नयी दिल्ली, 14 फरवरी । उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर भानुमति शुक्रवार को अदालत कक्ष में उस समय बेहोश हो गयीं जब वह निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्याकांड के चार दोषियों को अलग-अलग फांसी दिये जाने की केंद्र की याचिका पर आदेश सुना रही थीं।
हालांकि न्यायमूर्ति भानुमति जल्द ही होश में आ गयीं और उन्हें वहां डायस पर बैठे अन्य न्यायाधीशों तथा उच्चतम न्यायालय के कर्मियों ने चैंबर में पहुंचाया।
उन्हें इलाज के लिए व्हील चेयर पर ले जा गया।
बाद में न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना ने कहा कि मामले में आदेश अब चैंबर में सुनाया जाएगा।
मामले की सुनवाई कर रही तीन सदस्यीय पीठ में न्यायमूर्ति अशोक भूषण भी शामिल हैं।
जस्टिस भानुमति की तबीयत बिगड़ने पर केंद्र की अपील पर सुनवाई टली:
उच्चतम न्यायालय ने निर्भया के दोषियों को अलग-अलग फांसी देने की केंद्र एवम् दिल्ली सरकार की विशेष अनुमति याचिका पर शुक्रवार को फैसला नहीं लिखवाया जा सका, क्योंकि फैसला लिखाते वक्त न्यायमूर्ति आर भानुमति की तबीयत अचानक बिगड़ गई।
न्यायमूर्ति भानुमति ने केंद्र की अपील पर सुनवाई 20 मार्च तक टालने संबंधी आदेश लिखवाना शुरू ही किया था कि उनकी तबीयत बिगड़ गई और वह अचेत हो गईं।
खंडपीठ में शामिल न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना ने कहा कि इस मामले में बाद में आदेश जारी किया जाएगा।
बाद में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मीडिया कर्मियों को बताया कि न्यायमूर्ति भानुमति तेज ज्वर से पीड़ित थीं और इस मामले की गंभीरता के मद्देनजर वह सुनवाई के लिए आईं थी।
केंद्र सरकार ने उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें उसने कहा है कि चारों दोषियों को अलग-अलग फांसी नहीं हो सकती।
गौरतलब है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को अपने फैसले में कहा कि निर्भया के चारों दोषियों को अलग-अलग समय पर फांसी नहीं दी जा सकती जबकि केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में कहा था कि जिन दोषियों की याचिका किसी भी फोरम में लंबित नहीं है, उन्हें फांसी पर लटकाया जाए। एक दोषी की याचिका लंबित होने से दूसरे दोषियों को राहत नहीं दी जा सकती।