इस्लामाबाद, 26 अगस्त । पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लेने की भारत सरकार की वापसी को ‘ऐतिहासिक भूल’ करार दिया और कहा कि वे इस मुद्दे को अगले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा के अधिवेशन में उठाएंगे।
टेलीविजन पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए खान ने भारत पर वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) में पाकिस्तान को काली सूची में डालने का भी आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कश्मीर की विशेष स्वायत्तता को वापस लेकर ‘ऐतिहासिक भूल’ की है और ऐसा करने से उन्होंने कश्मीर की आजादी का रास्ता खोल दिया है।हम इसके लिए किसी भी हद तक जा सकते है और हमारे पास भी हथियार है ।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि उनकी सरकार की नीति भारत, अफगानिस्तान और अन्य देशों के साथ शांतिपूर्ण रिश्ते रखने की है।
श्री खान ने राष्ट्र के नाम संबोधन में कश्मीर के संबंध में अपनी सरकार की नीति से अवगत कराया ।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार की यह नीति रही है कि भारत , अफगानिस्तान और अन्य देशों के साथ शांतिपूर्ण संबंध रखे जायें।
उन्होंने संबोधन में कहा, “ मैंने भारत से कहा है कि यदि वह एक कदम आगे बढ़ेंगे तो हम दो कदम आगे बढ़ेगें। हमारा मुख्य मसला कश्मीर है , किंतु हर बार हम भारत के साथ बातचीत पर आये , उसने मुद्दे से भटकाया और दोष पाकिस्तान पर मढ़ दिया ।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि पुलवामा घटना के बाद भारत ने उसका दोष पाकिस्तान पर मढ़ा । उन्होंने कहा भारत में चुनाव के बाद स्थिति में बदलाव का पाकिस्तान इंतजार कर रहा था, चुनाव के बाद भारत ने पाकिस्तान को एफएटीएफ में ब्लैकलिस्ट कराने का प्रयास किया ।
इससे पहले आज इस्लामाबाद से खबर थी कि, प्रधानमंत्री इमरान खान अपनी खिसक रही सियासी जमीं को बचाने के लिए सोमवार को देश को सम्बोधित करेंगे।
प्रधानमंत्री के सूचना और प्रसारण मामलों के विशेष सहायक फिरदौस आशिक अवान ने कहा था कि प्रधानमंत्री वर्तमान में जम्मू-कश्मीर की स्थिति के बारे में देश को सम्बोधित करेंगे। उन्होंने कहा कि उपने संबोधन में श्री खान जम्मू-कश्मीर के मौजूदा हालात के बारे में विशेष रूप से चर्चा करेंगे।
गौरतलब है कि भारत ने पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटा दिया था तथा राज्य को दो केंद्र प्रशासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया। इसके साथ ही कई राजनीतिक नेताअों समेत अलगाववादी नेताओं को भी हिरासत मेंं ले लिया।
पिछले सप्ताह श्री खान ने अंतरराष्ट्रीय समुदायों को भारत द्वारा कश्मीर में किये जा रहे मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर झूठा प्रचार करने का प्रयास किया था।
उल्लेखनीय है कि श्री खान ने ट्वीट कर कहा था कि , “हम भारत की मीडिया के दावे सुन रहे हैं कि अफगानिस्तान के कुछ आतंकवादी जम्मू कश्मीर में प्रवेश कर चुके हैं जबकि कुछ अन्य ने भारत के दक्षिणी क्षेत्रों में प्रवेश किया है।”
उन्होंने कहा कि ये दावे अनुमान के आधार पर किये जा रहे है। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत कश्मीर में मुस्लिमों पर किये जाने वाले अत्याचार से से ध्यान हटाने के लिये इस एजेंडे का इस्तेमाल कर रहा है।
भारत विश्व का ध्यान भटकाने के लिए झूठ का लेगा सहारा: इमरान
