नयी दिल्ली, 21 अगस्त । आईएनएक्स मीडिया मामले में गिरफ्तारी के खतरे का सामना कर रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम को बुधवार को उच्चतम न्यायालय से तत्काल कोई राहत नहीं मिली। न्यायालय की पीठ ने कहा कि पूर्व वित्त मंत्री की याचिका तत्काल सूचीबद्ध किए जाने पर विचार हेतु प्रधान न्यायाधीश के समक्ष रखी जाएगी, इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने आईएनएक्स मीडिया मामले में गिरफ्तारी से राहत के लिए चिदंबरम की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया । इससे पहले चिदंबरम ने आईएनएक्स मीडिया मामले में उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उनकी याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने का उच्चतम न्यायालय से दोबारा अनुरोध किया था ।
आईएनएक्स मीडिया निवेश मामले में गिरफ्तारी का सामना कर रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदम्बरम को बुधवार को अंतत: कोई अंतरिम राहत नहीं मिली। अब उनकी अंतरिम जमानत याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हो सकती है।
श्री चिदम्बरम के वकीलों ने बताया कि अयोध्या विवाद की सुनवाई करके संविधान पीठ के उठने के बाद मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने रजिस्ट्रार से विमर्श किया और कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई होगी। इस बीच केंद्रीय जांच ब्यूरो ने शीर्ष अदालत में कैविएट याचिका भी दायर की है और न्यायालय से आग्रह किया है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता को किसी भी प्रकार की राहत दिये जाने से पहले उसका भी पक्ष सुना जाना चाहिए।
इससे पहले, श्री चिदम्बरम के वकीलों की फौज के प्रयास के बावजूद अंतरिम जमानत की उनकी याचिका को विशेष उल्लेख के लिए सूचीबद्ध नहीं किया जा सका।
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति एन वी रमन की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष भोजनावकाश बाद दोबारा मामले का विशेष उल्लेख किया, लेकिन न्यायमूर्ति रमन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री को याचिका में त्रुटियां नजर आयी हैं।
श्री सिब्बल ने दलील दी कि त्रुटियों को ठीक कर दिया गया है, इस पर न्यायमूर्ति रमन ने रजिस्ट्रार को अदालत में पेश करने का निर्देश दिया। रजिस्ट्रार ने पीठ को बताया कि याचिका की त्रुटियों को भोजनावकाश के बाद ही ठीक किया जा सका है।
श्री सिब्बल ने तब मामले की फिर से त्वरित सुनवाई के लिए फिर से आग्रह किया। उन्होंने दलील दी,“न्यायालय ने पहले भी लोगों को संरक्षण दिया है। याचिकाकर्ता ने हर वक्त जांच में सहयोग दिया है, इसके बावजूद उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया गया है। हम केवल मामले को सूचीबद्ध करने का अनुरोध करते हैं।”
न्यायमूर्ति रमन ने उनकी दलीलें अनसुनी कर दी और कहा कि मामले की सुनवाई तब तक नहीं की जा सकती जब तक उसे प्रक्रिया के दायरे में सूचीबद्ध नहीं किया जाता।”
उन्होंने कहा कि इस मामले को सूचीबद्ध करने के लिए मुख्य न्यायाधीश ही निर्णय ले सकते हैं। इसके बाद उन्होंने एक बार फिर से मामले को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के समक्ष भेज दिया।
सुबह में भी श्री सिब्बल ने न्यायमूर्ति रमन की पीठ के समक्ष मामले का विशेष उल्लेख किया था, लेकिन उसने इस बाबत कोई फैसला देने से इन्कार करते हुए संबंधित मामला मुख्य न्यायाधीश के समक्ष भेज दिया था।
न्यायमूर्ति रमन ने इस बीच श्री चिदम्बरम को गिरफ्तारी से तत्काल अंतरिम राहत देने से इन्कार भी किया था।
तब श्री सिब्बल ने मुख्य न्यायाधीश की बेंच का रुख किया लेकिन वहां अयोध्या विवाद की सुनवाई शुरू हो चुकी थी। इसलिए पूर्व केंद्रीय मंत्री की याचिका का विशेष उल्लेख नहीं किया जा सका।
आज सुबह चिदंबरम की गिरफ्तारी से राहत की मांग करने वाली याचिका न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति एम शांतानागौदर और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ के समक्ष आई थी। इस पर पीठ ने कहा कि मामले को प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगाई के समक्ष रखा जाएगा।
