मनमोहन सिंह की UPA सरकार द्वारा कश्मीर पर गठित समिति में वार्ताकार रहे एम एम अंसारी ने जम्मू कश्मीर पर प्रधानमंत्री की बैठक का परिणाम सिर्फ ‘अच्छे दिन आने की उम्मीद’ भर बताया attacknews.in

नयी दिल्ली, 27 जून । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को जम्मू-कश्मीर के विभिन्न राजनीतिक दलों के 14 नेताओं के साथ बैठक कर ‘‘दिल्ली और दिल की दूरी’’ को मिटाने की बात कही तथा परिसीमन की प्रक्रिया के बाद विधानसभा चुनाव कराने को प्राथमिकता बताया।

पेश हैं इस संबंध में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती सरकार द्वारा कश्मीर पर बातचीत के लिए गठित समिति में वार्ताकार रहे एम एम अंसारी से पांच सवाल और उनके जवाब’ :

सवाल : जम्मू कश्मीर से जुड़े मुद्दों पर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?

जवाब : प्रधानमंत्री ने जम्मू कश्मीर के मुख्यधारा के राजनीतिक दलों मुख्यत: गुपकार गठबंधन (पीएजीडी) को चर्चा के लिए बुलाया था ताकि यह संदेश दिया जा सके कि सब कुछ ठीक है और आने वाले समय में जम्मू कश्मीर के लोगों की शिकायतों का निपटारा किया जाएगा। लेकिन, यह देखना महत्वपूर्ण है कि केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और गुपकार गठबंधन विचारधारा के स्तर पर एक-दूसरे के विरोधी हैं। प्रधानमंत्री ने गुपकार गठबंधन के उन दलों के नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया, जिन्हें केंद्र मे सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं द्वारा पूर्व में भ्रष्ट और देश विरोधी कहा गया था।

सवाल : विशेष राज्य का दर्जा समाप्त किए जाने के करीब दो वर्ष बाद हुई इस बैठक से क्या आपको आने वाले दिनों में कोई परिणाम निकलने की उम्मीद है?

जवाब : इस बैठक को लेकर पहले से न तो कोई एजेंडा तय किया गया था और न ही इसमें पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने को लेकर कोई सहमति बनी। कश्मीरी पंडितों के मुद्दे पर भी इसमें कोई निर्णय नहीं हुआ। इस बैठक के परिणाम सिर्फ ‘‘अच्छे दिन आने की उम्मीद’’ भर हैं क्योंकि विशेष दर्जा एवं राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग एवं पाबंदियां हटाने जैसे मुद्दों का समाधान निकाले बिना लोगों को मुख्यधारा में शामिल नहीं किया जा सकता।

सवाल : जम्मू कश्मीर के मामले से निपटने को लेकर सरकार की नीतियों को आप कैसे देखते हैं?

जवाब : जम्मू कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है, लेकिन नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान इसका अंतरराष्ट्रीयकरण हुआ है जिसके दूरगामी प्रभाव पड़ सकते हैं। ऐसी भी खबरें आ रही हैं कि जम्मू कश्मीर के विभिन्न दलों के नेताओं के साथ यह बैठक अमेरिका के दबाव और संयुक्त अरब अमीरात की मध्यस्थता की जरूरतों के अनुरूप है। इससे जम्मू कश्मीर के मुद्दे और जटिल हो सकते हैं।

सवाल : आप कश्मीर मुद्दे पर क्षेत्र के पक्षों से बातचीत के लिए गठित वार्ताकारों की समिति के सदस्य रहे हैं, ऐसे में जम्मू कश्मीर को लेकर अब तक की नीतियों को आप कैसे देखते हैं?

जवाब : आजादी के बाद से ही जम्मू कश्मीर के राजनीतिक घटनाक्रमों पर नजर डालें तो यह स्पष्ट होता है कि कश्मीर को लेकर एक ऐसी सतत एवं सुविचारित नीति की कमी रही है, जो इस क्षेत्र में टिकाऊ शांति एवं विकास सुनिश्चित करे एवं निर्णय लेने की प्रक्रिया में लोगों की लोकतांत्रिक भागीदारी को बढ़ावा दे। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ‘इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत’ के सूत्र के आधार पर गंभीर प्रयास किए थे और स्थिति पाकिस्तान के साथ शांति समझौते के करीब भी पहुंच गई थी। इसके बाद मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान इस रास्ते को आगे बढ़ाते हुए अतिरिक्त कदम उठाए गए तथा लोगों से संवाद की दिशा में पहल की गई। हालांकि, पूर्व में जम्मू कश्मीर के लोगों को दिए गए राजनीतिक, आर्थिक लाभ एक झटके में ले लिए गए। क्षेत्र के लोग शांति एवं लोकतांत्रिक अधिकारों को बहाल किए जाने का इंतजार कर रहे हैं।

सवाल : जम्मू कश्मीर के संबंध में आगे का रास्ता क्या है?

जवाब : सिर्फ इस बैठक से बड़ी उम्मीदें लगाना बेमानी होगा। पिछले कुछ समय से जम्मू कश्मीर और दिल्ली के बीच संवादहीनता की स्थिति बनी हुई थी, इस सिलसिले में एक रास्ता खुला है। सरकार को चाहिए कि शुरुआती कदम उठाते हुए तत्काल लोकतांत्रिक प्रक्रिया शुरू करे, राज्य का दर्जा वापस करे और चुनाव कराए।

जल्द होगा सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक का निजीकरण,कैबिनेट सचिव की अगुवाई वाली समिति ने किया विचार-विमर्श attacknews.in

नयी दिल्ली, 27 जून। सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है। इसी मुद्दे पर पर कैबिनेट सचिव की अगुवाई में हाल में एक उच्चस्तरीय बैठक हुई थी, जिसमें विभिन्न नियामकीय और प्रशासनिक मुद्दों पर विचार किया गया। इससे इस प्रस्ताव को विनिवेश पर मंत्री समूह या वैकल्पिक तंत्र (एएम) के पास मंजूरी के लिए रखा जा सकेगा।

सूत्रों ने बताया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा अपने 2021 के बजट भाषण में इस बारे में घोषणा की गई थी, जिसके बाद नीति आयोग ने अप्रैल में कैबिनेट सचिव की अगुवाई में विनिवेश पर सचिवों के समूह को निजीकरण के लिए कुछ बैंकों के नाम सुझाए थे।

सूत्रों ने बताया कि 24 जून बृहस्पतिवार को हुई इस उच्चस्तरीय बैठक में नीति आयोग की सिफारिशों पर विचार किया गया।

सूत्रों ने कहा कि यह समिति इस बारे में सभी तरह की खामियों को दूर करने के बाद बाद छांटे गए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का नाम वैकल्पिक तंत्र को भेजेगी।

कैबिनेट सचिव की अगुवाई वाली समिति में आर्थिक मामलों के विभाग, राजस्व, व्यय, कॉरपोरेट मामलों कऔर विधि मामलों के अलावा प्रशासनिक विभाग के सचिव भी शामिल हैं। समिति में सार्वजनिक उपक्रम विभाग तथा लोक संपत्ति एवं प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव भी शामिल हैं।

सूत्रों ने कहा कि समिति ने निजीकरण की संभावना वाले बैंकों के कर्मचारियों के हितों के संरक्षण से जुड़ मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया।

एएम की मंजूरी के बार इस मामले को प्रधानमंत्री की अगुवाई वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल को अंतिम मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। कैबिनेट की मंजूरी के बाद निजीकरण के लिए जरूरी नियामकीय बदलाव किए जाएंगे।

सूत्रों का कहना है कि सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक का निजीकरण हो सकता है।

नरेन्‍द्र मोदी ने देशवासियों को आगाह किया: यह समझने की भूल ना करें कि कोरोना महामारी खत्म हो गई,सभी प्रोटोकॉल का पालन करना और टीका लगवाना ही उपाय है attacknews.in

देशवासियो से अपील:ओलंपिक में भाग लेने वाले खिलाड़ियों पर दबाव नहीं बनाना है, बल्कि उत्साह बढ़ाना है:

