नईदिल्ली 17 फरवरी। बैंकों से हज़ारों करोड़ का कर्ज लेकर भाग जाने वालों की लिस्ट में पेन बनाने वाली कंपनी रोटोमैक के मालिक विक्रम कोठारी भी शामिल हो गए हैं।
कोठारी पर आरोप है कि उन्होंने देश के पांच सरकारी बैंकों से करीब 5,000 करोड़ रुपए का कर्ज लिया और अब उसे चुकाए बिना फरार हैं.
कोठारी पर बकाया कर्ज की खबर तब आई, जब पंजाब नेशनल बैंक में नीरव मोदी के 11,345 करोड़ रुपए के घोटाले का शोर चरम पर है.
कोठारी पेन बनाने वाली कंपनी रोटोमैक के मालिक हैं, कोठारी के पिता मनसुख भाई कोठारी गुजराती परिवार से ताल्लुक रखते थे. उन्होंने अगस्त 1973 में पान मसाले का धंधा शुरू किया और अपने प्रॉडक्ट को नाम दिया, ‘पान पराग.’ साल 1983 से 1987 के बीच पान पराग विज्ञापन देने वाली सबसे बड़ी कंपनी के तौर पर सामने आई.
मनसुख भाई के दो बेटे हुए. दीपक और विक्रम कोठारी. पिता का धंधा इन्हीं दोनों के बीच बंटा. दीपक के हिस्से में आया पान पराग और विक्रम के हिस्से में आई पेन कंपनी रोटोमैक.
विक्रम ने इसे चमकाने की खूब कोशिश की. सलमान खान जैसे स्टार को ब्रांड एंबैस्डर बनाकर प्रचार करवाया. इसी कंपनी के विस्तार के लिए कोठारी ने बैंकों से लोन लिया, लेकिन धंधा नहीं चला, तो वो बैंकों का पैसा नहीं चुका पाए.
कोठारी ने कानपुर में बैंकों से अघाकर लोन लिया, उस पर दबाकर ब्याज चढ़ा, लेकिन अब बैंकों के पास कॉलर पकड़ने के लिए कोई नहीं है.
कोठारी ने कर्ज लिया है इन बैंकों से
कोठारी कानपुर में रहते थे, जहां इनके कई घर हैं और ऑफिस है. कोठारी पर पांच सरकारी बैंकों का 5,000 करोड़ रुपए बकाया है. ये कर्ज इन्होंने 2010 में लेना शुरू किया था.
यूनियन बैंक के स्थानीय मैनेजर के मुताबिक कोठारी ने पांच बैंकों से करीब तीन हज़ार करोड़ रुपए का लोन लिया था, जो 2018 तक ब्याज लगने के बाद 5,000 करोड़ रुपए हो गया.
कोठारी पर किस बैंक का कितना बकाया है:
इंडियन ओवरसीज़ बैंक: 1400 करोड़
बैंक ऑफ इंडिया: 1395 करोड़
बैंक ऑफ बड़ौदा: 600 करोड़
यूनियन बैंक: 485 करोड़
इलाहाबाद बैंक: 352 करोड़
इसके अलावा कोठारी पर 600 करोड़ रुपए का एक चेक बाउंस होने का भी मामला है, जिसमें पुलिस इनकी तलाश कर रही है.
कोठारी को बैंकों से पैसा कैसे मिला
आम आदमी को बैंक से भले एक लाख रुपए का भी कर्ज न मिले, लेकिन ऐसे बड़े व्यवसायियों के साथ बैंक हमेशा कॉपरेट करते नज़र आते हैं. अभी तक की रिपोर्ट्स के मुताबित बैंकों ने कोठारी की संपत्ति को ज़्यादा करके आंका, जिससे उन्हें ज़्यादा लोन मिला. यानी कोठारी ने अपनी संपत्ति जितनी कीमत की दिखाई थी, वो उससे कहीं कम कीमत की है. कोठारी को अपने दिवंगत पिता मनसुख भाई कोठारी की साख का भी खूब फायदा हुआ.
कोठारी भाग गए हैं
पहला कयास तो यही लगाया जा रहा है कि इतने कर्ज और गिरफ्तारी के डर से कोठारी देश छोड़कर भाग गए हैं. कानपुर के कुछ स्थानीय लोग ऐसा दावा कर रहे हैं कि कोठारी को सालभर से किसी ने शहर में नहीं देखा. हालांकि, मीडिया से जुड़े कानपुर के सूत्र कहते हैं कि कोठारी देश छोड़कर नहीं भागे हैं और उनका कानपुर आना-जाना रहता है.
