केंद्र सरकार ने टीईटी के योग्यता प्रमाणपत्र की वैधता अवधि सात वर्ष से बढ़ाकर आजीवन करने की घोषणा की  attacknews.in

 

नयी दिल्ली, तीन जून । सरकार ने शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) के योग्यता प्रमाणपत्र की वैधता अवधि को वर्तमान सात वर्ष से बढ़ाकर आजीवन करने का निर्णय किया है ।

यह निर्णय 2011 से प्रभावी होगा । केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने बृहस्पतिवार को यह घोषणा की।

निशंक ने कहा कि जिन उम्मीदवारों या छात्रों के प्रमाणपत्र की सात वर्ष की अवधि पूरी हो गई है, उनके बारे में संबंधित राज्य सरकार या केंद्र शासित प्रशासन टीईटी की वैधता अवधि के पुनर्निधारण करने या नया टीईटी प्रमाणपत्र जारी करने के लिये जरूरी कदम उठायेंगे ।

शिक्षा मंत्रालय के बयान के अनुसार, निशंक ने कहा कि टीईटी के योग्यता प्रमाणपत्र की वैधता अवधि को वर्तमान सात वर्ष से बढ़ाकर आजीवन करने का निर्णय किया गया है ।

उन्होंने कहा कि इस कदम से शिक्षण के क्षेत्र में अपना करियर बनाने को इच्छुक उम्मीदवारों के लिये रोजगार के अवसर बढ़ेंगे ।

उल्लेखनीय है कि स्कूलों में शिक्षक के रूप में नियुक्ति के लिये किसी व्यक्ति की पात्रता के संबंध में शिक्षक पात्रता परीक्षा का योग्यता प्रमाणपत्र एक जरूरी पात्रता है ।

राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के 11 फरवरी 2011 के दिशानिर्देशों में कहा गया है कि राज्य सरकार टीईटी का आयोजन करेंगी और टीईटी योग्यता प्रमाणपत्र की वैधता की अवधि परीक्षा पास होने की तिथि से सात वर्ष तक होगी।

उत्तराखंड के रामनगर में पुलिस ने सैक्स रैकेट का भंडाफोड़ कर चार महिलाओं समेत नौ लोगों को गिरफ्तार किया attacknews.in

 

नैनीताल, 03 जून । उत्तराखंड के रामनगर में पुलिस ने बुधवार देर रात को अनैतिक देह व्यापार (सैक्स रैकेट) का भंडाफोड़ कर चार महिलाओं समेत नौ लोगों को गिरफ्तार किया है।

रामनगर थाना में तैनात वरिष्ठ उपनिरीक्षक जयपाल ने बताया कि चोरपानी क्षेत्र में लंबे समय से अनैतिक देह व्यापार की शिकायत मिल रही थी।

क्षेत्र के लोगों की ओर से पुलिस में इस मामले की मौखिक शिकायत की गयी थी।

लोगों का आरोप था कि इससे क्षेत्र का माहौल खराब हो रहा है।

इसके बाद पुलिस ने मामले की जांच की तो शिकायत सही निकली।

आरोपियों को पकड़ने के लिये एसओजी और पुलिस की एक टीम का गठन किया गया।

टीम ने पहले ग्राहक बनकर सैक्स रैकेट चलाने वाले सरगना रोहित और शंकर से बात की और पांच हजार रुपये में मामला तय हो गया।

इसी दौरान देर रात पुलिस की दूसरी टीम ने मौके पर छापा मारकर कुल नौ लोगों को गिरफ्तार कर लिया।

गिरफ्तार लोगों में रोहित और शंकर के अलावा हर्षित, मुनीष तथा इरशाद शामिल हैं।

इनके अलावा इस धंधे में शामिल चार महिलाओं को भी गिरफ्तार किया गया है।

सभी काशीपुर और चोरपानी क्षेत्र की रहने वाली हैं।

पुलिस को पता चला कि आरोपी ग्राहक से 2500 रुपये वसूलते थे और उस राशि का बराबर बांट लेते थे।

पुलिस आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर आवश्यक कार्रवाई में जुट गयी है।

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने जूनियर डाक्टर की हड़ताल को अवैधानिक करार देते हुए सभी डाक्टरों को 24 घंटों में काम लौटने के आदेश दिये;सरकार ने भी जूनियर डॉक्टर्स को चेताया attacknews.in

 

जबलपुर/भोपाल , 03 जून । मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने जूनियर डाक्टर की हड़ताल को अवैधानिक करार देते हुए सभी जूनियर डाक्टरों को 24 घंटों में काम लौटने के आदेश दिये हैं।

मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक तथा न्यायाधीश सुजय पाॅल की युगलपीठ ने प्रदेशव्यापी जूनियर डाॅक्टरों की हडताल को अवैध करार दिया है।

युगलपीठ ने जूनियर डाॅक्टरों को 24 घंटो में काम पर लौटने के आदेश दिये हैं।

निर्धारित समय सीमा पर जूनियर डाॅक्टर हड़ताल समाप्त कर काम पर नहीं लौटते है तो सरकार उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही करें।

युगलपीठ ने कोरोना महामारी काल में जूनियर डाॅक्टर के हडताल पर कहा है कि विपत्तिकाल में जूनियर डाॅक्टर की हडताल को किसी प्रकार से प्रोत्साहित नहीं किया जा सकता है।

जबलपुर स्थित सिविल लाइन निवासी अधिवक्ता शैलेन्द्र सिंह ने जूनियर डाॅक्टर की प्रदेशव्यापी हडताल के खिलाफ याचिका दायर किया था।

आवेदन में कहा गया था कि चिकित्सा संघ द्वारा प्रदेशव्यापी हडताल के खिलाफ साल 2014 में उक्त याचिका दायर की थी।