टीकों को लेकर भ्रम एवं अफवाहों से दूर रहें:

नयी दिल्ली, 27 जून । प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने रविवार को देशवासियों को आगाह किया कि वे यह समझने की भूल ना करें कि कोरोना वायरस वैश्विक महामारी खत्म हो गई है।

मोदी ने कहा कि यह वायरस अपना स्वरूप बदलता है, इसलिए इससे बचाव के लिए कोरोना वायरस संबंधी सभी प्रोटोकॉल का पालन करना और टीका लगवाना ही उपाय है। प्रधानमंत्री ने आकाशवाणी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 78वीं कड़ी में लोगों के साथ अपने विचार साझा करते हुए टीकों को लेकर लोगों की आशंका दूर करने की कोशिश की और उनसे भ्रम में ना पड़ने एवं अफवाहों पर ध्यान ना देने की अपील की।

लोगों का भ्रम दूर करने के लिए प्रधानमंत्री ने अपना उदाहरण दिया और कहा, ‘‘मैंने दोनों खुराक ली हैं। मेरी माताजी लगभग 100 साल की हैं। उन्होंने भी दोनों खुराक ले ली हैं, इसलिए टीकों को लेकर किसी भी प्रकार की अफवाह पर ध्यान नहीं दें।’’

उन्होंने कहा कि इस भ्रम में मत रहिए कि कोरोना वायरस समाप्त हो गया है। उन्होंने कहा, ‘‘यह बीमारी ऐसी है… यह बहुरुपिया है… रूप बदलती है… नए-नए रंग-रूप लेकर पहुंच जाती है। इससे बचाव के हमारे पास दो ही रास्ते हैं। पहला रास्ता है- कोरोना वायरस संबंधी सभी प्रोटोकॉल का पालन करना और दूसरा रास्ता है टीकाकरण का।’’

मध्य प्रदेश के बेतूल जिले के एक गांव के लोगों से बात करते हुए प्रधानमंत्री ने अपील की कि वे बेहिचक टीका लगवाएं और अफवाहों पर बिल्कुल ध्यान ना दें।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘वैज्ञानिकों ने बहुत मेहनत करके और साल भर की मेहनत के बाद टीका बनाया है। इसलिए हमें विज्ञान पर भरोसा करना चाहिए, अपने वैज्ञानिकों पर भरोसा करना चाहिए। झूठ फैलाने वाले लोगों को समझाना चाहिए कि ऐसा नहीं होता है।’’

उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ देश की लड़ाई जारी है और इस जंग में देश आए दिन कई असाधारण मुकाम भी हासिल कर रहा है। उन्होंने इस कड़ी में टीकाकरण अभियान के तीसरे चरण के पहले दिन 21 जून को 86 लाख से ज्यादा लोगों को मुफ्त टीका लगाए जाने का जिक्र किया।

मोदी ने कहा कि टीका नहीं लेना बहुत खतरनाक हो सकता है और इससे ना सिर्फ एक व्यक्ति अपनी जान को खतरे में डालता है, बल्कि अपने परिवार और गांव को भी खतरे में डालता है। उन्होंने कहा कि देश के कई ऐसे गांव हैं जहां शत प्रतिशत टीकाकरण हो चुका है या फिर इसके करीब है। प्रधानमंत्री ने इस सिलसिले में कश्मीर के बांदीपोरा जिले और नगालैंड के तीन गांवों का उदाहरण दिया।

ओलंपिक में भाग लेने वाले खिलाड़ियों पर दबाव नहीं बनाना है, बल्कि उत्साह बढ़ाना है:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ में तोक्यो ओलंपिक में भाग लेने जा रहे कई खिलाड़ियों के संघर्ष की कहानी सुनाई और देशवासियों से अपील की कि वे प्रतियोगिता के दौरान किसी खिलाड़ी पर दबाव न बनाएं, बल्कि खुले मन से उनका साथ देकर उत्साहवर्धन करें।

इस कार्यक्रम की 78वीं कड़ी में लोगों के साथ अपने विचार साझा करते हुए प्रधानमंत्री ने महान धावक मिल्खा सिंह को भी याद किया और कहा कि खेलों के प्रति वह बहुत भावुक और समर्पित थे।

मिल्खा (91) का एक महीने तक कोरोना संक्रमण से जूझने के बाद चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर अस्पताल में पिछले दिनों निधन हो गया था।

मोदी ने कहा कि जब प्रतिभा, समर्पण, दृढ़ता और खेल भावना का एक साथ मिलन होता है तब जाकर कोई विजेता बनता है और भारत में तो अधिकांश खिलाड़ी ऐसे हैं जो छोटे-छोटे शहरों, कस्बों और गांवों से निकल करके आते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि तोक्यो ओलंपिक में भाग लेने जा रहे खिलाड़ियों के दल में भी कई ऐसे खिलाड़ी शामिल हैं, जिनका जीवन बहुत प्रेरित करता है।

इस कड़ी में उन्होंने तीरंदाज प्रवीण जाधव, महिला हॉकी दल की सदस्य नेहा गोयल, महिला तीरंदाज दीपिका कुमारी, पैदल चाल (रेस वॉकिंग) की धाविका प्रियंका गोस्वामी, भाला फेंक प्रतियोगिता के खिलाड़ी शिवपाल सिंह और मुक्केबाज मनीष कौशिक सहित कुछ अन्य खिलाड़ियों के संघर्ष की कहानी सुनाई और बताया कि विपरीत परिस्थितियों के बावजूद इन खिलाड़ियों ने खेलों की दुनिया में एक मुकाम हासिल किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘जीवन में हम जहां भी पहुंचते हैं, जितनी भी ऊंचाई प्राप्त करते हैं, जमीन से ये जुड़ाव, हमेशा हमें अपनी जड़ों से बांधे रखता है। संघर्ष के दिनों के बाद मिली सफलता का आनंद भी कुछ और ही होता है। तोक्यो जा रहे हमारे खिलाड़ियों ने बचपन में साधनों-संसाधनों की हर कमी का सामना किया, लेकिन वो डटे रहे, जुटे रहे।’’

मोदी ने कहा कि ऐसे तो अनगिनत नाम हैं और तोक्यो जा रहे हर खिलाड़ी का अपना संघर्ष एवं बरसों की मेहनत रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘वह सिर्फ अपने लिए ही नहीं जा रहे, बल्कि देश के लिए जा रहे हैं। इन खिलाड़ियों को भारत का गौरव भी बढ़ाना है और लोगों का दिल भी जीतना है और इसलिए मैं आपको भी सलाह देना चाहता हूं। हमें जाने-अनजाने में भी हमारे इन खिलाड़ियों पर दबाव नहीं बनाना है, बल्कि खुले मन से, इनका साथ देना है, हर खिलाड़ी का उत्साह बढ़ाना है।’’

प्रधानमंत्री ने देशवासियों से सोशल मीडिया पर तोक्यो ओलंपिक में भाग लेने जा रहे खिलाड़ियों के समर्थन और उत्साहवर्धन के लिए ‘‘चीयर फॉर इंडिया’’ हैशटेग से अभियान चलाने की गुजारिश की।

मिल्खा सिंह को याद करते हुए मोदी ने कहा कि जब वह अस्पताल में भर्ती थे और कोरोना से जूझ रहे थे तब उन्होंने उनसे बात की थी।

मोदी ने बताया कि उन्होंने मिल्खा सिंह से आग्रह किया था इस बार जब भारतीय खिलाड़ी तोक्यो जाएं तब उन्हें भारतीय खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाना है और अपने संदेश से प्रेरित करना है।

उन्होंने कहा, ‘‘वह खेल को लेकर इतना समर्पित और भावुक थे कि बीमारी में भी उन्होंने तुरंत ही इसके लिए हामी भर दी, लेकिन, दुर्भाग्य से नियति को कुछ और मंजूर था।’’

पिछले साल स्थगित किए गए तोक्यो ओलंपिक खेल 23 जुलाई से शुरू होंगे जिसके लिए अभी तक 100 से ज्यादा भारतीय खिलाड़ियों ने क्वालीफाई कर लिया है। पैरालंपिक इसके एक महीने बाद शुरू होंगे।