इन सूत्रों का दावा है कि जनवरी में कोठारी को कर्ज देने वाले बैंकों की मीटिंग हुई थी, जिसमें कोठारी अपने बेटे राहुल के साथ आए और आश्वासन दिया कि वो कर्ज वापस कर देंगे. कोठारी के घर के चौकीदार विक्रम कोठारी के घर में होने या आने-जाने पर सीधा जवाब नहीं देते, पर विक्रम के बेटे राहुल के कानपुर में होने की बात स्वीकार करते हैं. बैंक कई बार कोठारी को पैसा चुकाने का नोटिस भेज चुके हैं.
बैंक क्या कह रहे हैं
यूनियन बैंक के ब्रांच मैनेजर पीके अवस्थी का कहना है, ‘रोटोमैक कंपनी के मालिक विक्रम कोठारी ने बैंक से 485 करोड़ रुपए का लोन लिया था, जिसे उन्होंने वापस नहीं किया. इसे देखते हुए NCNT के तहत उन पर कार्रवाई की जा रही है. इस प्रक्रिया में कोठारी की संपत्ति बेची जा सकती है.’ इलाहाबाद बैंक के ब्रांच मैनेजर राजेश गुप्ता का बयान है, ‘अगर विक्रम कोठारी लोन नहीं चुकाते हैं, तो उनकी संपत्ति बेचकर पैसे रिकवर किए जाएंगे.’
बैंकों ने किया ये है कि कोठारी के कर्ज को NPA में डाल दिया. NPA यानी Non-performing Asset. इसे यूं समझिए कि जब कोई बैंक किसी को लोन देता है, तो वो लोन उस बैंक की संपत्ति होता है. मतलब बैंक इस उम्मीद से लोन देता है कि जो पैसा उसने दिया है, वो ब्याज समेत वापस आएगा. पर जब ये पैसा वापस नहीं आता, तो बैंक इसे अपनी ऐसी संपत्ति मान लेता है, जिससे उसे कोई फायदा नहीं हो रहा है. कर्ज के मामले में NPA वो पैसा होता है, जिसकी वसूली की उम्मीद खुद बैंक छोड़ चुका होता है.
इलाहाबाद बैंक ने कोठारी की तीन संपत्तियों की नीलामी के लिए 5 सितंबर 2017 की तारीख रखी थी. इसमें कानपुर में माल रोड की कोठी, सर्वोदय नगर के इंद्रधनुष अपार्टमेंट का फ्लैट और बिठूर का फार्म हाउस था. बैंक ने इन तीन संपत्तियों की कुल कीमत 17 करोड़ रुपए रखी थी, लेकिन कोठारी की रसूख और पहुंच के चलते बड़ी बोली लगी ही नहीं और संपत्ति नहीं बिकी.
दावा ये है कि इंडियन ओवरसीज़ बैंक कोठारी के 650 करोड़ के डिपॉज़िट (FDR) जब्त कर चुका है, जबकि कोठारी पर बैंक का कुल कर्ज 1,400 करोड़ रुपए का है. एक और महत्वपूर्ण बात ये भी कि जब कोठारी ने 2010 में इस बैंक से 150 करोड़ रुपए का लोन लिया था, तो 2018 तक कुल बकाया इतना कैसे बढ़ गया. कोठारी पर जितना कर्ज बकाया है, उसके मुकाबले बैंकों के पास कोठारी की मुश्किल से 20% संपत्ति है.attacknews.in
अधिकतर बैंक अधिकारी इसे घोटाला न बताकर NPA कह रहे हैं यानी वो कर्ज, जिसके वसूले जाने की संभावना खत्म हो चुकी है. वहीं अभी सिर्फ पांच बैंकों के बकाए की बात सामने आई है. आगे कितने खुलासे होंगे, पता नहीं.
कानपुर की माल रोड पर सिटी सेंटर में रोटोमैक का जो ऑफिस है, वो पिछले कई दिनों से बंद है. रोटोमैक में मैनेजर लेवल पर काम करने वाले अधिकतर अधिकारी दो-ढाई महीने पहले नौकरी छोड़ चुके हैं. कुछ छोटे कर्मचारी औपचारिकता के लिए ऑफिस आते हैं, लेकिन कंपनी का कारोबार मंदा है.attacknews.in