जिसकी सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 25 जुलाई 2018 को जारी अपने आदेश में चिकित्सा सेवा को अतिआवष्यक सेवा घोषित किया था।

अत्यावश्यक सेवा संधारण के तहत चिकित्सा सेवा के कर्मचारी सामुहिक अवकाश तथा हडताल पर नहीं जा सकते है।

उक्त आदेश के बाद भी प्रदेश के जूनियर डाॅक्टर 31 मई से हडताल पर है।

उन्होंने कोरोना वार्ड में भी अपनी सेवा प्रदान करना बंद कर दी है।

याचिका में बताया गया कि कोरोना महामारी में जूनियर डाॅक्टरों की हडताल के कारण स्वास्थ सेवाएं प्रभावित हो रही।

ऐसे में पूर्व में पारित आदेश का परिपालन नहीं करने पर हडतालरत जूनियर डाॅक्टरों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की जाये।

इसके अलावा उनके खिलाफ इंडियन मेडिकल काउसिंल रेगुलेशन 2002, आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत कार्यवाही की जाये।

सरकार को ओपीडी तथा स्वास्थ सेवा सुचारू रूप से संचालित करने के निर्देश दिये जाये।

याचिका पर आज हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने जूनियर डाॅक्टर मेडिकल एसोसिएशन को हड़ताल वापस लेने के लिए दोपहर ढाई बजे तक का समय प्रदान किया।

सुनवाई के बाद युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किये।

सरकार ने एक तरह से चेताया जूनियर डॉक्टर्स को:

इधर मध्यप्रदेश में जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (जूडा) की हड़ताल के बीच आज यहां राज्य के चिकित्सा शिक्षा आयुक्त निशांत बरबड़े ने कहा कि आवश्यक सेवा अधिनियम (एस्मा) और आपदा प्रबंधन अधिनियम प्रत्येक नागरिक पर एकरूप में लागू होते हैं।

श्री बरबड़े ने यहां मीडिया से चर्चा में यह बात कही। उन्होंने कहा कि जूनियर डॉक्टर्स मुख्य रूप से छात्र हैं और स्नातकोत्तर की पढ़ाई करते हैं। साथ ही मरीजों को भी देखने का कार्य करते हैं। उन्होंने जूनियर डॉक्टर्स के हित में उठाए गए सरकारी कदमों का जिक्र करते हुए कहा कि स्टाइपेंड में बढ़ोत्तरी के संबंध में भी सरकार आगे बढ़ रही है। उनकी चिकित्सा सुविधाएं बढ़ायी गयी हैं।

केंद्र सरकार ने न्यूनतम वेतन सीमा और राष्ट्रीय मजदूरी दर का निर्धारण करने के लिए एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया attacknews.in

नईदिल्ली 3 जून ।भारत सरकार के श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय ने एक आदेश जारी कर न्यूनतम वेतन सीमा और राष्ट्रीय मजदूरी दर का निर्धारण करने के वास्ते तकनीकी इनपुट तथा सिफारिशें देने के लिए एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया है।समूह का कार्यकाल सूचना जारी होने से तीन साल का होगा।

इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ के निदेशक प्रोफेसर अजीत मिश्र की अध्यक्षता वाले इस समूह के अन्य सदस्यों में आईआईएम कोलकाता के प्रोफेसर तारिक चक्रवर्ती, एनसीएईआर की वरिष्ठ फैलो डॉ अनुश्री सिन्हा, संयुक्त सचिव श्रीमति विभा भल्ला और वीवीजीएनएलआई के महानिदेशक डॉ एच श्रीनिवास शामिल हैं। इनके अलावा श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय में श्रम एवं रोज़गार मामलों के वरिष्ठ सलाहकार श्री डीपीएस नेगी इस समूह के सदस्य सचिव होंगे।

यह विशेषज्ञ समूह भारत सरकार को न्यूनतम वेतन और राष्ट्रीय मजदूरी दर के निर्धारण के संबंध में अपनी सिफारिशें देगा। मजदूरी दर तय करने के लिए समूह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस संबंध में जारी सबसे अच्छी व्यवस्थाओं पर विचार करेगा और मजदूरी दर को तय करने के लिए वैज्ञानिक मानदंड और प्रक्रिया तय करेगा।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 की वैक्सीन के 30 करोड़ टीके खरीदने के लिये मेसर्स बायोलॉजिकल-ई लिमिटेड, हैदराबाद के साथ अग्रिम भुगतान को अंतिम रूप दिया attacknews.in

नयी दिल्ली 03 जून । केंद्र हैदराबाद की फर्म बॉयलोजिकल-ई से 30 करोड़ काेविड वैक्सीन डोज की खरीद करेगा।

गुरुवार को जारी आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गयी।

सौदे के मुताबिक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय फर्म को 1,500 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान करेगा तथा अगस्त-दिसंबर 2021 से निर्माता द्वारा वैक्सीन निर्माण और भंडार किया जाएगा। फिलहाल बायोलॉजिकल-ई की वैक्सीन के तृतीय चरण का क्लीनिकल परीक्षण चल रहा है।

बयान में कहा गया है कि बायोलॉजिकल-ई द्वारा विकसित किया जा रहा वैक्सीन एक आरबीडी प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन है और इसके अगले कुछ महीनों में उपलब्ध होने की संभावना है।
बयान के मुताबिक राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह ने मेसर्स बायोलॉजिकल-ई के प्रस्ताव की जांच की और उसके अध्ययन के बाद अनुमोदन के लिए सिफारिश की गयी।