कोरोना काल में भारत सरकार के ऊपर चढ़ा खरबों रूपये का ॠण:1,16,21,781 करोड़ रूपये की देनदारियां,जारी की सरकार ने लोक (सार्वजनिक) ॠण प्रबंधन रिपोर्ट attacknews.in

नईदिल्ली 25 जून ।वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग के अंतर्गत बजट प्रभाग में लोक ऋण प्रबंधन प्रकोष्ठ (पीडीएमसी नियमित आधार पर ऋण प्रबंधन पर अप्रैल-जून (पहली तिमाही ) 2010-11 से एक त्रैमासिक रिपोर्ट निकाल रहा है। वर्तमान रिपोर्ट जनवरी-मार्च 2021 (वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही) से संबंधित है।

वित्त वर्ष 2021 की चौथी तिमाही के दौरान, केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2020 की चौथी तिमाही की तुलना में जारी की गई 76,000 करोड़ रुपये की प्रतिभूतियों मुकाबले 3,20,249 करोड़ रुपये की दिनांकित प्रतिभूतियाँ जारी की, जबकि पुनर्भुगतान 29,145 करोड़ रुपये था। प्राथमिक निर्गमों की भारित औसत उपलब्धि वित्त वर्ष 2021 की चौथी तिमाही में बढ़कर 5.80 प्रतिशत हो गई, जो वित्त वर्ष 2021 की तीसरी तिमाही में 5.68 प्रतिशत थी। दिनांकित प्रतिभूतियों के नए निर्गमों की भारित औसत परिपक्वता वित्त वर्ष 2021 की चौथी तिमाही में 13.36 वर्ष पर कम थी, जबकि वित्त वर्ष 2021 की तीसरी तिमाही में यह 14.96 वर्ष थी। जनवरी-मार्च 2021 के दौरान केंद्र सरकार ने नकद प्रबन्धन बिल (कैश मैनेजमेंट बिल) के जरिए कोई राशि नहीं जुटाई। रिज़र्व बैंक ने तिमाही के दौरान सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद और बिक्री को शामिल करते हुए नौ विशेष और सामान्य ओएमओ आयोजित किए। सीमांत स्थायी सुविधा और विशेष चलनिधि सुविधा सहित चलनिधि समायोजन सुविधा (लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फैसिलिटी -एलएएफ) के तहत भारतीय रिजर्व बैंक -आरबीआई द्वारा शुद्ध दैनिक औसत चलनिधि अवशोषण (एवरेज लिक्विडिटी अब्जोरप्शन) इस तिमाही के दौरान 3,35,651 करोड़ रुपये था।

सरकार की कुल देनदारियां (‘लोक/सार्वजनिक खाते’ के तहत देनदारियों सहित), अनंतिम आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2021 के अंत में बढ़कर 1,16,21,781 करोड़ रुपये हो गई, जो दिसंबर 2020 के अंत में 1,09,26,322 करोड़ रुपये थी। यह वित्त वर्ष 21 की चौथी तिमाही में 6.36 प्रतिशत की तिमाही-दर-तिमाही वृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है । मार्च 2021 के अंत में कुल बकाया देनदारियों का 88.10 प्रतिशत सार्वजनिक ऋण था। बकाया दिनांकित प्रतिभूतियों के लगभग 29.33 प्रतिशत की शेष परिपक्वता 5 वर्ष से कम थी। स्वामित्व पैटर्न मार्च 2021 के अंत में वाणिज्यिक बैंकों की हिस्सेदारी 37.8 प्रतिशत और बीमा कंपनियों के लिए 25.3 प्रतिशत पर इंगित करता है।

तिमाही के दौरान सरकारी प्रतिभूतियों की आपूर्ति में वृद्धि के कारण द्वितीयक बाजार में सरकारी प्रतिभूतियों पर प्रतिफल आना कठिन हो गया। इसके अलावा, साप्ताहिक उधारी में वृद्धि और रिज़र्व बैंक द्वारा सामान्य चलनिधि(लिक्विडिटी) संचालन को फिर से शुरू करने की घोषणा के कारण प्राप्तियों-प्रतिफल का कठिन होना इस विचलन (वक्र) के छोटे छोर पर अधिक था। हालांकि, इन प्राप्तियों को 5 फरवरी, 2021 को आयोजित एमपीसी की बैठकों के निर्णय द्वारा समर्थन दिया गया था, जिसमें एमपीसी ने नीति रेपो दर को 4 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा और इसे कम से कम चालू वित्तीय वर्ष के दौरान और अगले वित्तीय वर्ष में समायोजन के रुख के साथ जारी रखने पर जोर दिया – ताकि टिकाऊ आधार पर विकास को फिर से शुरू करने के साथ ही अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 महामारी के प्रभाव को कम किया जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि आने वाले समय में भी मुद्रास्फीति भी लक्ष्य के भीतर बनी रह सके ।

छत्तीसगढ़ में आयकर विभाग ने रायपुर में कई स्थानों पर छापामारी करके 100 करोड़ रुपये से अधिक के हवाला लेन-देन को उजागर किया attacknews.in

रायपुर 25 जून ।आयकर विभाग को विशिष्ट कार्रवाई योग्य खुफिया सूचना प्राप्त हुई थी कि छत्तीसगढ़ के रायपुर में लोगों का एक समूह बहुत अधिक मात्रा में गैर-लिखित नकद लेन देन करने वाला है।इससे आगे की जांच में, इनपुट विश्वसनीय पाया गया और हवाला डीलर की पहचान की गई।

इसके परिणामस्वरूप विभाग ने 21 जून,2021 को रायपुर स्थित हवाला संचालक के खिलाफ छापामारी और जब्ती की कार्रवाई की।

इस कार्रवाई में रायपुर स्थित चार परिसरों को शामिल किया गया था।इस कार्यप्रणाली में न केवल लोगों को बिक्री,खरीद आदि की आवास प्रविष्टियां देना शामिल था, बल्कि बेहिसाब धन के परिवहन और अंतिम उपयोग की सुविधा भी शामिल थी।

इस छापामारी के दौरान लगभग 6 करोड़ रुपये की बेहिसाब नकदी बरामद हुई है। इसके अलावा हवाला लेन-देन के विवरण वाले कंप्यूटर हार्ड डिस्क और पेन ड्राइव के रूप में कई डिजिटल उपकरण जब्त किए गए हैं।इनका विश्लेषण किया जा रहा है और इसमें शामिल कुल रकम की मात्रा का निर्धारण प्रगति पर है।प्रारंभिक अनुमान की मानें तो इनमें 100 करोड़ रुपये से अधिक के हवाला लेन-देन शामिल हो सकते हैं।

आगे की जांच जारी है।

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के दौरान कई देशों में भांग का सेवन बढ़ा;संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में पिछले साल दुनियाभर में 27.5 करोड़ लोगों ने मादक पदार्थों का इस्तेमाल किया attacknews.in

बर्लिन, 25 जून (एपी) विएना में मादक पदार्थ एवं अपराध मामलों के संयुक्त राष्ट्र के कार्यालय (यूएनओडीसी) की ओर से बृहस्पतिवार को जारी विश्व मादक पदार्थ रिपोर्ट के अनुसार पिछले वर्ष दुनिया भर में करीब 27.5 करोड़ लोगों ने मादक पदार्थों का इस्तेमाल किया जबकि 3.6 करोड़ से अधिक लोग मादक पदार्थ संबंधी विकारों से पीड़ित हुए।

रिपोर्ट में कहा गया कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के दौरान कई देशों में भांग (कैनेबिस) का सेवन बढ़ा है। 77 देशों में स्वास्थ्य क्षेत्र के पेशेवरों का सर्वेक्षण किया गया जिसमें से 42 फीसदी ने कहा कि भांग का इस्तेमाल बढ़ गया है। इसी दौरान उपचार संबंधी दवाओं का गैर-चिकित्सीय इस्तेमाल भी बढ़ा है।

