द हेग, 18 फरवरी । पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को आतंकवादी घोषित करने और उनके मामले की सुनवाई प्रकिया में वहां की सरकार की विसंगतियों को भारत ने सोमवार को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में उजागर करते हुए कहा कि राजनयिक संपर्क के बिना उन्हें लगातार हिरासत में रखे जाने को अवैध ठहराया जाना चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भारत का पक्ष रखते हुए विदेश मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी दीपक मित्तल और वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि इस मामले में एक निर्दोष भारतीय नागरिक का जीवन खतरे में है।
श्री साल्वे ने कहा,“ पाकिस्तान ने दृढ़तापूर्वक ऐसा कुछ भी नहीं कहा है कि उनकी सैनिक अदालत ने किस मामले में जाधव को दोषी ठहराया है और जिस तरीके से दिसंबर 2017 में जाधव से उनकी माता और पत्नी की मुलाकात कराई गयी थी उसे लेकर भी भारत निराश है। पाकिस्तान इस पूरे मामले को दुष्प्रचार के लिए इस्तेमाल कर रहा है जबकि खुद उसी पर ही आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने का चौतरफा हमला हो रहा है। इसे देखते हुए इस बात में अब कोई शक नहीं है कि पाकिस्तान जाधव प्रकरण दुष्प्रचार बढ़ा-चढ़ाकर कर रहा है।
उन्होंने कहा, “ यह वियना संधि का घोर उल्लंघन है और जाधव को राजनयिक संपर्क देने के लिए पाकिस्तान बाध्य है तथा जाधव को भी यह सूचना नहीं दी गयी कि राजनयिक संपर्क हासिल करना उनका अधिकार है। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो यह वियना संधि के अनुच्छेद 36 का उल्लंघन होगा। भारत ने इस मामले में पाकिस्तान को 13 रिमाइंडर भेजे हैं लेकिन इन्हें अनुमति नहीं दी गयी है। भारत को इस बारे में कोई उपयुक्त जानकारी भी नहीं है कि पाकिस्तान में इस मामले में क्या प्रगति हुई है।
श्री जाधव ने कहा कि भारत ने पाकिस्तान को कुलभूषण जाधव की पहचान के लिए दस्तावेज उपलब्ध कराए हैं और यह भी कहा है कि पाकिस्तान में उनके खिलाफ चलने वाला कोई भी मुकदमा अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की प्रकियाओं को पूरा नहीं करता हैं।
श्री साल्वे ने कहा कि जाधव ने जो कबूल किया है, उससे ऐसा प्रतीत होता जैसे वह किसी तरह बहलाया-फुसलाया गया हो। भारत ने पाकिस्तान को यह भी याद दिलाया है कि उसकी सरकार ने आपराधिक मामलों में कानूनी सहायता के दक्षेस समझौते का अनुमोदन नहीं किया है।
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