बयान में कहा गया है कि मैसर्स बायोलॉजिकल-ई के साथ यह सौदा केंद्र सरकार की उस व्यापक पहल का हिस्सा है, जो स्वदेशी वैक्सीन निर्माताओं को अनुसंधान एवं विकास के लिए वित्तीय सहायता के जरिए प्रोत्साहित करना है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने हैदराबाद की वैक्सीन बनाने वाली कंपनी बायोलॉजिकल-ई लिमिटेड के साथ कोविड-19 की वैक्सीन की 30 करोड़ खुराकों के लिये अग्रिम व्यवस्था को अंतिम रूप दे दिया है।

वैक्सीन की ये खुराकें मेसर्स बायोलॉजिकल-ई कंपनी बनायेगी और उनका भंडारण करेगी। इसकी अवधि अगस्त से दिसंबर, 2021 तय की गई है। इस उद्देश्य को मद्देनजर रखते हुये स्वास्थ्य मंत्रालय, मेसर्स बायोलॉजिकल-ई को 1500 करोड़ रुपये अग्रिम दे रहा है।

बायोलॉजिकल-ई की कोविड-19 वैक्सीन इस समय तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल से गुजर रही है। पहले और दूसरे क्लीनिकल ट्रायल में बेहतर नतीजे मिले थे। वैक्सीन को बायोलॉजिकल-ई ने विकसित किया है, जो आरबीडी प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन है। संभावना है कि अगले चंद महीनों में यह उपलब्ध हो जायेगी।

मेसर्स बायोलॉजिकल-ई के वैक्सीन प्रस्ताव पर नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप ऑन वैक्सीन एडमिनेस्ट्रेशन फॉर कोविड-19 (नेगवैक) ने चर्चा और पड़ताल करने के बाद उसे मंजूर करने की सिफारिश की थी।

मेसर्स बायोलॉजिकल-ई के साथ जो यह व्यवस्था की गई है, वह केंद्र सरकार के उस बड़े प्रयास का हिस्सा है, जो सरकार स्वदेशी वैक्सीन निर्माताओं को प्रोत्साहन देने के लिये कर रही है। इसके हवाले से सरकार स्वदेशी कंपनियों को अनुसंधान व विकास में सहयोग कर रही है तथा वित्तीय सहायता भी प्रदान कर रही है।

बायोलॉजिकल-ई कोविड वैक्सीन की किस्म को भारत सरकार क्लीनिकल पूर्व चरण से तीसरे चरण के अध्ययन तक समर्थन देती आ रही है।

बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने न केवल 100 करोड़ रुपये के अनुदान के रूप में वित्तीय सहायता दी है, बल्कि विभाग बायोलॉजिकल-ई के साथ साझेदारी भी कर रह है। वैक्सीन सम्बंधी जंतुओं पर प्रयोग और अध्ययन का काम ट्रांसलेशनल स्वास्थ्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, फरीदाबाद के जरिये किया गया।

इस जिम्मेदारी को भारत सरकार के ‘मिशन कोविड सुरक्षा-भारतीय कोविड-19 वैक्सीन विकास मिशन’ के तहत पूरा किया जा रहा है। इसके हवाले से आत्मनिर्भर 3.0 के तीसरे प्रोत्साहन पैकेज के जरिये देश में कोविड-19 के विकास में तेजी लाने के प्रयास किये जा रहे हैं।

मिशन का उद्देश्य है सभी भारतवासियों को एक सुरक्षित, कारगर, सस्ती और आसानी से उपलब्ध कोविड वैक्सीन का बंदोबस्त करना। यह मिशन पांच-छह किस्म की कोविड-19 वैक्सीन के विकास को सहयोग कर रहा है। इनमें से कुछ को लाइसेंस मिलने वाला है और जन स्वास्थ्य प्रणाली में उन्हें शामिल किया जाना है। इससे न केवल कोविड-19 वैक्सीन विकास के प्रयासों में तेजी आई है, बल्कि देश में वैक्सीन विकास के ईको-सिस्टम को भी मदद मिली है। इस प्रयास से अन्य वैक्सीनों के विकास के लिये मौजूदा और भावी अनुसंधान व विकास को भी सहायता मिलेगी।

पटना उच्च न्यायालय ने बिहार सरकार को कुछ शर्तों के साथ सवा लाख शिक्षकों की बहाली की इजाजत दी attacknews.in

पटना 03 जून।पटना उच्च न्यायालय ने बिहार सरकार को कुछ शर्तों के साथ सवा लाख शिक्षकों की बहाली की इजाजत दे दी है ।

उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने गुरुवार को नेशनल ब्लाइंड फेडरेशन और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई के बाद राज्य सरकार को कुछ शर्तों के साथ सवा लाख शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया शुरू करने की इजाजत दे दी ।

खण्डपीठ ने वैसे दिव्यांग शिक्षक अभ्यर्थियों को आवेदन करने की छूट दी है जो विज्ञापन की तिथि यानी वर्ष 2019 में विज्ञापन की तिथि को आवेदन करने के योग्य थे ।

ऐसे उम्मीदवार अब जारी होने वाली अधिसूचना की तिथि से पंद्रह दिनों के भीतर आवेदन कर सकते हैं।

इससे पूर्व राज्य के महाधिवक्ता ललित किशोर ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने नियुक्ति में चार प्रतिशत का लाभ दिव्यांग उम्मीदवारों को देने की याचिकाकर्ताओं की एक बड़ी मांग मान ली है ।

राज्य सरकार ने दिव्यांगों को चार फीसदी आरक्षण देने के संबंध में प्रावधानों का अनुपालन कर दिया है और उसी प्रकार से सारी चयन प्रक्रिया की जायेगी।

उच्च न्यायालय ने इसके बाद याचिकाओं का निष्पादन करते हुए शिक्षकों की बहाली पर लगाई गई रोक हटा दी ।