इसमें बताया गया कि बीते 24 वर्षों में मादक पदार्थ को नुकसानदेह मानने वाले वयस्कों की संख्या में 40 फीसदी तक कमी आई है। ऐसे साक्ष्य मौजूद हैं जो बताते हैं कि भांग का उपयोग करने से स्वास्थ्य संबंधी अनेक समस्याएं हो सकती हैं, खास कर उन लोगों में जो लंबे समय से इसका नियमित इस्तेमाल कर रहे हैं।

यूएनओडीसी की कार्यकारी निदेशक गादा वाली ने बताया, ‘‘मादक पदार्थों के इस्तेमाल को जोखिम भरा मानने वालों की संख्या में कमी का संबंध इसके इस्तेमाल की अधिक दर से है। विश्व मादक पदार्थ रिपोर्ट, 2021 रेखांकित करती है कि युवाओं को जागरूक करने, लोक स्वास्थ्य की सुरक्षा करने तथा नजरिए एवं वास्तविकता के बीच अंतर को पाटने की आवश्यकता है।’’

हालिया वैश्विक अनुमानों के मुताबिक 15 से 64 वर्ष के करीब 5.5 फीसदी लोगों ने पिछले एक वर्ष में कम से कम एक बार मादक पदार्थ का इस्तेमाल किया। मादक पदार्थों का इस्तेमाल करने वाले लोगों में से 13 फीसदी या 3.63 करोड़ लोग मादक पदार्थों के सेवन से जुड़े विकारों से पीड़ित हुए।

भारत में टीकाकरण का दायरा 31 करोड़ के पार,राज्यों ने कर दिए डेढ़ करोड़ से ज्यादा टीके बर्बाद,अब भी टीके की 1.50 करोड़ से अधिक खुराकें मौजूद attacknews.in

नयी दिल्ली, 25 जून । भारत में कोविड टीकाकरण का दायरा 31 करोड़ के पार पहुंच गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

रिपोर्ट के अनुसार टीकाकरण अभियान का नया चरण 21 जून से शुरू हुआ था और शुक्रवार को 60 लाख से अधिक खुराक दी गई।

मंत्रालय ने कहा कि शुक्रवार को 18-44 आयु वर्ग के 35.9 लाख से अधिक लोगों को टीके की पहली खुराक और 77,664 लोगों को दूसरी खुराक दी गई।

टीकाकरण अभियान के तीसरे चरण की शुरुआत से अब तक देश में इस आयु वर्ग के 7.87 करोड़ लोगों को टीके की पहली खुराक और 17.09 लाख लोगों को दूसरी खुराक दी गई है।

केंद्र सरकार देशभर में कोविड-19 टीकाकरण का दायरा बढ़ाने और टीके लगाने की गति को तेज करने के लिये प्रतिबद्ध है। कोविड-19 के टीकों की सर्व-उपलब्धता का नया चरण 21 जून, 2021 से शुरू किया गया है।

टीकाकरण अभियान को अधिक से अधिक वैक्सीन की उपलब्धता के जरिये बढ़ाया गया। इसके तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को वैक्सीन की उपलब्धता के बारे में पूर्व सूचना प्रदान की गई, ताकि वे बेहतर योजना के साथ टीके लगाने का बंदोबस्त कर सकें और टीके की आपूर्ति श्रृंखला को दुरुस्त किया जा सके।

देशव्यापी टीकाकरण अभियान के हिस्से के रूप में केंद्र सरकार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नि:शुल्क कोविड वैक्सीन प्रदान करके उन्हें समर्थन दे रही है। टीकों की सर्व-उपलब्धता के नये चरण में, केंद्र सरकार वैक्सीन निर्माताओं से 75 प्रतिशत टीके खरीदकर उन्हें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नि:शुल्क प्रदान करेगी।

केंद्र सरकार द्वारा निशुल्क और राज्यों द्वारा सीधी खरीद व्यवस्था के तहत अब तक वैक्सीन की 30.54 करोड़ से अधिक (30,54,32,450) खुराकें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रदान की गई हैं।

आज आठ बजे सुबह तक उपलब्ध आंकड़ों के हिसाब से उपरोक्त खुराकों में से बेकार हो जाने वाली खुराकों को मिलाकर कुल 29,04,04,264 खुराकों की खपत हो चुकी है।

अभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पास कोविड-19 टीके की 1.50 करोड़ से अधिक (1,50,28,186) खुराकें बची हैं और इस्तेमाल नहीं हुई हैं, जिन्हें लगाया जाना है।

इसके अलावा, टीके की 47,00,000 से अधिक खुराकें तैयार हैं और अगले तीन दिनों के भीतर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मिल जायेंगी।

मनी लान्ड्रिंग घोटाले में ईडी ने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री के नागपुर, मुंबई स्थित परिसरों पर छापा मारा, CBI ने बंबई उच्च न्यायालय के आदेश पर मामला दायर कर प्रारंभिक जांच की थी attacknews.in

नयी दिल्ली, 25 जून । प्रवर्तन निदेशालय ने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ धन शोधन के एक मामले की जांच के सिलसिले में नागपुर तथा मुंबई में स्थित उनके परिसरों पर शुक्रवार को तलाशी ली।

अधिकारियों ने बताया कि धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत छापे मारे गए और देशमुख के नागपुर में स्थित आवास पर भी छापे मारे गए। अभी यह पता नहीं चला है कि क्या देशमुख (71) आवास में मौजूद थे।

केंद्रीय जांच एजेंसी ने सीबीआई की एक प्राथमिकी का अध्ययन करने के बाद पिछले महीने देशमुख (71) और अन्य के खिलाफ धन शोधन रोकथाम कानून के तहत एक आपराधिक मामला दर्ज किया था।

सीबीआई ने बंबई उच्च न्यायालय के आदेश पर एक मामला दायर करने के बाद प्रारंभिक जांच की थी जिसके बाद ईडी ने मामला दर्ज किया। उच्च न्यायालय ने सीबीआई को मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा देशमुख के खिलाफ लगाए रिश्वत के आरोपों की जांच के लिए कहा था।

अधिकारियों ने बताया कि तलाशी लेने वाले दल अतिरिक्त सबूत की तलाश कर रहे हैं जो उनकी जांच में अहम हो सकते हैं। एजेंसी की जांच उस आरोप पर केंद्रित है कि महाराष्ट्र में पुलिसकर्मियों के तबादलों, नियुक्तियों में अवैध निधि अर्जित की गई और क्या पुलिसकर्मियों से अवैध वसूली की गई जैसा सिंह ने अपनी शिकायत में दावा किया है।

ईडी के पास जांच के स्तर के दौरान आरोपियों की संपत्तियां कुर्क करने और मुकदमे के लिए पीएमएलए अदालत के समक्ष उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर करने की शक्तियां हैं। मुंबई में कारोबारी मुकेश अंबानी के घर के पास एक एसयूवी मिलने की जांच के दौरान पुलिसकर्मी सचिन वाजे की भूमिका सामने आने के बाद सिंह को पुलिस आयुक्त पद से हटा दिया गया था। इस एसयूवी में विस्फोटक सामग्री रखी मिली थी।

पुलिस आयुक्त पद से हटाए जाने के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे पत्र में सिंह ने आरोप लगाया था कि देखमुख ने वाजे से मुंबई के बार और रेस्त्रां से एक महीने में 100 करोड़ रुपये से अधिक वसूलने के लिए कहा था। राकांपा नेता देशमुख उस वक्त ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार में गृह मंत्री थे। उन्होंने इन आरोपों के बाद अप्रैल में इस्तीफा दे दिया था।

सीबीआई ने भी 21 अप्रैल को प्राथमिकी दर्ज करने के बाद पूर्व मंत्री के मुंबई तथा नागपुर में स्थित आवासों पर छापे मारे थे। उच्च न्यायालय ने इस मामले में देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश दिए थे जिसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।

भाजपा ने पेश की दिल्ली की ऑक्सीजन ऑडिट रिपोर्ट में हिंदुस्तान की राजनीति में पहली बार चार गुना झूठा साबित होने वाला मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बताया;उप मुख्यमंत्री सिसोदिया ने आरोपों को किया खारिज attacknews.in