पीठ ने चिदंबरम के वकील एवं वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से कहा,‘‘मैं इसे भारत के प्रधान न्यायाधीश के पास भेज रहा हूं। वह आदेश देंगे।’’
सीबीआई और ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि यह ‘बड़े पैमाने पर’ धनशोधन का मामला है।
मेहता के एक कनिष्ठ सहायक ने कहा, ‘‘हम चिदंबरम के किसी भी कदम का विरोध करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।’’
सिब्बल ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि उच्च न्यायालय ने मंगलवार को चिदंबरम की याचिका खारिज कर दी थी।
उन्होंने बताया कि आईएनएक्स मामले में सीबीआई और ईडी की ओर से दर्ज मामले में चिदंबरम को एक साल से अधिक समय से गिरफ्तारी से राहत दी जा रही है। सिब्बल ने कहा कि उच्च न्यायालय ने चिदंबरम को गिरफ्तारी से किसी प्रकार की छूट देने से भी इनकार कर दिया है।
सिब्बल ने कहा,‘‘मामले की सुनवाई होनी चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि उनके मुवक्किल (चिदंबरम) को इसबीच गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए।
उन्होंने शीर्ष अदालत से यह भी कहा कि बुधवार को तड़के दो बजे जांच एजेंसियों ने चिदंबरम के आवास पर एक नोटिस चस्पां किया है जिसमें कहा गया है कि उन्हें दो घंटे के भीतर उनके समक्ष पेश होना है।
जब सिब्बल ने कहा कि उनकी याचिका रजिस्ट्री में नामांकित हो गई है, तब पीठ ने कहा, ‘‘आप सारी औपचारिकताएं पूरी करिए।’’
गौरतलब है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया मामले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की गिरफ्तारी से किसी भी तरह का संरक्षण देने से मना कर दिया था।
ED ने जारी किया नया लुकआऊट नोटिस–
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आईएनएक्स मीडिया धनशोधन मामले में पूर्व केन्द्रीय मंत्री पी चिदंबरम के खिलाफ एक नया लुकआउट नोटिस जारी किया।
अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कांग्रेस नेता के खिलाफ लुकआउट नोटिस सभी सड़क मार्ग, हवाई मार्ग तथा समुद्र बंदरगाहों और वहां की कानून प्रवर्तन एजेंसियों को भेज दिए गए हैं।
इसमें यह भी कहा गया है कि कांग्रेस नेता को ईडी की अनुमति के बिना भारत की सीमा से बाहर न जाने दिया जाए।
अधिकारियों ने बताया कि यह एजेंसी द्वारा उठाए गए ऐहतियादी कदम हैं क्योंकि चिदंबरम के पते-ठिकाने के बारे में कोई जानकारी नहीं है, और आईएनएक्स मीडिया मामले की जांच को आगे बढ़ाने में उनकी जरूरत है।
गौरतलब है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया मामले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की गिरफ्तारी से किसी भी तरह का संरक्षण देने से मना कर दिया था।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कहा है कि आईएनएक्स मीडिया धन शोधन मामले में पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदम्बरम के खिलाफ बुधवार को जारी लुक आउट नोटिस ऐहतियात के तौर पर उठाया गया कदम है।
ईडी के अधिकारियों ने कहा कि मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से श्री चिदम्बरम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद ईडी और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की टीमें श्री चिदम्बरम के नयी दिल्ली के जोरबाग स्थित आवास पर गयी थी, लेकिन वहां वह मौजूद नहीं थे। बाद में आज उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया गया।
अधिकारियों ने कहा कि लुकआउट नोटिस ऐहतियातन उठाया गया कदम है, क्योंकि वर्तमान में श्री चिदम्बरम कहां हैं, इसकी कोई जानकारी नहीं है। आईएनएक्स मीडिया मामले की जांच आगे बढ़ाने के लिए श्री चिदम्बरम की मौजूदगी जरूरी है।