उत्तरप्रदेश के डीएसपी ने पहले विवाह को छुपाकर मुस्लिम महिला पत्रकार से निकाह करने के लिए इस्लाम कबूला और इसे भी छुपाया,जांच की मांग attacknews.in

लखनऊ,03 जून । भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी रहे अमिताभ ठाकुर और उनकी समाजसेवी पत्नी डॉ0 नूतन ठाकुर ने उत्तर प्रदेश के एक डिप्टी एसपी पर इस्लाम कबूल कर धोखे से दूसरी शादी करने के गंभीर आरोप लगाते हुए मामले की जांच कराने मांग करते हुए अधिकारियों को पत्र लिखा है।

इस संबंध में ठाकुर दम्पति ने आज पुलिस महानिदेशक को लिखे पत्र में कहा है कि खुद को डिप्टी एसपी की दूसरी पत्नी बताने वाली एक महिला ने उन्हें बताया कि वह पत्रकार हैं तथा पूर्व में रायबरेली में तैनात रहे एक डिप्टी एसपी की दूसरी पत्नी हैं।

डीएसपी ने लगभग तीन वर्ष पूर्व उससे शादी की और वह कई स्थानों पर पति-पत्नी के रूप में रहे। डिप्टी एसपी ने उससे लम्बे समय तक अपनी पहली पहली शादी को छिपाया। पहली शादी 10-12 साल पहले की थी और उनके बड़े-बड़े बच्चे होने की जानकारी मिली।

ठाकुर दम्पति ने पत्र में लिखा कि डिप्टी एसपी ने मात्र शादी के लिए पहले इस्लाम कबूल किया और फिर निकाह किया।

साथ ही रजिस्ट्रार के कार्यालय में भी शादी की।

जब सब जानने के बाद पीड़ित महिला ने तलाक देने को कहा तो डिप्टी एसपी ने साफ इंकार कर दिया।

डीजीपी सहित अन्य अधिकारियों को इस संबंध में भेजी अपनी शिकायत में अमिताभ तथा नूतन ने कहा कि यदि ये आरोप सही हैं तो यह अत्यंत ही गंभीर श्रेणी का कदाचार है।

अतः उन्होंने इन तथ्यों की जांच कराते हुए नियमानुसार विधिक तथा प्रशासनिक कार्रवाई का अनुरोध किया है।

राजस्थान में आठ वर्षीय बालिका के साथ बलात्कार, आरोपी फरार attacknews.in

अलवर 03 जुन । राजस्थान में अलवर जिले के नौगांवा थाना क्षेत्र में एक आठ वर्षीय बालिका के साथ दुष्कर्म करने का मामला सामने आया है।

पुलिस के अनुसार बच्ची के पिता ने रिपोर्ट में लिखा है कि एक जून की सुबह वह किसी कार्य से घर से बाहर गया हुआ था और उसकी पत्नी जंगल में लकड़ी लेने चली गई थी।इसी दौरान घर में उसका दस वर्षीय पुत्र एवं आठ वर्षीय बच्ची अकेले थे।

इस दौरान पड़ोसी युवक मलकीत सिंह दीवार कूदकर घर में घुस गया।घर मे मौजूद पुत्र को मारपीट कर घर से भगा दिया और बेटी को रसोई में ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया।

घटना की सूचना के बाद पुलिस अधीक्षक ओमप्रकाश मीना मोके पर पहुंचे और घटना की जानकारी लेकर आरोपी को शीघ्र गिरफ्तार करने के निर्देश दिए।

पीड़ित बच्ची के पिता ने पड़ोसी युवक मलकीत जाति ओढ़ निवासी हाजीपुर थाना नौगांवा के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई।

पुलिस ने बच्ची का रामगढ़ के सरकारी अस्पताल में मेडिकल कराया है और पीड़ित बच्ची के बयान दर्ज किए गए है।पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

मध्यप्रदेश में कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के प्रभावित होने की आशंका के चलते 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों के माता और पिता को टीकाकरण में प्राथमिकता देने निर्णय attacknews.in

भोपाल, 03 जून ।कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के प्रभावित होने की आशंका के चलते मध्यप्रदेश में 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों के माता और पिता को कोरोना टीकाकरण के दौरान प्राथमिकता देने का अहम निर्णय आज लिया गया।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वीडियो संदेश के माध्यम से यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया गया है, लेकिन तीसरी लहर आने की आशंका जताई जा रही है।

श्री चौहान ने कहा कि हमने तीसरी लहर के मुकाबले के लिए तैयारियां प्रारंभ कर दी हैं।

अब भी आशंका व्यक्त की जा रही है कि तीसरी लहर का ज्यादा असर बच्चों पर होगा।

इस आशंका को देखते हुए एक तरफ जहां, सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर बनाने का फैसला किया है।

वहीं विशेषकर बच्चों के अलग-अलग स्तर पर विशेष वार्ड बनाने का फैसला किया गया है।

उन्होंने कहा कि यह फैसला भी किया है, जिन माता पिता के बच्चों की उम्र 12 साल से कम है, उनको टीकाकरण में प्राथमिकता देंगे।

अगर किसी बच्चे को संक्रमण हुआ, तो उसके साथ माता या पिता का रहना बहुत आवश्यक है।

इसलिए उनका टीकाकरण हो जाएगा, तो वह संक्रमण से मुक्त रहेंगे और अपने बच्चों की देखभाल करते रहेंगे।

श्री चौहान के अनुसार उनके ध्यान में यह तथ्य भी आया कि मध्यप्रदेश के अनेक बेटे बेटियां शिक्षा प्राप्त करने के लिए विदेशों में भी जाते हैं।

इसलिए हमने यह फैसला भी किया है, जिन बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए विदेश जाना है, उनको भी प्राथमिकता के आधार पर टीके लगाएंगे।