नयी दिल्ली, 25 जून ।भाजपा ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राजधानी दिल्ली में ऑक्सीजन की जरूरत से चार गुना अधिक मांग की थी और उनके इस ‘‘झूठ’’ के कारण कम से कम 12 राज्यों में जीवन रक्षक ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित हुई।

उच्चतम न्यायालय द्वारा दिल्ली में ऑक्सीजन का लेखाजोखा करने के लिए गठित की गई एक समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने ‘‘चार गुना झूठ’’ बोलकर ना सिर्फ ‘‘जघन्य अपराध’’ किया बल्कि ‘‘आपराधिक लापरवाही’’ की है।

दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भाजपा के आरोपों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि ऐसी कोई रिपोर्ट है ही नहीं । उन्होंने यह पलटवार भी किया कि कथित रिपोर्ट भाजपा मुख्यालय में तैयार की गई है।

पात्रा ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि दूसरी लहर के दौरान जब संक्रमण के मामले चरम पर थे तब दिल्ली सरकार ने 1,140 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की मांग की थी जबकि वह 209 मीट्रिक टन का भी इस्तेमाल नहीं कर पायी थी।

उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के फार्मूले के मुताबिक भी देखा जाए तो उसे 351 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत थी जबकि केंद्र सरकार के आकलन के मुताबिक जरूरत 209 मीट्रिक टन की थी और केजरीवाल सरकार ने 1,140 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आवश्यकता जताई थी।

उन्होंने कहा, ‘‘कल्पना कीजिए , किस प्रकार का अपराध हुआ है। यह अरविंद केजरीवाल का जघन्य अपराध है। यह आपराधिक लापरवाही है जैसा कि समिति ने कहा है कि उन्होंने चार गुना अधिक ऑक्सीजन की मांग की थी। इस रिपोर्ट ने कोविड-19 के प्रबंधन में विफल होने पर दोष दूसरे पर मढ़ने की राजनीति का पर्दाफाश कर दिया है।’’

उन्होंने कहा ‘‘ इस झूठ के कारण, 12 राज्यों को ऑक्सीजन की आपूर्ति प्रभावित हुई क्योंकि सभी जगह से ऑक्सीजन की मात्रा कम कर दिल्ली भेजना पड़ा था।’’

पात्रा ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार के कुप्रबंधन की वजह से राजधानी दिल्ली में उस वक्त ऑक्सीजन के टैंकर सड़क पर खड़े रहे जब लोगों को इसकी सबसे अधिक जरूरत थी।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर ये ऑक्सीजन दूसरे राज्यों में उपयोग होती तो कई लोगों की जान बच सकती थी। यह अरविंद केजरीवाल द्वारा किया गया जघन्य अपराध है।’’

भाजपा प्रवक्ता ने उम्मीद जताई कि इसके लिए उच्चतम न्यायालय में मुख्यमंत्री जिम्मेदार ठहराए जाएंगे और जो अपराध उन्होंने किया है, उसके लिए उन्हें दंडित किया जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘हिंदुस्तान की राजनीति में पहली बार चार गुना झूठे साबित हो रहे हैं दिल्ली के मुख्यमंत्री। यह छोटी बात नहीं है। अरविंद केजरीवाल को जनता को जवाब देना होगा।’’

पात्रा ने कहा कि तीन मई को एक ही दिन मुंबई और दिल्ली में लगभग एक समान संक्रमण के मामले थे लेकिन मुंबई ने 275 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आवश्यकता जताई वहीं दिल्ली ने 900 मीट्रिक टन की मांग की थी।

दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार पर निशाना साधते हुए भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि केजरीवाल सरकार 100 फीसदी विज्ञापन और जीरो प्रतिशत कोविड प्रबंधन के फार्मूले पर काम कर रही है।

पात्रा ने दावा किया कि अपनी नाकामी को छिपाने और केंद्र सरकार को दोषी ठहराने के लिए केजरीवाल ने ऑक्सीजन को लेकर झूठ बोला।

उन्होंने कहा कि इसी प्रकार केजरीवाल कोविड-19 रोधी टीकों और घर-घर राशन पहुंचाने की योजना पर राजनीति कर रहे हैं।

उन्होंने दावा किया कि राजधानी में टीकों की कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘जो व्यक्ति ऑक्सीजन के लिए इतना बड़ा झूठ बोल सकता है वह राशन के लिए कितना झूठ बोल सकता है?’’

राजधानी के जयपुर गोल्डेन अस्पताल और बत्रा अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के चलते हुई लोगों की मौत के लिए भी पात्रा ने केजरीवाल सरकार को दोषी ठहराया।

पात्रा के आरोपों का जवाब देते हुए , दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भाजपा पर ऐसी रिपोर्ट को लेकर झूठ बोलने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है। हमने उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित ‘ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी’ के सदस्यों से बात की है। उन्होंने कहा कि ऐसी किसी रिपोर्ट पर उन्होंने हस्ताक्षर नहीं किए हैं। भाजपा झूठी रिपोर्ट पेश कर रही है, जो उसकी पार्टी मुख्यालय में तैयार की गई है। मैं उन्हें चुनौती देता हूं कि ऐसी रिपोर्ट पेश करें, जिस पर ‘ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी’ के सदस्यों ने हस्ताक्षर किए हों।’’

उन्होंने कहा कि ऐसा करके भाजपा केवल मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का ही अपमान नहीं कर रही, बल्कि ‘‘उन लोगों का भी अपमान कर रही है जिन्होंने कोरोना वायरस के कहर के दौरान अपने परिवार वालों को खो दिया। ’’ उन्होंने आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार के कुप्रबंधन के कारण ही ‘‘ऑक्सीजन का संकट उत्पन्न हुआ था।’’

दिल्ली में अप्रैल तथा मई में कोविड-19 की दूसरी लहर का बहुत बुरा असर हुआ था। इस दौरान शहर के विभिन्न अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी के कारण रोजाना कई लोगों की मौत हुई थी।

पाकिस्तान आतंकवादी देश होने की मुहर बरकरार, FATF ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादियों हाफिज सईद और मसूद अजहर पर कार्रवाई में विफल रहने से ‘ग्रे (संदिग्ध)सूची’ में डाला attacknews.in

नयी दिल्ली, 25 जून । धन शोधन और आतंकवाद को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने वाले संगठनों पर लगाम लगाने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था ‘फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स’ (एफएटीएफ) ने शुक्रवार को कहा कि इस्लामाबाद, संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादियों हाफिज सईद और मसूद अजहर पर कार्रवाई करने में विफल रहा इसलिए पाकिस्तान को ‘ग्रे (संदिग्ध)सूची’ में बरकरार रखा जाएगा।

एफएटीएफ ने यह भी कहा कि पाकिस्तान को अपनी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कमियों को दूर करने के लिए काम करना जारी रखना चाहिए। पेरिस स्थित एफएटीएफ के प्रमुख मार्कस प्लेयर ने कहा कि डिजिटल माध्यम से आयोजित बैठक में यह निर्णय लिया गया।

प्लेयर ने डिजिटल माध्यम से आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पाकिस्तान “इन्क्रीज्ड मॉनिटरिंग लिस्ट” (निगरानी की सूची) में रहेगा जिसे ‘ग्रे सूची’ के नाम से भी जाना जाता है। प्लेयर ने कहा कि पाकिस्तान को 2018 में जिन 27 बिंदुओं पर कार्रवाई करने का लक्ष्य दिया गया उसमें से 26 पर कार्रवाई की गई है।

उन्होंने कहा कि एफएटीएफ ने पाकिस्तान से कहा है कि वह संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादियों के विरुद्ध कार्रवाई करे। पाकिस्तान में रह रहे इन आतंकवादियों में जैश ए मोहम्मद का सरगना अजहर, लश्कर ए तय्यबा का संस्थापक सईद और उसका ‘ऑपरेशनल कमांडर’ जकीउर रहमान लखवी शामिल है।