लुकआउट नोटिस एक परिपत्र है, जो कई मामलों में जारी किया जाता है। इसका उपयोग भागे हुए अपराधियों का पता लगाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। कई बार ऐसा होता है कि कोई अपराधी हवाई अड्डे अथवा दूसरे देश की सीमा पर पकड़ा जाता है। ऐसे अपराधियों के खिलाफ उस देश के अधिकारियों के पास लुक आउट नोटिस होता है।
लुक आउट नोटिस का उपयोग अंतरराष्ट्रीय सीमाओं (जैसे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों या समुद्री क्षेत्र, बंदरगाहों) पर आव्रजन जांच में किया जा सकता है। नोटिस जारी करने वाली एजेंसी के अनुरोध पर आव्रजन अधिकारी आरोपी व्यक्ति को हिरासत में भी ले सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने हाल ही में आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर, उनके पति दीपक और वीडियोकॉन ग्रुप के प्रबंध निदेशक वेणुगोपाल धूत के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया है ताकि वे देश छोड़कर न जा सकें।
सरकारी दिशानिर्देशों के तहत किसी भारतीय व्यक्ति के खिलाफ सभी आव्रजन जांच चौकियाें के लिए लुक आउट नोटिस गृह मंत्रालय की ओर से तैयार प्रारूप में ही जारी किया जा सकता है। इसे जारी करने का अधिकार केंद्र में उप सचिव, प्रदेश में संयुक्त सचिव तथा जिलाें में पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी को होता है। लुक आउट नोटिस जारी करने वाली एजेंसी के लिए जरूरी है कि जिस व्यक्ति के खिलाफ इसे जारी किया गया है, उसकी पूरी पहचान निर्धारित प्रारुप में देना आवश्यक है तथा संबंधित व्यक्ति के नाम के अलावा कम से कम तीन और पहचान चिह्न भी बताना जरूरी होगा। इसकी अवधि जारी होने की तारीख से एक वर्ष तक वैध होता है, हालांकि नोटिस जारी करने वाली एजेंसी इसकी मियाद बढ़ाना चाहती है, तो वह एक वर्ष की अवधि समाप्त होने से पहले ऐसा कर सकती है।
CBI ने सुबह फिर तलाशा चिदंबरम को-
सीबीआई बुधवार सुबह एक बार फिर पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के आवास पर उन्हें खोजने पहुंची लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी। इससे पहले पूर्व वित्त मंत्री की कानूनी टीम ने सीबीआई को पत्र लिख उच्चतम न्यायालय में बुधवार को उनकी याचिका पर सुनवाई से पहले उनके खिलाफ किसी प्रकार की बलपूर्वक कार्रवाई ना करने की अपील की।
अधिकारियों ने बताया कि अधिकारियों का एक दल बुधवार सुबह चिदंबरम के जोर बाग स्थित आवास पर उन्हें ढूंढने पहुंचा और मंगलवार की तरह खाली हाथ ही लौट आया क्योंकि वह वहां नहीं थे।
उच्चतम न्यायालय में चिदंबरम की याचिका पर सुनवाई से कुछ देर पहले सीबीआई ने उन्हें फिर ढूंढने की कोशिश की।
आईएनएक्स मीडिया मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय से अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद सीबीआई अधिकारी मंगवार को चिदंबरम के दिल्ली स्थित आवास पहुंचे, लेकिन वहां उनसे मुलाकात नहीं होने पर अधिकारियों ने नोटिस जारी कर उन्हें दो घंटे में पेश होने का निर्देश दिया।
इसके जवाब में चिदंबरम की कानूनी टीम ने कहा कि नोटिस में कानून के उन प्रावधानों का जिक्र नहीं किया गया है जिनके तहत उन्हें तलब किया गया। साथ ही उन्होंने उच्चतम न्यायालय में बुधवार सुबह उनकी याचिका पर सुनवाई होने से पहले कोई बलपूर्वक कार्रवाई ना करने की अपील भी की।
चिदंबरम के वकील अर्शदीप खुराना ने कहा कि उनके मुवक्किल को ‘‘खबरों के जरिए’’ पता चला कि उन्हें आईएनएक्स मीडिया मामले में जांच अधिकारियों के समक्ष पेश होने को कहा गया है।
खुराना ने कहा, ‘‘ मुझे यह बताने को कहा गया है कि आपके नोटिस में कानून के उस प्रावधान का उल्लेख नहीं है, जिसके तहत मेरे मुवक्किल को आधी रात को दो घंटे के एक ‘शॉर्ट नोटिस’ पर पेश होने को कहा गया।’’
इसके अलावा, कृपया ध्यान दें कि मेरा मुवक्किल कानून द्वारा मुहैया कराए गए अधिकारों का इस्तेमाल कर रहा है और उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज किए जाने के आदेश पर राहत पाने के लिए माननीय उच्चतम न्यायालय का 20 अगस्त 2019 को रुख भी किया…।’’
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