इस्लामाबाद। 25 नवम्बर पाकिस्तान में तहरीके-ए-लब्बैक (टीएलपी) या रसूल अल्लाह नाम के इस्लामिक संगठन का 20 दिन से धरना-प्रदर्शन जारी है।
धरने को खत्म कराने के लिए शनिवार सुबह पाकिस्तानी सुरक्षाबलों ने प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई की। प्रदर्शनकारियों से सख्ती से पेश आने पर वे भडक़ गए और पत्थरबाजी का दौर शुरू हो गया।
प्रदर्शनकारियों की तादाद ज्यादा नहीं है, लेकिन पत्थर-डंडों से छिप-छिपकर किए जा रहे हमलों ने पाकिस्तान के सुरक्षाबलों की नाक में दम कर दिया है।
इस्लामाबाद में जमकर हंगामा हुआ और प्रदर्शनकारी पुलिस से भिड़ गए।
दरअसल,शनिवार सुबह पाकिस्तान सुरक्षाबलों ने फैजाबाद इंटरचेंज पर धरने पर बैठे प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग किया था।
इसके बाद से बवाल खड़ा हो गया। वहीं, पाक सरकार मीडिया को लाइव कवरेज रोकने के आदेश दिए है, क्योंकि लोग इस पुलिस कार्रवाई से आक्रोशित हो सकते है और प्रदर्शन उग्र रूप ले सकता है।
हालांकि, जियो न्यूज समेत पाकिस्तान के कई न्यूज चैनलों ने प्रसारण बंद नहीं किया है। शनिवार सुबह पुलिस और अर्धसैनिक बलों के साढ़े 8 हजार जवानों ने राजधानी इस्लामाबाद के फैजाबाद इंटरचेंज में धरने पर बैठे करीब 2000 प्रदर्शनकारियों को खदेडऩा शुरू किया।
इसके बाद चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई।
प्रदर्शनकारियों ने सडक़ों और बाजारों को बंद कर दिया है। यह धरना 6 नवंबर को टीएलपी नाम के छोटे से इस्लामिक संगठन ने शुरू किया था।
अब प्रदर्शनकारियों ने मुख्य हाइवे को ब्लॉक कर दिया है जिसकी वजह से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। झडप के बाद पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया है।
हालांकि, अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि कितने लोग घायल हुए है। प्रदर्शनकारियों का मानना है कि चुने हुए प्रतिनिधियों के शपथ वाले नियम में इलेक्शन ऐक्ट 2017 के अधिनियम के तहत मोहम्मद साहब की सर्वोच्चता को चुनौती दी गई है।
हालांकि सरकार ने इसे एक मानवीय भूल बताया था। सरकार संसद के एक ऐक्ट के तहत इसमें सुधार कर चुकी है। पर प्रदर्शनकारी कानून मंत्री जाहिद हामिद की इस्तीफे की मांग पर अड़े हुए हैं।attacknews