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राजीव गांधी

नवें लोकसभा चुनाव सन् 1989 में बोफ़ोर्स घोटाला और दलाली ने राजीव गांधी की सरकार को सत्ता से बाहर किया और शुरू हुआ गठबंधन की राजनीति का सफर attacknews.in

नयी दिल्ली, 31 मार्च । बोफोर्स घोटाले के आरोप-प्रत्यारोप के साये में वर्ष1989 में हुये लोकसभा चुनाव में कांग्रेस न केवल कमजोर हुयी बल्कि एक बार फिर सत्ता से बाहर हो गयी थी और केंद्र में साझा सरकार बनने और उसे बाहर से समर्थन देने की नयी परंपरा शुरु हुयी।

इस चुनाव के बाद एक नया राजनीतिक समीकरण बना जिसमें श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह के नेतृत्व में केन्द्र में साझा सरकार बनी तथा भारतीय जनता पार्टी(भाजपा)और वाम दलों ने उसे बाहर से समर्थन दिया लेकिन आपसी कलह के कारण यह सरकार ज्यादा दिन नहीं चल सकी तथा दो वर्ष में ही लोकसभा चुनाव कराना पड़ा।

लोकसभा के नवें चुनाव में कांग्रेस करीब 40 प्रतिशत वोट हासिल किये थे लेकिन उसे 197 सीटें ही मिल पायी थीं। उसे बिहार में गहरा झटका लगा था जबकि उत्तर प्रदेश में वह 15 सीटों पर सिमट गयी थी। मध्य प्रदेश , पंजाब , पश्चिम बंगाल और ओडिशा में भी उसकी स्थिति अच्छी नहीं रही। इस चुनाव तक लोगों में राजनीतिक महत्वाकांक्षी काफी बढ़ गयी थी और राजनीतिक दलों की बाढ़ आ गयी थी । पहले के चुनावों की तुलना में अधिकतर क्षेत्र में बड़ी संख्या में उम्मीदवार मैदान में उतरे। हरियाणा की एक सीट पर तो 122 उम्मीदवार चुनाव लड़े जिसके कारण कई समस्याएं पैदा हो गयी थी ।

लोकसभा की 529 सीटों के लिए हुये इस चुनाव में आठ राष्ट्रीय पार्टियों , 20 राज्य स्तरीय पार्टियों , 35 निबंधित पार्टियों के अलावा 3713 निर्दलीय उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था । राष्ट्रीय पार्टियों में कांग्रेस , भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी , मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी , भाजपा, जनता दल , जनता पार्टी , लोकदल और कांग्रेस (सरतचन्द्र गुट) शामिल थी । राज्य स्तरीय पार्टियों में अन्नाद्रमुक , द्रमुक , फारवर्ड ब्लाक , नेशनल कांफ्रेंस , पैंथर्स पार्टी , केरल कांग्रेस , महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी , मुस्लिम लीग , अकाली दल , आरएसपी , तेलगू देशम पार्टी तथा कुछ अन्य दल शामिल थे ।

इस चुनाव में 49 करोड़ 89 लाख से अधिक मतदाताओं में से 61.95 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। राष्ट्रीय पार्टियों के कुल 1378 उम्मीदवारों को 79.33 प्रतिशत वोट मिले थे तथा इनमें से 471 प्रत्याशी निर्वाचित हुये थे । राज्य स्तरीय पार्टियों ने 143 उम्मीदवार उतारे थे और 9.28 प्रतिशत वोट हासिल किये और 27 प्रत्याशी चुने गये थे । निबंधित पार्टियों ने 926 उम्मीदवार लड़ाये थे जिनमें सें 19 जीत गये । अपने दमखम पर चुनाव लड़े 3713 निर्दलीय उम्मीदवारों में से 12 जीते।

कांग्रेस ने 510 , भाजपा ने 225 , भाकपा ने 50 , माकपा ने 64 , जनता दल ने 244 , जनता पार्टी ने 155 , लोकदल ने 116 और कांग्रेस (सरतचन्द्र) ने 14 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे थे । कांग्रेस को 39.53 प्रतिशत वोट मिले थे और उसके 197 उम्मीदवार निर्वाचित हुये थे जबकि जनता दल 17.79 प्रतिशत वोट मिले थे और उसके 143 उम्मीदवार जीते थे । भाजपा काे 11.36 प्रतिशत वोट मिले थे और उसके के 85 उम्मीदवार जीते थे । भाकपा को 2.57 प्रतिशत वोट मिले और 12 उम्मीदवार चुने गये थे जबकि माकपा को 6.55 प्रतिशत वोट मिले थे और उसके 33 प्रत्याशी निर्वाचित हुये थे । आश्चर्य की बात यह थी कि जनता पार्टी और लोकदल (बी) का खाता भी नहीं खुल सका था ।

कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में 15 , बिहार में चार , आन्ध्र प्रदेश में 39 , अरुणाचल में दो , गोवा में एक , गुजरात में तीन , हरियाणा में चार , हिमाचल प्रदेश में एक , जम्मू कश्मीर में दो , कर्नाटक में 27 , केरल में 14 , मध्य प्रदेश में आठ , महाराष्ट्र में 28 , दिल्ली , मणिपुर और मेघालय में दो – दो , उड़िसा मे तीन , पंजाब में दो , तमिलनाडु में 27 , त्रिपुरा में दो , पश्चिम बंगाल में चार , मिजोरम , नागालैंड , अंडमान निकोबार , लक्ष्यद्वीप और पुड्डीचेरी में एक – एक सीट मिली थी ।