ताकि वह सुरक्षित विदेश जा सकें और शिक्षा प्राप्त कर सकें।

मध्यप्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर ने अप्रैल और मई माह में भारी तबाही मचायी थी और निकट भविष्य में तीसरी लहर आने की आशंका भी जतायी जा रही है।

इसके मद्देनजर सरकार ने स्वास्थ्य सुविधाअों को लेकर काफी तैयारियां प्रारंभ कर दी हैं।

केन्द्र सरकार और असम के कार्बी विद्रोही संगठन के बीच अगले हफ्ते किसी भी समय शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए जा सकते हैं attacknews.in

गुवाहाटी,03 जून । असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व शर्मा ने कहा है कि केन्द्र सरकार और कार्बी विद्रोही संगठन के बीच अगले हफ्ते किसी भी समय शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए जा सकते हैं।

श्री शर्मा ने कहा“ संबंधित पक्षों के बीच अंतिम बातचीत जारी है और यह समझौता अगले हफ्ते किसी भी समय हो सकता है।”

उन्होंने बताया कि हाल ही उनकी नयी दिल्ली यात्रा के दौरान इस मसले पर केन्द्रीय गृह सचिव और इंटेलीजेंस ब्यूरो के अधिकारियों के साथ बातचीत हुई थी।

उन्होंने कहा कि असम सरकार ने अपनी तरफ से इस समझौते के लिए सहमति दे दी है। यह समझौता कार्बी संगठन , केन्द्र सरकार और असम सरकार के बीच होगा।

“कोरोनिल”किट को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट का समन,बाबा रामदेव को निर्देश दिया कि वह सुनवाई की अगली तारीख तक कोई भड़काऊ बयान न दें attacknews.in

नयी दिल्ली, 03 जून । दिल्ली उच्च न्यायालय ने कोरोनिल किट को लेकर दायर दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए) की याचिका की सुनवाई करते हुए योग गुरु बाबा रामदेव को गुरुवार को समन जारी किया।

डीएमए ने न्यायालय में दायर की अपनी याचिका में दावा किया था कि रामदेव की कंपनी पतंजलि कोरोनिल किट प्रोडक्ट के जरिए कोरोना वायरस बीमारी को लेकर गलत जानकारी का प्रचार कर रही है।

पतंजलि ग्रुप के संस्थापक रामदेव बीते कई दिनों से एलोपैथी को लेकर अपने विवादों में बने हुए हैं। उनके एलोपैथी के डॉक्टर के मजाक बनाने वाले कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने इस पर एतराज जताते हुए इसे विज्ञान और डाक्टरों की छवि को धूमिल करने का प्रयास करार दिया था। एक वीडियो में रामदेव ने दावा किया था- ‘एलोपैथी स्टुपिड साइंस है।’

अदालत ने कहा कि अगर मुझे लगता है कि कुछ विज्ञान नकली है … क्या आपका मानना है कि वे मेरे खिलाफ मुकदमा दायर करेंगे? यह एक जनमत है। रामदेव एक व्यक्ति हैं, उन्हें एलोपैथी में विश्वास नहीं है। उनका (रामदेव का) मानना है कि योग और आयुर्वेद से सब कुछ ठीक हो सकता है। एक व्यक्ति राय रख सकता है जिसके लिए उसके खिलाफ मुकदमा दायर नहीं किया जा सकता है।

न्यायाधीश सी हरि शंकर ने डीएमए की ओर से दलीलें सुनने के बाद बाबा रामदेव को एलोपैथिक दवाओं के खिलाफ कोई भी बयान देने से रोकने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि यह सिर्फ एक ‘राय’ थी।

अदालत ने रामदेव के वकील को मौखिक रूप से यह भी निर्देश दिया कि वह सुनवाई की अगली तारीख तक कोई भड़काऊ बयान न दें और मामले को जवाब दाखिल करने और आगे की सुनवाई के लिए 13 जुलाई तक स्थगित कर दिया।

पंजाब नेशनल बैंक धोखाधड़ी में भारत से फरार आरोपी हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी की डोमिनिका में जमानत याचिका खारिज attacknews.in

नयी दिल्ली 03 जून। पंजाब नेशनल बैंक धोखाधड़ी में फरार आरोपी हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी की गुरुवार को डोमिनिका में जमानत याचिका खारिज हो गयी।

स्थानीय मीडिया ने यह जानकारी दी है। चोकसी अवैध रूप से कैबिरियाई देश में प्रवेश करने के आरोप में गिरफ्तार हुआ है।

इससे पहले उच्च न्यायालय ने बुधवार को चोकसी की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के दौरान उसे मजिस्ट्रेट कोर्ट के समक्ष पेश करने का आदेश दिया था।

चोकसी ने अपनी याचिका में कहा है कि वह अवैध रूप से डोमिनिका में प्रवेश करने का दोषी नहीं है। उसने कहा है कि उसका अपहरण कर लिया गया था और पड़ोसी देश एंटीगुआ और बारबुडा से डोमिनिका लाया गया था।

डोमिनिका न्यूज ऑनलाइन ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि पीठासीन मजिस्ट्रेट कैंडिया कैरेट-जॉर्ज ने अपने आदेश में अभियोजक का पक्ष लिया और कहा कि मामले की ‘गंभीरता’ को देखते हुए, वह आश्वस्त नहीं है कि चोकसी अपने मुकदमे में भाग लेने के लिए डोमिनिका में रहेगा।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रोसेउ मजिस्ट्रेट कोर्ट में उसकी (चोकसी) जमानत याचिका खारिज हो गयी तथा मामले को 14 जून तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

उल्लेखनीय है कि चोकसी पर साढ़े 13 हजार करोड़ रुपये के पीएनबी घोटाले का आरोप है।

पाकिस्तान से भारत में नशीले पदार्थों की तस्करी: राजस्थान खाजूवाला सैक्टर में बीएसएफ ने अंतर्राष्ट्रीय सीमा से पौने तीन अरब रुपए की हेरोइन बरामद की attacknews.in

