इंदौर, 30 जनवरी । बहुचर्चित घटनाक्रम के दौरान पाकिस्तान से वर्ष 2015 में भारत लौटी मूक-बधिर युवती गीता को इंदौर से उज्जैन भेजे जाने की संभावनाओं पर विचार किया जा रहा है। इस सिलसिले में मध्यप्रदेश सरकार के दो विभागों के बीच पत्राचार किया गया है।
गीता, प्रदेश सरकार के सामाजिक न्याय और नि:शक्त कल्याण विभाग की देखरेख में इंदौर की गैर सरकारी संस्था “मूक-बधिर संगठन” के गुमाश्ता नगर स्थित आवासीय परिसर में रह रही है। सरकार उसके माता-पिता की खोज में जुटी है। attacknews.in
इस विभाग के संयुक्त संचालक बी सी जैन ने पुष्टि की कि गीता को उज्जैन के किसी संस्था में भेजे जाने की संभावित प्रक्रिया के बारे में महिला एवं बाल विकास विभाग के एक अधिकारी के सरकारी पत्र का जवाब दिया गया है। attacknews.in
उन्होंने हालांकि इस बारे में विस्तृत जानकारी दिये बगैर कहा, “गीता को इंदौर से बाहर भेजे जाने के बारे में फिलहाल जिला प्रशासन को विदेश मंत्रालय का कोई आदेश नहीं मिला है। अगर हमें इस बारे में कोई आदेश मिलता है, तो हम इसका पालन करेंगे।”
जैन ने यह स्पष्ट नहीं किया कि आख्रिर किस वजह से गीता को इंदौर से उज्जैन भेजे जाने पर विचार किया जा रहा है। attacknews.in
इस बारे में पूछे जाने पर इंदौर के जिलाधिकारी निशांत वरवड़े ने दावा किया कि उन्हें गीता को इंदौर से उज्जैन भेजे जाने के प्रस्ताव के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है।
उन्होंने हालांकि कहा, “गीता भारत की बेटी हैं, उसकी बेहतरी के लिए हमें जो भी कदम उठाने होंगे, हम जरूर उठाएंगे।”
मूक-बधिर संगठन की सांकेतिक भाषा विशेषज्ञ मोनिका पंजाबी वर्मा ने इस संस्था में रह रही गीता की मौजूदा स्थिति को लेकर पूछे गये सवालों पर चुप्पी साध ली।attacknews.in
उन्होंने कहा, “गीता की स्थिति को लेकर हम जिला प्रशासन को नियमित तौर पर रिपोर्ट भेजते रहते हैं। आप इस बारे में प्रशासन से बात कीजिये।”
बहरहाल, गीता को पाकिस्तान से भारत लौटे दो साल से ज्यादा वक्त बीत गया है। लेकिन उसके माता-पिता का अब तक पता नहीं चल सका है। attacknews.in
अब तक देश के अलग-अलग इलाकों के 10 से ज्यादा परिवार गीता को अपनी लापता बेटी बता चुके हैं। लेकिन सरकार की जांच में इनमें से किसी भी परिवार का इस मूक-बधिर युवती पर वल्दियत का दावा फिलहाल साबित नहीं हो सका है।
गीता 7-8 साल की उम्र में पाकिस्तानी रेंजर्स को समझौता एक्सप्रेस में लाहौर रेलवे स्टेशन पर मिली थी। गलती से सरहद पार पहुंचने वाली यह मूक-बधिर लड़की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के विशेष प्रयासों के कारण 26 अक्तूबर 2015 को स्वदेश लौटी थी। इसके अगले ही दिन उसे इंदौर में मूक-बधिरों के लिए चलायी जा रही गैर सरकारी संस्था के आवासीय परिसर भेज दिया गया था। तब से वह इसी परिसर में रह रही है।attacknews.in