नयी दिल्ली, 14 अक्टूबर । भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक अभिजीत बनर्जी को उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो के साथ नोबेल पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गयी है। बनर्जी अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) में अपनी पत्नी एस्थर के पीएचडी सुपरवाइजर भी रहे हैं।
बनर्जी वर्तमान में एमआईटी में अर्थशास्त्र के फोर्ड फाउंडेशन इंटरनेशनल प्रोफेसर हैं। 1990 में जोशुआ एंगरिस्ट के साथ वह डुफ्लो के पीएचडी सुपरवाइजर थे।
पीएचडी शोध निबंध में वह इस निष्कर्ष पर पहुंची थीं कि विकासशील देशों में ज्यादा शिक्षा पाने वालों को ज्यादा वेतन मिलता है।
दोनों की शादी 2015 में हुई थी और उन्होंने साथ मिलकर ‘गुड इकोनॉमिक्स इन हार्ड टाइम्स’ लिखी जो इसी हफ्ते बाजार में आने वाली है।
फ्रांसीसी मूल की डेफ्लो अर्थव्यवस्था में पुरस्कार पाने वाली सबसे युवा और दूसरी महिला हैं।
दंपति को हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर माइकल क्रेमर के साथ ‘‘इंट्रोड्यूसिंग न्यू एप्रोच टू ऑब्टेनिंग रिलायबल आंसर्स अबाउट द बेस्ट वेज टू फाइट ग्लोबल पोवर्टी’’ की खातिर नोबेल पुरस्कार हासिल हुआ है।
डुफ्लो और बनर्जी ने साथ मिलकर दर्जनों शोध पत्र प्रकाशित करवाएं हैं।
उन्होंने ‘पुअर इकोनॉमिक्स’ नाम से एक और किताब साथ- साथ लिखी है जो गरीबी उन्मूलन पर उनके कार्यों के दशकों पुराने अनुभव का दस्तावेजीकरण है।
अभिजीत बनर्जी सोमवार की सुबह स्टॉकहोम से नोबेल पुरस्कार प्राप्त होने की खबर मिलते ही वह सोने चले गए। उन्हें उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो और हार्वर्ड के प्रोफेसर माइकल क्रेमर के साथ अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला किया गया है।
बनर्जी ने नोबेलप्राइज डॉट ऑर्ग को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘हां, अहले सुबह की बात है। मैं इतनी सुबह नहीं जगता। मैंने सोचा कि अगर मैं सोया नहीं तो गड़बड़ हो जाएगी।’’
न्यूयॉर्क के समय के मुताबिक सोमवार सुबह छह बजे तीनों को 2019 के अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की गई।
उन्होंने कहा कि वह ज्यादा नहीं सो पाए क्योंकि उनको सम्मानित करने की खबर भारत से यूरोप तक फैल गई और उन्हें फोन आने लगे।
यह पूछने पर कि बनर्जी और डुफ्लो को विवाहित दंपति के तौर पर नोबेल हासिल हुआ है तो उन्होंने इसे ‘‘विशेष’’ करार दिया।
नोबेल पुरस्कार के इतिहास में केवल पांच अन्य विवाहित दंपतियों को यह प्राप्त हुआ है
अभिजीत बनर्जी को एस्थर डुफ्लो, माइकल क्रेमर के साथ संयुक्त रूप से मिला अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार
भारतीय अमेरिकी अभिजीत बनर्जी को वर्ष 2019 के लिए अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया गया है। उन्हें यह पुरस्कार फ्रांस की एस्थर डुफ्लो और अमेरिका के माइकल क्रेमर के साथ संयुक्त रूप से दिया गया है।
उन्हें यह पुरस्कार ‘वैश्विक स्तर पर गरीबी उन्मूलन के लिए किये गये कार्यों के लिये दिया गया।
नोबेल समिति के सोमवार को जारी एक बयान में तीनों को 2019 का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई।
बयान के मुताबिक, ‘‘ इस वर्ष के पुरस्कार विजेताओं का शोध वैश्विक स्तर पर गरीबी से लड़ने में हमारी क्षमता को बेहतर बनाता है। मात्र दो दशक में उनके नये प्रयोगधर्मी दृष्टिकोण ने विकास अर्थशास्त्र को पूरी तरह बदल दिया है। विकास अर्थशास्त्र वर्तमान में शोध का एक प्रमुख क्षेत्र है।’’
बनर्जी, 58 वर्ष, ने भारत में कलकत्ता विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई की। इसके बाद 1988 में उन्होंने हावर्ड विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि हासिल की।
वर्तमान में वह मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अर्थशास्त्र के फोर्ड फाउंडेशन अंतरराष्ट्रीय प्रोफेसर हैं।
बनर्जी ने वर्ष 2003 में डुफ्लो और सेंडिल मुल्लाइनाथन के साथ मिलकर अब्दुल लतीफ जमील पावर्टी एक्शन लैब (जे-पाल) की स्थापना की। वह प्रयोगशाला के निदेशकों में से एक हैं।
बनर्जी संयुक्तराष्ट्र महासचिव की ‘2015 के बाद के विकासत्मक एजेंडा पर विद्वान व्यक्तियों की उच्च स्तरीय समिति’ के सदस्य भी रह चुके हैं।
सोनिया ने अभिजीत बनर्जी को नोबेल की बधाई दी
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भारतीय मूल के अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी का नोबेल पुरस्कार के लिए चयन होने पर उन्हें बधाई देते हुए सोमवार को कहा कि उनकी उपलब्धि से हर भारतीय को खुशी हुई है।
उन्होंने एक बयान जारी कर उन दो अन्य अर्थशास्त्रियों को भी बधाई दी जिन्हें बनर्जी के साथ संयुक्त रूप से अर्थशास्त्र के नोबेल के लिए चुना गया है।
सोनिया ने कहा, ‘अपनी शानदार उपलब्धि से देश को गौरवान्वित करने वाले प्रोफेसर बनर्जी और उनके साथी नोबेल विजेताओं ने वैश्विक गरीबी के उन्मूलन के लिए प्रयोगधर्मी रुख अपनाया जिससे भारत सहित पूरी दुनिया में करोड़ों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में मदद मिली।
उन्होंने कहा कि उनकी पद्धति, रुख और प्रयोग अनुकरणीय तथा सामयिक दृष्टि से बहुत प्रासंगिक हैं ।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि बनर्जी के नोबेल के लिए चयन से हर भारतीय को खुशी हुई।
मनमोहन ने अभिजीत बनर्जी को बधाई दी
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भारतीय मूल के अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी का नोबेल पुरस्कार के लिए चयन होने पर उन्हें बधाई देते हुए सोमवार को कहा कि कि उनके लिए खुशी की बात है कि अर्थशास्त्र में एक बार फिर से एक भारतीय को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार मिलने जा रहा है।
सिंह ने बनर्जी को पत्र लिखकर कहा, ‘‘यह मेरे लिए खुशी और गर्व की बात है कि आप दूसरे भारतीय हैं जिन्हें अर्थशास्त्र में नोबेल मिला है। इससे पहले मेरे प्रिय मित्र प्रोफेसर आमर्त्य सेन को मिला था। मुझे इस बात की खुशी है कि आपकी पत्नी एस्थर डुफ्लो को भी आपके साथ संयुक्त रूप से नोबेल के लिए चुना गया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मेरी ओर से आपको और दूसरे लोगों को बहुत बधाई। मुझे खुशी है कि अर्थशास्त्र के एक विद्यार्थी को सम्मानित किया जा रहा है।’’