अजहर, सईद और लखवी, 26/11 मुंबई हमला और 2019 में पुलवामा में सीआरपीएफ पर हुए हमलों समेत कई आतंकी वारदातों में शामिल रहे हैं जिसके कारण भारत को उनकी तलाश है। प्लेयर ने कहा कि पाकिस्तानी सरकार धन शोधन को रोकने में नाकामयाब रही है जिससे भ्रष्टाचार और आतंकवाद का वित्त पोषण होता है।

कोरोना टीकों से उपजे अनेक प्रश्नों का समाधान:क्या प्रजनन क्षमता पर होता है नकारात्मक प्रभाव?,शरीर में एंटी-बॉडीज कब तक कायम रहती हैं? क्या कुछ समय बाद बूस्टर डोज लेनी होगी?एक बार किसी खास कंपनी की वैक्सीन लगवा लें, तो क्या उसके बाद वही खास वैक्सीन लगवानी है? अगर भविष्य में हमें बूस्टर डोज लेनी पड़े, क्या तब भी उसी कंपनी की वैक्सीन लेनी होगी?attacknews.in

“भारत में जल्द कम से कम छह प्रकार की कोविड-19 वैक्सीन उपलब्ध हो जायेंगी,एक महीने में 30-35 करोड़ खुराकें मिलना शुरू हो जायेंगी और भारत एक दिन में एक करोड़ लोगों को टीका लगाने में सक्षम होगा”

एनटीएजीआई में कोविड-19 कार्य समूह के अध्यक्ष डॉ. एनके अरोड़ा द्वारा कोविड-19 टीकाकरण पर सामान्य प्रश्नों के जवाब

हमें जल्द ही जायडस कैडिला की दुनिया की पहली डीएनए-प्लासमिड वैक्सीन मिल जायेगी, जो भारत-निर्मित है। हमें जो अन्य वैक्सीनें जल्द मिलने की उम्मीद है, उनमें बायोलॉजिकल-ई की प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन शामिल है।

राष्ट्रीय टीकाकरण परामर्श समूह (एटीएजीआई) के कोविड-19 कार्य समूह के अध्यक्ष डॉ. नरेन्द्र कुमार अरोड़ा ने यह बताया।उन्होंने आगे कहा कि इन वैक्सीनों का परीक्षण काफी उत्साहवर्धक रहा है।

उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि यह वैक्सीन सितंबर तक उपलब्ध हो जायेगी। भारतीय एम-आरएनए वैक्सीन को 2-8 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर रखा जा सकता है, वह भी सितंबर तक मिल जायेगी। दो अन्य वैक्सीनें सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की नोवावैक्स और जॉनसन-एंड-जॉनसन भी जल्द मिलने की संभावना है। जुलाई के तीसरे सप्ताह तक भारत बायोटेक और एसआईआई की उत्पादन क्षमता में भी भारी इजाफा हो जायेगा।इससे देश में वैक्सीन की आपूर्ति में बढ़ोतरी होगी। अगस्त तक हम उम्मीद करते हैं कि हम एक महीने में 30-35 करोड़ डोज हासिल करने लगेंगे।”

डॉ. अरोड़ा ने कहा कि इस तरह हम एक दिन में एक करोड़ लोगों को टीका लगाने में सक्षम हो जायेंगे।

अध्यक्ष डॉ. अरोड़ा ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के ओटीटी – इंडिया साइंस चैनल को दिये साक्षात्कार में भारत में कोविड-19 टीकाकरण अभियान के विभिन्न पहलुओं पर बात की।

नई वैक्सीनें कितनी असरदार होंगी?

जब हम कहते हैं कि अमुक वैक्सीन 80 प्रतिशत असरदार है, तो इसका मतलब यह है कि वैक्सीन कोविड-19 रोग की संभावना को 80 प्रतिशत कम कर देती है। संक्रमण और रोग में फर्क होता है। अगर किसी व्यक्ति को कोविड का संक्रमण है, लेकिन कोई लक्षण नहीं हैं, तो वह व्यक्ति सिर्फ संक्रमित है। बहरहाल, यदि व्यक्ति में संक्रमण के कारण लक्षण भी नजर आ रहे हैं, तो वह व्यक्ति कोविड रोग से ग्रस्त माना जायेगा। दुनिया की हर वैक्सीन कोविड रोग से बचाती हैं।टीका लगवाने के बाद गंभीर रूप से बीमार होने की बहुत कम संभावना होती है; जबकि मृत्यु की संभावना नगण्य हो जाती है। अगर वैक्सीन की ताकत 80 प्रतिशत है, तब टीका लगवाने वाले 20 प्रतिशत लोगों को हल्का कोविड हो सकता है।भारत में जो वैक्सीनें उपलब्ध हैं, वे कोरोना वायरस के फैलाव को कम करने में सक्षम हैं। अगर 60 से 70 प्रतिशत लोगों को टीके लगा दिये जायें, तो वायरस के फैलाव को रोका जा सकता है।सरकार ने बुजुर्गों को टीके लगाने से कोविड टीकाकरण अभियान की शुरूआत की थी, ताकि सबसे अधिक जोखिम वाली आबादी को पहले टीके लग जायें। इस तरह मृत्यु की संभावना कम की गई और स्वास्थ्य सेवाओं पर बोझ भी कम हुआ।

कोविड वैक्सीन के बारे में बहुत गलतफहमियां हैं। क्या आप उनका निराकरण करेंगे?

हाल में, मैं हरियाणा और उत्तरप्रदेश के सफर पर था। मैंने इन राज्यों के शहरी और ग्रामीण इलाकों के लोगों से बात की, ताकि वैक्सीन के बारे में हिचक को समझ सकूं। ग्रामीण इलाकों के ज्यादातर लोग कोविड को गंभीरता से नहीं लेते और वे इसे सामान्य बुखार ही समझते हैं। लोगों को यह समझने की जरूरत है कि कोविड भले कई मामलों में हल्का-फुल्का हो, लेकिन जब वह गंभीर रूप ले लेता है, तो उससे जान भी जा सकती है, आर्थिक बोझ तो पड़ता ही है।यह बहुत उत्साहजनक बात है कि हम टीके के जरिये कोविड से खुद को बचा सकते हैं।

हम सब यह मजबूती से मानते हैं कि भारत में उपलब्ध कोविड-19 वैक्सीनें पूरी तरह सुरक्षित हैं। मैं सबको आश्वस्त करता हूं कि कि सभी वैक्सीनों का कड़ा परीक्षण किया गया है, जिसमें क्लीनिकल ट्रायल शामिल हैं। इन परीक्षणों को पूरी दुनिया में मान्यता प्राप्त है।जहां तक टीके के बुरे असर (साइड-इफेक्ट) का सवाल है, तो सभी वैक्सीनों में हल्का-फुल्का खराब असर पड़ता है। इसमें हल्का बुखार, थकान, सूई लगाने वाली जगह पर दर्ज आदि, जो एक-दो दिन में ठीक हो जाता है।

टीकों का कोई गंभीर बुरा असर नहीं होता।जब बच्चों को नियमित टीके दिये जाते हैं, तो उन्हें भी बुखार, सूजन आदि जैसे हल्के-फुल्के साइड इफेक्ट्स होते हैं। परिवार के बड़ों को पता होता है कि वैक्सीन बच्चों के लिये अच्छे हैं, भले उनका कुछ बुरा असर शुरू में होता हो। इसी तरह बड़ों को इस वक्त भी यह समझना चाहिये कि कोविड वैक्सीन हमारे परिवार और हमारे समाज के लिये जरूरी है। लिहाजा, हल्का-फुल्का बुरा असर हमें रोकने न पाये।

ऐसी अफवाहें कि अगर टीका लगवाने के बाद व्यक्ति को बुखार नहीं आया, तो इसका मतलब है कि वैक्सीन काम नहीं कर रही है। इसमें कितना सच है?