श्रीगंगानगर, 03 जून । राजस्थान के बीकानेर जिले में खाजूवाला सैक्टर में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने पाकिस्तान से लगती अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर करीब पौने तीन अरब रुपए की हेरोइन बरामद की है।

बल को बुधवार देर रात यह बड़ी सफलता मिली, जब पाकिस्तान की ओर से भारतीय क्षेत्र में फैंकी गई हेरोइन की एक बड़ी खेप बरामद हुई। देर रात लगभग डेढ बजे खाजूवाला सैक्टर की बंधली पोस्ट पर तैनात बीएसएफ के जवानों ने तारबंदी पर कुछ संदिग्ध हलचल देखी।

मुस्तैद जवानों ने तारबंदी के उस पार दिखाई दे रहे संदिग्ध व्यक्तियों को ललकारा। संदिग्ध व्यक्ति भागने लगे तो जवानों ने उन पर फायरिंग भी की लेकिन पाकिस्तानी तस्कर वापस भाग जाने में कामयाब हो गए।

इस खेप को लेने आए भारतीय क्षेत्र के कोई संदिग्ध तस्कर भी पकड़ में नहीं आए लेकिन बीएसएफ को तारबंदी के समीप सीमा पार से फेंके गए हेरोइन के 54 पैकेट मिले हैं।

प्रत्येक पैकेट में लगभग एक किलो हेरोइन लगती है। इसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगभग 54 किलो इस हेरोइन की कीमत 275 करोड़ आंकी जा रही है।

राजस्थान में पाकिस्तान से लगती सीमा पर बीएसएफ द्वारा हाल के वर्षों में पाक तस्करों की हेरोइन तसकरी को नाकाम करते हुए लगभग पौने तीन अरब की हेरोइन बरामद करने की यह सबसे बड़ी कार्यवाही मानी जा रही है।

घटना की सूचना मिलते ही बीकानेर से बीएसएफ के उपमहानिरीक्षक पुष्पेंद्र सिंह राठौड़ और बीएसएफ की खुफिया शाखा जी-ब्रांच के अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं। आगे इस मामले की जांच के लिए जोधपुर से नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की टीम को बुलाया गया है।

बीएसएफ सूत्रों के अनुसार कल रात सीमावर्ती खाजूवाला इलाके में जबरदस्त आंधी तूफान का मौसम था। इसी का फायदा उठाते हुए पाक तस्कर उन्हें नशे की इस बड़ी खेप को भारतीय सीमा तस्करों तक पहुंचाने की कोशिश की।

भारतीय क्षेत्र में इस खेप को लेने आये तस्करों को पकड़ने के लिए रात को ही आसपास की ढाणियों तथा खाजूवाला कस्बे तक सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया गया। हेरोइन बरामदगी के इस बड़े मामले की जांच के लिए

एनसीबी के जोधपुर मुख्यालय से एक टीम रवाना हो गई ।

“एक्स-रे सेतु” के द्वारा छाती के एक्स-रे से व्हाट्सएप पर होगी कोरोना पाजिटिव मरीजों की पहचान,इसे आर्टपार्क (एआई एंड रोबोटिक टेक्नोलॉजी पार्क) ने किया हैं विकसित attacknews.in

कृत्रिम बौद्धिकता प्लेटफार्म से व्हॉट्स-एप्प के जरिये कोविड के मामले में शीघ्र कार्रवाई करने की सुविधा

नईदिल्ली 2 जून । कोविड-19 के खिलाफ फौरन कार्रवाई करने के लिये कृत्रिम बौद्धिकता आधारित प्लेटफार्म का सहारा लिया जायेगा। इसके तहत छाती का एक्स-रे करके उसे डॉक्टरों के पास व्हॉट्स-एप्प के जरिये भेज दिया जायेगा। डॉक्टर उसे एक्स-रे मशीन पर देख सकते हैं। इस प्रक्रिया का नाम एक्स-रे सेतु रखा गया है और कम रेजोल्यूशन वाली फोटो को मोबाइल के जरिये भेजा जा सकता है। ग्रामीण इलाकों में कोविड की जांच और कार्रवाई के हवाले से इससे आसानी और तेजी से काम हो सकता है।

भारत के ग्रामीण इलाकों में कोविड ने कहर बरपा कर रखा है, जिसे मद्देनजर रखते हुये, तेज गति से जांच करना, यह जानना कि किस मरीज का किन-किन लोगों से संपर्क हुआ और कंटेनमेंट जोन बनाना बहुत जरूरी हो गया है। कुछ शहरों में कोविड जांच में एक सप्ताह से भी ज्यादा समय लग जाता है, ऐसी स्थिति में ग्रामीण इलाकों में चुनौती बहुत कठिन है। आसान वैकल्पिक जांचों की जरूरत है, क्योंकि आरटी-पीसीआर जांच से भी कभी-कभी कुछ वैरियंट्स के मामले में ‘फाल्स निगेटिव’ रिपोर्ट आ जाती है। इसका मतलब है कि जांच में वैरियंट विशेष का पता नहीं लग पाता।

आर्टपार्क (एआई एंड रोबोटिक टेक्नोलॉजी पार्क) लाभ न कमाने वाली संस्था है, जिसे भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरू ने स्थापित किया है। इसमें भारत सरकार की संस्था विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग का सहयोग है। बेंगलुरू स्थित हेल्थ-टेक स्टार्ट-अप निरामय और भारतीय विज्ञान संस्थान ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के साथ मिलकर एक्स-रे सेतु का विकास किया है। इसे कोविड पॉजीटिव मरीजों की पहचान करने और व्हाट्स-एप्प के जरिये उनकी छाती के एक्स-रे को कम रेजूल्युशन पर डॉक्टर तक भेजने की सुविधा के लिये तैयार किया गया है।