इससे पहले जम्मू-कश्मीर काे विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाये जाने और राज्य को दो हिस्सों में विभाजित कर केंद्र शासित प्रदेश बनाये जाने के फैसले के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की बौखलाहट निरंतर बढ़ती जा रही है और वह भारत के खिलाफ अपनी खीझ मिटाने का कोई अवसर नहीं चूक रहे हैं।
श्री खान ने इस कड़ी में शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चेताया था कि भारत का नेतृत्व संभवत: उसके कब्जे वाले कश्मीर में बड़े पैमाने पर मानवाधिकार उल्लंघन और आतंकवाद मामले पर ध्यान बांटने के लिए झूठ का सहारा लेगा।
श्री खान ने शुक्रवार को एक ट्वीट में लिखा था कि ,“ हम सुन रहे हैं कि भारतीय मीडिया यह दावा कर रहा है कि अफगानिस्तान से कुछ आतंकवादी भारत के कब्जे वाले कश्मीर और अन्य दक्षिण क्षेत्र से आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए घुसे हैं।”
उन्होंने यह दावा कश्मीर में जनसंहार और जातीय खात्मे के एजेंडे से ध्यान भटकाने के लिए किया जा रहा है ।
इससे पहले विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा था कि भारत अपने कब्जे वाले कश्मीर में जनसंहार की दिशा में बढ़ रहा है और भारतीय मीडिया के प्रपंच के प्रति अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अपने नेत्र खोलने की जरूरत है।
विदेश मंत्री ने कहा, “भारत के प्रपंच पर विश्व को संज्ञान लेने की जरूरत है।” उन्होंने कहा, “ यह जी..7 और उसके सदस्य देशों की जिम्मेदारी है कि वह भारत के प्रपंच के प्रति अपने नेत्रों को खोले। यह इस क्षेत्र का मसला है और जी 7 को इसके बारे में अवगत कराने की जरूरत है।”
पाकिस्तान के नेतृत्व की तरफ से यह बयान उन रिपोर्टों के बाद आया है जिसमें शुक्रवार की नमाज से पहले भारत के कब्जे वाले कश्मीर में सुरक्षा प्रबंधों को कड़ा करने का जिक्र है।
मामले को अंतरराष्ट्रीय अदालत ले जाएंगे-
उधर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में मुंह की खाने के बावजूद पाकिस्तान ने कश्मीर का राग अलापना बंद नहीं किया और पाकिस्तान ने कहा कि वह कश्मीर मसले को अब अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में ले जायेगा।
भारत के जम्मू-कश्मीर के पांच अगस्त को विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने और इसका दो भागों में विभाजन कर लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के रुप में दो केंद्र शासित प्रदेश बनाने से पाकिस्तान पूरी तरह तिलमिलाया हुआ है। प्रधानमंत्री इमरान खान की सूचना सलाहकार फिरदौस आशिक अवान ने मंगलवार को कहा था कि कश्मीर के मसले को पाकिस्तान विश्व के एक-एक मंच पर उठायेगा।
आईसीजे में कश्मीर मसले को ले जाने की विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने मंगलवार को पुष्टि की । उन्होंने एक निजी टेलीविजन चैनल से बातचीत में कहा कि यह फैसला सभी कानूनी संभावनाओं पर विचार विमर्श के बाद लिया गया। विदेश मंत्री ने कहा कानून मंत्रालय इस पर कार्य कर रहा है और जल्दी ही विवरण साझा किया जायेगा।
श्री कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान के पास भारत के खिलाफ मजबूत कानूनी मामला है।
उधर डा. अवान ने कहा प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक हुई और इसमें आईसीजे में कश्मीर मसले को ले जाने के लिए श्री खान ने स्वीकृति दी है। सूचना सलाहकार ने आईसीजे में इस मामले को उठाये जाने वाले कुछ मसलों के बारे में संकेत भी दिए ।
डा. अवान ने बताया कि आईसीजे में पाकिस्तान का फोकस “ भारत के कब्जे वाले कश्मीर में मानवाधिकार और जनसंहार ” रहेगा । पाकिस्तान आईसीजे में अपना पक्ष प्रभावी ढंग से रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अधिवक्ताओं की सेवाएं लेगा।