कोविड टीका लगवाने के बाद ज्यादातर लोगों में कोई बुरा असर नजर नहीं आता, लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं है कि वैक्सीन असरदार नहीं है। सिर्फ 20 से 30 प्रतिशत लोगों को टीका लगवाने के बाद बुखार आ सकता है। कुछ लोगों को पहली डोज लेने के बाद बुखार आ जाता है और दूसरी डोज के बाद कुछ नहीं होता। इसी तरह कुछ लोगों को पहली डोज के बाद कुछ नहीं होता, लेकिन दूसरी डोज के बाद बुखार आ जाता है। यह व्यक्ति-व्यक्ति पर निर्भर करता है और इसके बारे में निश्चित रूप से कुछ कहना खासा मुश्किल है।

कुछ ऐसे मामले भी सामने आये हैं, जहां लोगों को दोनों खुराकें लगवाने के बाद भी कोविड-19 का संक्रमण हो गया। इसलिये कुछ लोग वैक्सीन के असरदार होने पर सवाल उठा रहे हैं?

वैक्सीन की दोनों खुराकें लेने के बाद भी संक्रमण हो सकता है। लेकिन ऐसे मामलों में रोग निश्चित रूप से हल्का होगा और गंभीर रूप से बीमार होने की संभावना लगभग नहीं होगी। इसके अलावा, ऐसी स्थिति से बचने के लिये लोगों को आज भी कहा जाता है कि टीका लगवाने के बाद भी कोविड उपयुक्त व्यवहार करें। लोग वायरस फैला सकते हैं, जिसका मतलब है कि वायरस आपके जरिये आपके परिवार वालों और दूसरों तक फैल सकता है। अगर 45 साल के ऊपर के लोगों को टीका न लगा होता, तब तो मृत्यु दर और अस्पतालों पर दबाव की तो कल्पना भी नहीं की जा सकती। अब दूसरी लहर समाप्ति की ओर है। इसका श्रेय टीकाकरण को ही जाता है।

शरीर में एंटी-बॉडीज कब तक कायम रहती हैं? क्या कुछ समय बाद बूस्टर डोज लेनी होगी?

टीका लगवाने के बाद शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है, जिसका पता निश्चित रूप से एंटी-बॉडीज से लग जाता है। एंटी-बॉडीज का पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा न दिखाई देने वाली रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी विकसित होती है। इसे टी-सेल्स के रूप में जाना जाता है, जिनके पास याद रखने की ताकत होती है। आगे जब भी वायरस शरीर में घुसने की कोशिश करता है, तो पूरा शरीर चौकस हो जाता है और उसके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर देता है। लिहाजा, शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता का एकमात्र सबूत एंटी-बॉडी नहीं है। इसलिये टीका लगवाने के बाद एंटी-बॉडी टेस्ट कराने की जरूरत नहीं है। इस पर चिंता करके अपनी नींद ह करने का भी कोई मतलब नहीं है।

दूसरी बात यह कि कोविड-19 एक नया रोग है, जो अभी महज डेढ़ साल पहले सामने आया है। वैक्सीन को आये हुये भी छह महीने ही हुये हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि अन्य वैक्सीनों की तरह ही, यहां भी रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम से कम छह महीने से एक साल तक कायम रहेगी। समय बीतने के साथ कोविड-19 के बारे में हमारी समझ में भी इजाफा होगा। इसके अलावा, टी-सेल्स जैसे कुछ घटक हैं, जिनकी नाप-जोख नहीं हो सकती। यह देखा जाना है कि टीका लगवाने के बाद लोग कितने समय तक गंभीर रूप से बीमार होने और मृत्यु से बचे रहते हैं। लेकिन अभी तो टीके लगवाने वाले सभी लोग छह महीने से एक साल तक तो सुरक्षित हैं।

एक बार किसी खास कंपनी की वैक्सीन लगवा लें, तो क्या उसके बाद वही खास वैक्सीन लगवानी है? अगर भविष्य में हमें बूस्टर डोज लेनी पड़े, क्या तब भी उसी कंपनी की वैक्सीन लेनी होगी?

कंपनियों के बजाय हम प्लेटफॉर्म की बात करते हैं। मानव इतिहास में पहले ऐसा कभी नहीं हुआ कि एक ही रोग के लिये वैक्सीन बनाने में अलग-अलग प्रक्रियाओं और प्लेटफार्मों का इस्तेमाल किया गया हो। इन वैक्सीनों की निर्माण प्रक्रिया अलग-अलग है, इसलिये शरीर पर भी उनका असर एक सा नहीं होगा।अलग-अलग किस्म की वैक्सीन की दो डोज लेने की प्रक्रिया या बूस्टर डोज के तौर पर कोई दूसरी वैक्सीन लेने को पारस्परिक अदला-बदली कहते हैं। ऐसा किया जा सकता है या नहीं, यह निश्चित रूप से महत्त्वपूर्ण वैज्ञानिक सवाल है। इसका जवाब खोजने का कम चल रहा है। हम ऐसे देशों में शामिल हैं, जहां अलग-अलग तरह की कोविड-19 वैक्सीनें दी जा रही हैं। इस तरह की पारस्परिक अदला-बदली को तीन कारणों से स्वीकार किया जा सकता है या उसे मान्यता दी जा सकती हैः 1) रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर करने या बढ़ाने के लिये, 2) इससे टीके की आपूर्ति आसान हो जाती है, 3) सुरक्षा सुनिश्चित होती है। लेकिन यह पारस्परिक अदला-बदली का आग्रह इसलिये नहीं होना चाहिये कि टीकों की कमी आ गई है, क्योंकि टीकाकरण शुद्ध रूप से वैज्ञानिक प्रक्रिया के तहत आता है।

कुछ देशों में वैक्सीन के आपसी मिलान पर अनुसंधान हो रहा है। क्या भारत में भी ऐसा कोई अनुसंधान किया जा रहा है?

इस तरह का अनुसंधान जरूरी है और भारत में भी जल्द ऐसे अनुसंधानों को शुरू करने के कदम उठाये जा रहे हैं। यह चंद हफ्तो में शुरू हो जायेगा।

क्या बच्चों के टीकाकरण पर अध्ययन चल रहा है? कब तक बच्चों का टीका आने की आशा करें?

दो से 18 वर्ष के बच्चों पर कोवैक्सीन का परीक्षण शुरू हो गया है। बच्चों पर परीक्षण देश के कई केंद्रों में चल रहा है। इसके नतीजे इस साल सितंबर से अक्टूबर तक हमारे पास आ जायेंगे। बच्चों को भी संक्रमण हो सकता है, लेकिन वे गंभीर रूप से बीमार नहीं पड़ते। बहरहाल, बच्चों से वायरस दूसरों तक पहुंच सकता है। लिहाजा, बच्चों को भी टीका लगाया जाना चाहिये।

क्या वैक्सीन से प्रजनन क्षमता पर कोई नकारात्मक प्रभाव पड़ता है?

जब पोलियो वैक्सीन आई थी और भारत तथा दुनिया के अन्य भागों में दी जा रही थी, तब उस समय भी ऐसी अफवाह फैली थी। उस समय भी यह गलतफहमी पैदा की गई थी कि जिन बच्चों को पोलियो वैक्सीन दी जा रही है, आगे चलकर उन बच्चों की प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इस तरह की गलत सूचना एंटी-वैक्सीन लॉबी फैलाती है। हमें यह जानना चाहिये कि सभी वैक्सीनों को कड़े वैज्ञानिक अनुसंधान से गुजरना पड़ता है। किसी भी वैक्सीन में इस तरह का कोई बुरा असर नहीं होता। मैं सबको पूरी तरह आश्वस्त करना चाहता हूं कि इस तरह का कुप्रचार लोगों में गलतफहमी पैदा करता है। हमारा मुख्य ध्यान खुद को कोरोना वायरस से बचाना है, अपने परिवार और समाज को बचाना है। लिहाजा, सबको आगे बढ़कर टीका लगवाना चाहिये।

मायावती ने अखिलेश यादव पर किया कटाक्ष:सपा की हालत इस कदर खराब है कि उसे छोटे छोटे कार्यकर्ताओं और जनाधार खो चुके जनप्रतिनिधियों को अपने घर में जगह देनी पड़ रही है attacknews.in

लखनऊ 17 जून । अपनी पार्टी से बाहर किये गये विधायकों के समाजवादी पार्टी (सपा) में शामिल होने की अटकलो से आहत बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने लगातार दूसरे दिन सपा पर हमले करना जारी रखा।