इसमें प्रभावित इलाकों का विश्लेषण और उसे रंगों के जरिये मानचित्र (हीटमैप) द्वारा समीक्षा भी की जायेगी। यह समीक्षा डॉक्टरों के लिये उपलब्ध रहेगी, ताकि वे आसानी से हालात के बारे में जान सकें। इसके जरिये भारत के दूर-दराज इलाकों से 1200 से अधिक रिपोर्ट मिली हैं।

स्वास्थ्य की जांच करने के लिये किसी भी डॉक्टर को सिर्फ www.xraysetu.com पर जाकर ‘ट्राई दी फ्री एक्स-रे सेतु बीटा’ बटन को क्लिक करना है। उसके बाद यह प्लेटफार्म उन्हें सीधे दूसरे पेज पर ले जायेगा, जहां उक्त डॉक्टर वेब या स्मार्टफोन एप्लीकेशन के जरिये व्हॉट्स-एप्प आधारित चैट-बॉट से जुड़ जायेंगे।इसके अलावा डॉक्टर लोग एक्स-रे सेतु सेवा शुरू करने के लिये +91 8046163838 पर व्हॉट्स-एप्प संदेश भेज सकते हैं। उन्हें बस मरीज के एक्स-रे इमेज को क्लिक करना है और चंद मिनटों में ही सम्बंधित तस्वीरें और निदान की पूरी व्याख्या वाले दो पेज निकल आयेंगे। कोविड-19 का किसी विशेष स्थान पर ज्यादा प्रभाव डालने की संभावना को ध्यान में रखते हुये, रिपोर्ट में डॉक्टरों की सुविधा के लिये हीट-मैप का भी उल्लेख रहेगा।

इंग्लैंड के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ने 1,25,000 से अधिक एक्स-रे तस्वीरों को इस प्रक्रिया से जांचा है। इसी तरह एक्स-रे सेतु से एक हजार से अधिक भारतीय कोविड मरीजों की जानकारी हासिल की गई है। इस प्रक्रिया के शानदार नतीजे निकले हैं। आंकड़ों की संवेदनशीलता 98.86 प्रतिशत और सटीकता 74.74 प्रतिशत है।

आर्टपार्क के संस्थापक और सीईओ श्री उमाकांत सोनी का कहना है, “हमें 1.36 अरब लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुये प्रौद्योगिकी का विकास करना है।

उल्लेखनीय है कि इस समय हमारे यहां एक लाख लोगों पर एक रेडियोलॉजिस्ट है। उद्योग और अकादमिक जगत के सहयोग से एक्स-रे सेतु ने कृत्रिम बौद्धिकता जैसी शानदार प्रौद्योगिकी के बल पर आगे बढ़कर बेहतरीन स्वास्थ प्रौद्योगिकी संभव की है, जो ग्रामीण इलाकों के लिये है और बहुत सस्ती है।”

निरामय की संस्थापक और सीईओ डॉ. गीता मंजुनाथ ने कहा, “निरामय ने आर्टपार्क और आईआईएससी के साथ सहयोग किया है, ताकि एक्स-रे मशीन तक पहुंच रखने वाले ग्रामीण क्षेत्रों में सेवारत डॉक्टरों को कोविड की तेज जांच और उसके उपचार की सुविधा मिल सके। एक्स-रे सेतु में छाती के एक्स-रे का मूल्यांकन अपने-आप होता है और उससे पता चल जाता है कि आगे मरीज को फेफड़े की कोई समस्या होने वाली है या नहीं। इससे कोविड-19 के संक्रमण का पता लग जाता है।”

आईआईएससी के प्रो. चिरंजीब भट्टाचार्य ने कहा, “कोविड पॉजीटिव एक्स-रे इमेज का अभाव होने के कारण हमने एक अनोखी ट्रांस्फर लर्निंग खाका तैयार किया है, जो आसानी से फेफड़ों का एक्स-रे उपलब्ध करा देता है। यह सिर्फ कोविड पॉजीटिव ही नहीं बताता, बल्कि आगे की संभावित जटिलताओं का संकेत भी देता है। हमने संक्रमित फेफड़ों के लिये भी प्रक्रिया का विकास किया है। इस प्रणाली में आगे के लिये संकेत, संक्रमित हिस्सों की भी जानकारी मिलती है।”

कोविड-19 प्लेटफार्म के अलावा इस प्लेटफार्म से फेफड़े सम्बंधी 14 अन्य बीमारियों का भी पता लगाया जा सकता है, जैसे टीबी, न्यूमोनिया आदि। इसका इस्तेमाल एनालॉग और डिजिटल एक्स-रे, दोनों रूपों में किया जा सकता है। पिछले 10 महीनों के दौरान ग्रामीण इलाकों में कार्यरत 300 से अधिक डॉक्टरों ने इसका सफल प्रयोग किया है।

एक्स-रे सेतु जैसी प्रौद्योगिकियों से बेहतरीन बौद्धिक कृत्रिमता आधारित प्रणालियों को मोबाइल के जरिये चलाया जा सकता है। इसके कारण बहुत सस्ती दर पर ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य सुविधाओं को सुगम्य बनाया जा सकता है।