जनता दल को बिहार में 32 , उत्तर प्रदेश में 54 , गुजरात में 11 , हरियाणा में छह , मध्य प्रदेश में चार , महाराष्ट्र में पांच , उड़िसा में 16 , राजस्थान में 11 , कर्नाटक , पंजाब , चंडीगढ और दिल्ली में एक एक सीट मिली थी । भाजपा को बिहार में आठ , उत्तर प्रदेश में आठ , गुजरात में 12 , महाराष्ट्र में दस , राजस्थान में 13 , दिल्ली में चार , और हिमाचल प्रदेश में तीन सीटें मिली थी ।

भाकपा को बिहार में चार , महाराष्ट्र , ओडिशाऔर तमिलनाडु में एक – एक ,उत्तर प्रदेश में दो तथा पश्चिम बंगाल में तीन सीटें मिली थी । पश्चिम बंगाल में आम लोगों तक पहुंच बरकरा रखने में सफल रही माकपा 27 सीटों पर कब्जा करने में सफल रही तथा उसने बिहार , ओडिशा , राजस्थान और उत्तर प्रदेश में एक – एक तथा केरल में दो सीटों पर कामयाबी हासिल की ।

बहुजन समाज पार्टी को उत्तर प्रदेश में दो और पंजाब में एक सीट मिली जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बिहार में तीन सीट जीत ली थी । बिहार में आईपीएफ को भी एक सीट मिली । अकाली दल (एम) को पंजाब में छह सीट और फारवर्ड ब्लाक को पश्चिम बंगाल में तीन सीटें मिली । तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक 11 तथा आन्ध्र प्रदेश में तेलगू देशम पार्टी को दो सीटें मिली । इसके साथ ही कुछ अन्य दलों को भी कुछ स्थानों पर सफलता मिली थी । निर्दलीय उम्मीदवार महाराष्ट्र और पंजाब में तीन – तीन सीट पर , उत्तर प्रदेश में दो तथा जम्मू कश्मीर , मध्य प्रदेश , दादर नागर हवेली और दामन दीव में एक एक सीट पर सफलता अर्जित कर सके ।

उत्तर प्रदेश के अमेठी में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी जनता दल के उम्मीदवार राज मोहन शास्त्री से लगभग दो लाख मतों के अंतर से चुनाव जीते थे। उन्हें 271407 तथा श्री राज मोहन गांधी को 69269 वोट मिले थे । बोफोर्स तोप घोटाले को प्रमुखता से उठाने और कांग्रेस की विफलताओं को बढ़-चढ़ कर उठाने वाले विश्वनाथ प्रताप सिंह ने जनता दल के उम्मीदवार के रुप में फतेहपुर में कांग्रेस के हरि शंकर शास्त्री को पराजित कर दिया था । श्री सिंह 245653 तथा श्री शास्त्री 124097 वोट मिले थे।

बलिया में जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़े चन्द्रशेखर ने कांग्रेस के जगन्नाथ चौधरी को लगभग 90 हजार मतों से पराजित कर दिया । बागपत में जनता दल के अजीत सिंह और मुजफ्फरनगर में इसी पार्टी के मुफ्ती मोहम्मद सईद निर्वाचित हुये थे । इन दोनो उम्मीदवारों ने कांग्रेस कों पराजित किया था। बिजनौर (सु) सीट पर बसपा की मायावती ने जनता दल के मंगल राम प्रेमी को हराया था। बदायूं में जनता दल के शरद यादव और पीलीभीत में इसी पार्टी के टिकट पर मेनका गांधी निर्वाचित हुयी थी। भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवानी ने नयी दिल्ली सीट पर कांग्रेस की मोहिनी गिरी को पराजित किया था। श्री आडवाणी को 129256 वोट और मोहिनी गिरी को 97415 वोट मिले थे।

बिहार के छपरा में जनता दल के लालू प्रसाद यादव ने जनता पार्टी के उम्मीदवार राजीव रंजन सिंह को पराजित किया था। श्री यादव को 333897 वोट और श्री सिंह को 192015 वोट मिले थे । हाजीपुर में जनता दल के राम विलास पासवान ने कांग्रेस के महावीर पासवान को बुरी तरह पराजित किया था। इस चुनाव में राम विलास पासवान को छह लाख 15 हजार से अधिक वोट मिले थे जबकि श्री महावीर पासवान एक लाख दस हजार वाेट मिल पाये थे। बाढ सीट पर जनता दल के टिकट पर युवा नेता नीतीश कुमार तथा किशनगंज से कांग्रेस के टिकट पर पत्रकार एम जे अकबर ने अपने प्रतिंद्वियों को पराजित किया था । सासाराम में कांग्रेस की मीरा कुमार को जनता दल के छेदी पासवन को हराया था । दुमका में झामुमो के शिबू सोरेन ने कांग्रेस के पृथ्वीचंद किस्कू को हराया था ।

मध्य प्रदेश की खजुराहो सीट पर भाजपा की फायर ब्रांड नेता उमा भारती ने कांग्रेस की विद्यावती चतुर्वेदी को पराजित किया था। सुश्री भारती को 369699 वोट तथा श्रीमती विद्यावती चतुर्वेदी को 176354 वोट आया था । इंदौर में भाजपा की ही सुमित्रा महाजन ने कांग्रेस के प्रकाश चंद सेठी को हराया था । श्रीमती महाजन 319123 और श्री सेठी 207509 वोट लाने में सफल रहे थे । समाजवादी चिन्तक मधु दंडवते ने महाराष्ट्र के राजापुर में जनता दल के टिकट पर कांग्रेस के शिवराम राजे भोंसले को हराया था। बाम्बे उत्तर में भाजपा के राम नाईक ने कांग्रेस के चन्द्रकांत गोसालिया को हराया था ।

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