूठ का पुलिंदा है और उसने कोई पहली बार ऐसे आरोप नहीं लगाये हैं। सच तो यह है कि पाकिस्तान आतंकवादियों के पनपने और पोषित होने का विश्व का सबसे बड़ा गढ़ है। उसने जिन आतंकवादियों और आतंकवादी संगठनों को अपने यहां शरण दी है उसे संयुक्त राष्ट्र की ओर से पहले ही प्रतिबंधित कर दिया गया है।
श्री तिरुमूर्ति ने डेटन समझौते की रजत जयंती के अवसर पर यह बात कही।
14 दिसंबर 1995 को बोस्निया, सर्बिया और क्रोएशिया के नेताओं ने पेरिस में डेटन संधि पर दस्तखत कर साढ़े तीन साल से जारी बाल्कन युद्ध को समाप्त किया था।समझौते के तहत बोस्निया को एक राज्य बनाए रखा गया था लेकिन इसे दो हिस्से में बांट दिया गया था।
मुस्लिम और क्रोएशियाई आबादी वाला पहला हिस्सा देश के 51 फ़ीसदी भूभाग का प्रतिनिधित्व करता था जबकि सर्ब गणराज्य के पास बाक़ी का 49 फ़ीसदी भूभाग था। सर्बिया के नेता स्लोबोदोन मिलोसेविच, क्रोएशिया के फ़्रांजो तुजमैन और बोस्निया के इलिजा इजेत्बिगोविक ने यूरोपीय राज्याध्यक्षों और कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुखों की मौजूदगी में इस समझौते पर हस्ताक्षर किये थे।