केएमसी, मंगलोर के हृदयरोग विभाग के अध्यक्ष व प्रोफेसर डॉ. पद्मनाभ कामथ ने एक्स-रे सेतु के इस्तेमाल की सलाह दी थी। वे खुद भी इसका इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने कहा कि इन प्रौद्योगिकियों से वंचित और ग्रामीण इलाके के लोगों को स्वास्थ्य सुविधायें प्राप्त होंगी। डॉ. अनिल कुमार, एडी, चिकित्सा अधिकारी, शिमोगा, कर्नाटक ने भी इस प्लेटफार्म का इस्तेमाल किया है। वे इस प्रौद्योगिकी से बहुत संतुष्ट हैं और उनका कहना है कि इससे मरीज का जल्द निदान हो जाता है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रो. आशुतोष शर्मा ने कहा, “डीएसटी कई साइबर-फिजीकल प्रणालियों पर काम कर रहा है, जिसमें कृत्रिम बौद्धिकता, वर्चुअल वास्तविकता, डाटा विश्लेषण, रोबोटिक्स, सेंसर्स और अन्य प्रणालियां शामिल हैं, जो स्वास्थ्य क्षेत्र की चुनौतियों का हल निकालने में सक्षम हैं। इसमें निदान, औषधि से बायो-मेडिकल उपकरण और टेलीमेडीसिन तक शामिल हैं।”

आर्टपार्क को नेशनल मिशन ऑन इंटरडिसीप्लिनेरी साइबर-फिजीकल सिस्टम्स (एनएम-आईसीपीएस) के तहत शुरू किया गया था और अब उसे सी-डैक जैसी संस्था से सहयोग मिल रहा है। इसमें कृत्रिम बौद्धिकता वाला सुपरकंप्यूटर परमसिद्धि, एनवीडिया और एडब्लूएस शामिल हैं। यह ग्रामीण भारत में डॉक्टरों को निशुल्क सेवा प्रदान करेगा।

अन्य विवरण के लिये श्री उमाकांत सोनी, संस्थापक और सीईओ, आर्टपार्क से umakant@artpark.in. से संपर्क किया जा सकता है।

 

भारत बायोटेक के साथ हैफकाइन बायोफार्मा “कोवैक्सिन” की 22.8 करोड़ खुराक का उत्पादन करेगी;वैक्सीन का घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए केंद्र ने उठाये कदम attacknews.in

नईदिल्ली 2 जून । भारत बायोटेक के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण व्यवस्था के तहत हैफकाइन बायोफार्मा कोवैक्सिन की 22.8 करोड़ खुराक का उत्पादन करेगी।

पूरी पात्र आबादी का जल्द से जल्द टीकाकरण करने के उद्देश्य से केंद्र की मदद से देश में घरेलू टीकों का उत्पादन लगातार तेज किया जा रहा है।

इस पहल के तहत जैव प्रौद्योगिकी विभाग आत्मनिर्भर भारत 3.0 मिशन कोविड सुरक्षा के तहत तीन सार्वजनिक उद्यमों को मदद कर रहा है। ये उद्यम हैं:

  1. हैफकाइन बायोफर्मास्यूटिकल कॉर्पोरेशन लिमिटेड, मुंबई,
  2. इंडियन इम्यूनोलॉजिकल लिमिटेड, हैदराबाद और

  3. भारत इम्यूनोलॉजिकल एंड बायोलॉजिकल लिमिटेड, बुलंदशहर, उ.प्र।

हैफकाइन बायोफार्मा, 122 साल पुराने हैफकाइन इंस्टीट्यूट की एक शाखा के रूप में निकला महाराष्ट्र राज्य का सार्वजनिक संस्थान है जो भारत बायोटेक लिमिटेड, हैदराबाद के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण व्यवस्था के तहत कोवैक्सिन टीका बनाने के लिए तैयारी कर रहा है। टीके का उत्पादन कंपनी के परेल स्थित कॉम्प्लेक्स में होगा।

हैफकाइन बायोफार्मा के प्रबंध निदेशक डॉ. संदीप राठौड़ ने कहा कि कंपनी का एक साल में कोवैक्सिन की 22.8 करोड़ खुराक का उत्पादन करने का प्रस्ताव है।

उन्होंने बताया कि “कोवैक्सिन के उत्पादन के लिए हैफकाइन बायोफार्मा को केंद्र द्वारा 65 करोड़ रुपये और महाराष्ट्र सरकार द्वारा 94 करोड़ रुपये का अनुदान मिला है”।

उन्होंने कहा कि “हमें आठ महीने का समय दिया गया है इसलिए काम को युद्ध स्तर पर अंजाम दिया जा रहा है। चिकित्सक से आइएएस बने राठौड़ ने बताया कि वैक्सीन उत्पादन प्रक्रिया में दो चरण शामिल हैं – दवा का पदार्थ बनाना और अंतिम दवा उत्पाद। दवा का पदार्थ बनाने के लिए हमें बायो सेफ्टी लेवल 3 (बीएसएल 3) सुविधा बनाने की जरूरत है, जबकि हैफकाइन में पहले से ही फिल फिनिश की सुविधा उपलब्ध है। बीएसएल 3 एक सुरक्षा मानक है जो ऐसी सुविधाओं पर लागू होता है जहां काम में रोगाणु शामिल होते हैं जो श्वसन मार्ग से शरीर में प्रवेश करके गंभीर बीमारी का कारण बन सकते हैं।

बायोटेक्नोलॉजी विभाग की सचिव तथा ‘ बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस कौंसिल की अध्यक्ष डॉ. रेणू स्वरूप कहती हैं कि “सार्वजनिक क्षेत्र की संपत्ति का उपयोग करके वैक्सीन उत्पादन की क्षमता बढ़ाने से हमारे देश में बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान के लिए टीकों की उत्पादन क्षमता वृद्धि का एक लंबा रास्ता तय होगा”’।

स्रोत:

· जैव प्रौद्योगिकी विभाग का पृष्ठभूमि नोट

· डॉ संदीप राठौड़, एमडी, हैफकाइन बायोफार्मा, मुंबई के साथ साक्षात्कार