इस्लामाबाद, सात मार्च । पाकिस्तान की प्रतिबंधित आतंकवादी समूहों के खिलाफ की गई हालिया कार्रवाई महज एक “दिखावा” है ताकि वह अपनी धरती से हुए बड़े आतंकवादी हमलों को लेकर पश्चिमी देशों को संतुष्ट कर सके। आतंकवाद के खिलाफ युद्ध की खबरें देने वाली अमेरिका स्थित एक समाचार वेबसाइट ने यह जानकारी दी है।
पाकिस्तान ने मंगलवार को कहा था कि उसने अपने यहां सक्रिय आतंकवादी संगठनों पर लगाम लगाने को लेकर वैश्विक समुदाय की ओर से बढ़ते दबाव के बीच जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर के बेटे और भाई समेत प्रतिबंधित संगठन के 44 सदस्यों को ‘‘एहतियात के तौर पर हिरासत’’ में लिया है।
इस्लामाबाद ने यह भी कहा था कि वह प्रतिबंधित आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटा संगठन जमात-उद-दावा से जुड़े सभी संस्थानों को बंद कर रहा है।
यह कार्रवाई जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में 14 फरवरी को पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती हमले के बाद भारत के साथ बढ़े तनाव के बीच लिया है। पुलवामा हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे।
भारत ने हाल ही में पुलवामा हमले को लेकर जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ कार्रवाई करने के लिये पाकिस्तान को एक डॉजियर सौंपा था।
‘लॉंग वॉर जरनल’ ने टिप्पणी की, “यदि अतीत को ध्यान में रखा जाए तो यह कोशिशें पाकिस्तान की धरती से हुए बड़े आतंकवादी हमलों को लेकर पश्चिमी देशों को संतुष्ट करने के लिये महज एक दिखावा है।”
वेबसाइट ने कहा, विडंबना यह है कि पाकिस्तानी जनरलों और सरकारी अधिकारियों ने नियमित रूप से कहा कि आतंकवादी समूहों को पाकिस्तानी धरती पर संचालन की अनुमति नहीं है। फिर भी जमात-उद-दावा रावलपिंडी में स्वतंत्र रूप से अपना काम करता है, उस शहर में जहां पाकिस्तान का सैन्य मुख्यालय मौजूद है।”
टिप्पणी में कहा गया है कि हाफिज सईद को बीते दो दशक के दौरान कम से कम चार बार “एहतियातन हिरासत” में रखा गया, सिर्फ रिहा करने के लिये।
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