जेनेवा/इस्लामाबाद , 10 सितंबर ।पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में जम्मू-कश्मीर मामले में जिस तरह से मानवाधिकार को लेकर आरोप लगाएं है वे सरासर बनावटी इसलिए है कि खुद पाकिस्तान में कई महीनों से सरकार ने मानवाधिकार आयोग को निष्क्रिय कर रखा है और पाकिस्तान में दिनोंदिन अल्पसंख्यकों के ऊपर अत्याचार किये जाकर जबर्दस्ती धर्मांतरण करवाया जा रहा है ।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने मंगलवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) को भारत से कश्मीर में लागू “कर्फ्यू” तत्काल हटाने तथा संचार व्यवस्था को बहाल करने के लिए अनुरोध करना चाहिए।
श्री कुरैशी ने यहां यूएनएचआरसी के 42वें सत्र में अपने संबाेधन में कहा कि भारत से पैलेट गन के इस्तेमाल पर रोक लगाने, सभी नजरबंद नेताओं को रिहा करने तथा मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को “निशाना” नहीं बनाने के लिए भी कहा जाना चाहिए।
पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने भारत पर जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगाते हुए कहा कि उसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और मानवाधिकार घोषणा पत्रों का पालन करना चाहिए।
उन्होंने परिषद से जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच एक आयोग गठित कर वहां भेजने की मांग की।
उन्होंने कहा कि यदि भारत कुछ नहीं छुपाना चाहता है तो उसे आयोग को वहां जाने की अनुमति देनी चाहिए और पाकिस्तान नियंत्रण रेखा के अपनी ओर आयोग को ऐसी अनुमति देने के लिए तैयार है। भारत से यह भी कहा जाना चाहिए कि वह मानवाधिकार संगठनों तथा अंतरराष्ट्रीय मीडिया को जम्मू-कश्मीर में बेरोकटोक जाने की अनुमति दे। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के लोगों को ‘आत्मनिर्णय का अधिकार’ देने की भी बात कही।
श्री कुरैशी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में भारत ने एकतरफा कदम उठाए जो अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप नहीं हैं। भारत का इन कदमों को अपना आंतरिक मामला बताना अनुचित है।
उल्लेखनीय है कि भारत ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे से संबंधित अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधानों को निरस्त किया है और जम्मू-कष्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने का कानून बनाया है।
पाकिस्तान का निष्क्रिय मानवाधिकार आयोग-
इस्लामाबाद, से खबर है कि,पाकिस्तान का राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग इसके शीर्ष पदाधिकारियों का कार्यकाल पूरा होने की वजह से तीन महीने से अधिक समय से निष्क्रिय पड़ा है, जबकि देश कश्मीर में भारत पर लगातार मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगा रहा है।
डॉन अखबार ने एक रिपोर्ट में कहा कि अध्यक्ष और सात में से छह सदस्यों का चार वर्ष का कार्यकाल गत 30 मई को समाप्त हो चुका है।
आयोग के कर्मचारियों को डर है कि प्रधानमंत्री इमरान खान और नेशनल असेंबली में नेता विपक्ष शहबाज शरीफ के बीच कटु संबंधों की वजह से हो सकता है कि आयोग अभी और समय तक निष्क्रिय रहे।
हालांकि, मानवाधिकार मंत्रालय के महानिदेशक मोहम्मद अरशद ने दैनिक से कहा कि अध्यक्ष और सदस्यों के पदों पर भर्ती के लिए पुन: विज्ञापन निकाला जाएगा। नियुक्तियों की समूची प्रक्रिया के पूर्ण होने में छह से सात महीने लग सकते हैं।