नयी दिल्ली 14 अगस्त । लोकसभा एवं विधानसभा के चुनाव एक साथ कराये जाने को लेकर देश में चल रही बहस के बीच चुनाव आयोग ने आज स्पष्ट संकेत दिया कि दोनों चुनाव एक साथ करना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं दिखता है क्योंकि इसे अंजाम तक पहुँचाने में कई तरह की अड़चनें हैं।
मुख्य चुनाव आयुक्त ओ पी रावत ने यहां कहा,“ एक राष्ट्र एक चुनाव के मुद्दे पर 2015 में भी चुनाव आयोग ने अपने विचार एवं सुझाव दिए थे। वीवीपैट की शत-प्रतिशत व्यवस्था करना एवं अन्य इंतजाम करना मुश्किल होगा, एक साथ दोनों चुनाव कराने के लिए अगर कुछ राज्यों की विधानसभाओं के कार्यकाल को बढ़ाना होगा या कुछ राज्यों के कार्यकाल को घटाना होगा और संविधान में संशोधन करना होगा। इसके अलावा अतिरिक्त पुलिस एवं सुरक्षाकर्मियों की भी जरूरत होगी। ”
उन्होंने कहा कि अगर किसी राज्य की विधानसभा का कार्यकाल समाप्त हो रहा हो तो आयोग वहां चुनाव करने की अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करने को तैयार है।
श्री रावत का यह बयान ऐसे समय में आया है जब मीडिया में प्रकाशित ख़बरों के अनुसार भारतीय जनता पार्टी दोनों चुनावों को एक साथ कराने की वकालत करते हुए अपनी तैयारियां भी उस हिसाब से करने जा रही है और उसकी कार्यकारिणी में इस पर चर्चा भी होनी है।
इस बीच, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि नरेन्द्र मोदी सरकार राज्यों की विधानसभा के कार्यकाल को बढ़ाना चाहती है और वह इन राज्यों के चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ करने कि फ़िराक में है।
गौरतलब है कि चार राज्यों राजस्थान, मध्यप्रदेश, छतीसगढ़ और मिजोरम में विधानसभा होने हैं। एक साथ दोनों चुनाव करने के पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि इससे सरकार को धन की काफी बचत होगी और समय भी बचेगा तथा लोगों को कई तरह की सहूलियतें होंगी।
भाजपा ने स्पष्ट किया-
भारतीय जनता पार्टी ने आज स्पष्ट किया कि 11 राज्यों में लोकसभा चुनावों के साथ ही एक साथ विधानसभा चुनाव करवाने का मोदी सरकार का कोई इरादा नहीं है।
भाजपा के प्रवक्ता डॉ. संबित पात्रा ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि भाजपा संभवत: 11 राज्यों में एक साथ चुनाव करवाना चाहती है। पार्टी ऐसी किसी भी भ्रांत धारणा को खारिज करती है।
उन्होंने कहा कि एक देश एक चुनाव को लेकर भाजपा की वही भावना है जो हमारे अध्यक्ष अमित शाह ने विधि आयोग के अध्यक्ष को लिखे पत्र में व्यक्त की है।
डॉ. पात्रा ने कहा कि श्री शाह ने पत्र में कहीं भी नहीं कहा है कि भाजपा 2019 में लोकसभा चुनावों के साथ 11 राज्यों में इकट्ठे विधानसभा चुनाव करवाना चाहती है। उन्होंने कहा कि एक देश एक चुनाव का आज़ादी के बाद से ही चर्चा में रहा है। वर्ष 1967 तक देश में सभी चुनाव एक साथ ही हुआ करते थे।
उन्होंने कहा कि भाजपा चाहती है कि इस मुद्दे पर देश में चर्चा हो और राजनीतिक दल एक आम सहमति पर पहुंचें। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इस बारे में आम सहमति कायम करने की बात कई बार कही है। इसे सकारात्मक चर्चा के आह्वान के रूप में देखा जाना चाहिए।
कांग्रेस की कोर्ट जाने की धमकी-
कांग्रेस ने चार राज्यों के विधानसभा चुनाव रोकने की बजाय लोकसभा चुनाव समय से पहले कराने का सरकार को आज सुझाव दिया और कहा कि इस मामले में मनमानी की गयी तो पार्टी इसे न्यायालय में चुनौती देगी।
कांग्रेस महासचिव अशोक गहलोत, कांग्रेस विधि प्रकोष्ठ के प्रमुख विवेक तन्खा तथा राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने यहां संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों के सवालों के जवाब में कहा कि भारतीय जनता पार्टी यदि चार राज्यों के विधानसभा चुनाव रोककर वहां राष्ट्रपति शासन लगाने की सोच रही है तो वह गलत कर रही है और इसे न्यायालय में चुनौती दी जायेगी।
श्री गहलोत ने कहा कि एक साथ चुनाव कराने की बात कर भाजपा सिर्फ राजनीतिक फायदा लेना चाहती है। यदि भाजपा के मन में चुनाव सुधार की भावना होती तो इस संंबंध में वह विपक्षी दलों से पहले बात करती, लेकिन उसे सिर्फ चुनावी लाभ अर्जित करना है। इसलिए एक साथ चुनाव की बात की जा रही है।
उन्होंने कहा कि चुनाव खर्च कम करने के प्रति भाजपा गंभीर है और इस वजह से चार राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ, मध्य प्रदेश और मिजोरम के चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ वह कराना चाहती है तो उसे समय से पहले लोकसभा भंग करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस लोकसभा चुनाव के लिए तैयार है।
‘एक देश, एक चुनाव’ के मुद्दे पर विधि आयोग को पत्र लिखकर लोकसभा के साथ ही 12 राज्यों में विधानसभा चुनाव कराने संबंधी भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की अपील पर पार्टी महासचिव ने कहा कि कांग्रेस भी विधि आयोग जाने के लिए स्वतंत्र है।
गौरतलब है कि मिजोरम, राजस्थान, मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ विधानसभाओं के कार्यकाल फरवरी के प्रथम सप्ताह तक हैं, जबकि इसके दो माह बाद ही लोकसभा चुनाव हैं। लोकसभा के साथ ही तेलंगाना, ओडिशा, सिक्किम और आंध्र प्रदेश में चुनाव होते हैं, जबकि इसके चंद माह बाद हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव होंगे।attacknews.in