सुश्री मायावती ने गुरूवार को एक के बाद एक दो ट्वीट कर कहा कि सपा की हालत इस कदर खराब है कि उसे छोटे छोटे कार्यकर्ताओं और जनाधार खो चुके जनप्रतिनिधियों को अपने घर में जगह देनी पड़ रही है।

उन्होने कहा “ सपा की हालत इतनी ज्यादा खराब हो गई है कि अब आएदिन मीडिया में बने रहने के लिए दूसरी पार्टी से निष्कासित व अपने क्षेत्र में प्रभावहीन हो चुके पूर्व विधायकों व छोटे-छोटे कार्यकर्ताओं आदि तक को भी सपा मुखिया को उन्हें कई-कई बार खुद पार्टी में शामिल कराना पड़ रहा है। ”

बसपा प्रमुख ने कहा “ ऐसा लगता है कि सपा मुखिया को अब अपने स्थानीय नेताओं पर भरोसा नहीं रहा है, जबकि अन्य पार्टियों के साथ-साथ खासकर सपा के ऐसे लोगों की छानबीन करके उनमें से केवल सही लोगों को बीएसपी के स्थानीय नेता आएदिन बीएसपी में शामिल कराते रहते है, जो यह सर्वविदित है।”

गौरतलब है कि मंगलवार को बसपा से निलंबित नौ विधायकों ने अलग अलग सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की थी हालांकि इसे सार्वजनिक नहीं किया गया था। सुश्री मायावती को यह नागवार गुजरा और उन्होने बुधवार को भी ट्वीट कर अपनी नाराजगी का इजहार किया और धमकी दी कि यदि सपा बागी विधायकों को जगह देती है तो इसका खामियाजा उठाने के लिये उसे तैयार रहना होगा।

ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना, बोलीं- उनकी सरकार के साथ भी Twitter जैसा व्यवहार किया जा रहा है attacknews.in

कोलकाता 17 जून ।पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीटर को लेकर जारी विवाद पर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है।

उन्होंने कहा कि केंद्र माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर को प्रभावित करने में असफल होने के बाद अब उसे प्रभावहीन करने का प्रयास किया जा रहा है।

उन्होंने अपनी सरकार से तुलना करते हुए कहा कि उनकी सरकार के साथ भी केंद्र ऐसा ही व्यवहार कर रहा है।

ममता बनर्जी ने इसकी निंदा करते हुए कहा कि वे ट्विटर को नियंत्रित नहीं कर सकते तो अब उसे प्रभावहीन करने का प्रयास कर रहे हैं। केंद्र हर उस व्यक्ति के साथ यह कर रहे हैं जिसे अपने पक्ष में नहीं ला पा रहे हैं। वे मुझे नियंत्रित नहीं कर सकते, इसलिए मेरी सरकार को भी प्रभावहीन करने की कोशिश कर रहे हैं।

राजनीतिक हिंसा जारी रहने के बीजेपी के आरोपों पर बनर्जी ने कहा कि यह भगवा पार्टी की ‘चाल’ है और उसके दावे पूरी तरह से ‘आधारहीन’ हैं। ‘राज्य में कोई राजनीतिक हिंसा नहीं हो रही है। एक-दो छिटपुट घटनाएं हो सकती हैं लेकिन उन पर राजनीतिक हिंसा का ठप्पा नहीं लगाया जा सकता।

ममता बनर्जी ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ पर निशाना साधते हुए कहा कि हमने तीन तीन बार पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी है कि राज्यपाल को वापस बुला लिया जाए. वो अमित शाह के आदमी हैं। उन्होंने कहा कि राज्यपाल किससे मुलाकात करते हैं यह उनका व्यक्तिगत मामला है और राज्यपाल उनके ही लोग हैं तो मिलना तो होगा ही। बता दें कि राज्यपाल धनखड़ दिल्ली के दौरे पर हैं।

केंद्र ने मुकुल रॉय और उनके बेटे की VIPसुरक्षा वापस ली;भाजपा विधायक राय ने पत्र लिखकर सुरक्षा हटाने को कहा था,अब ममता बनर्जी रॉय और बेटे को पुलिस सुरक्षा दे रही है attacknews.in

नयी दिल्ली, 17 जून ।पश्चिम बंगाल के नेता एवं विधायक मुकुल रॉय को प्रदत्त ‘जेड’ श्रेणी की वीआईपी सुरक्षा उनसे वापस ले ली गई है।

आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। उल्लेखनीय है कि रॉय कुछ दिन पहले भाजपा छोड़कर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में वापस आ गए थे।

सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) को 67 वर्षीय रॉय की सुरक्षा में तैनात जवानों को वापस बुलाने का निर्देश दिया है।

रॉय और उनके पुत्र शुभ्रांशु पिछले हफ्ते कोलकाता में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी में शामिल हो गए।

सूत्रों ने बताया कि भाजपा के उम्मीदवार के रूप में विधानसभा चुनाव जीतने वाले रॉय ने केंद्र को पत्र लिखकर सुरक्षा हटाने को कहा था जिसके बाद यह फैसला लिया गया।

इससे पहले 2017 में तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव के पद से हटाए जाने के बाद रॉय ने पार्टी छोड़ दी थी और नवंबर 2017 में भाजपा में शामिल हो गए थे। उन्हें भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया था। इसके बाद उन्हें केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल सीआरपीएफ की वाई प्लस श्रेणी की सुरक्षा दी गई थी जो इस साल मार्च-अप्रैल में पश्चिम बंगाल में विधानसभा से ठीक पहले बढ़ाकर जेड श्रेणी की कर दी गई थी।

रॉय जब भी पश्चिम बंगाल में कहीं जाते थे तो हर बार उनके साथ सीआरपीएफ के 22-24 सशस्त्र कमांडो का जत्था होता था।

सूत्रों ने बताया कि रॉय के पुत्र को सीआईएसएफ की कम श्रेणी की सुरक्षा दी गई थी, वह भी वापस ले ली गई है। अब रॉय और उनके बेटे को राज्य पुलिस सुरक्षा दे रही है।

मध्यप्रदेश में बुधवार को कोरोना के 160 नए मामले आए सामने, 34 की मौत;अबतक संक्रमितों की संख्या 7,88,809 हुई attacknews.in

भोपाल, 16 जून । मध्यप्रदेश में कोरोना के घटते मामलों के बीच आज 160 नए मामले सामने आए, तो वहीं 34 मरीजों ने इस बीमारी से अपनी जान गवां दी।
राज्य स्वास्थ्य संचालनालय द्वारा यहां जारी बुलेटिन के अनुसार पिछले चौबीस घंटों में जहां कोरोना के 160 नए मामले सामने आए।

संक्रमण दर भी घटकर 0़ 3 से 0़ 2 पर पहुंच गयी।

प्रदेश में अब तक 7,88,809 लोग संक्रमित हो चुके हैं।

प्रदेश भर में 463 नए मरीजों के स्वस्थ हो जाने के बाद अब तक इस बीमारी से ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 7,76,887 तक पहुंच गयी है।

प्रदेश भर में तेजी से ठीक हो रहे कोरोना मरीजों के चलते एक्टिव मरीजों की संख्या भी घटकर 3273 तक पहुंच गयी है।

इन सभी मरीजों का उपचार विभिन्न अस्पताल, होम आइसोलेशन एवं संस्थागत क्वॉरेंटाइन सेंटरों में किया जा रहा है।

इस बीच प्रदेश में सर्वाधिक मामले राजधानी भोपाल में आए, जहां 47 लोगों की रिपोर्ट पॉजीटिव आयी है।

यहां 1081 एक्टिव मरीज है, जिनका इलाज किया जा रहा है।

वहीं, इंदौर में 36 नए मामले सामने आए।

वहां सक्रिय मरीजों की संख्या 561 रह गयी है।

इसके अलावा जबलपुर में 17 मरीज मिले हैं।

इन तीनों जिलों को छोड़कर अन्य जिलों में दस से नीचे मरीज सामने आए हैं।

वहीं प्रदेश के 26 ऐसे जिले है, जहां कोरोना के एक भी नए मामले सामने नहीं आए हैं।