नयी दिल्ली, पांच नवम्बर । गुजरात दंड प्रक्रिया संहिता संशोधन और पश्चिम बंगाल औद्योगिक संशोधन मसौदे समेत आठ राज्यों के नौ विधेयकों को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की स्वीकृति मिल गई है।
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि दंड प्रक्रिया संहिता (गुजरात संशोधन) विधेयक 2017 पर काफी विचार के बाद राष्ट्रपति ने हाल में मंजूरी दे दी। यह विधेयक विचाराधीन कैदियों को व्यक्तिगत पेशी की बजाए वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए पेश होने की इजाजत देता है।
यह संशोधन कैदियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और विचाराधीन कैदियों को अदालतों में पेश करने के दौरान न्यूनतम पुलिस कर्मियों की तैनाती सुनिश्चित करने के लिए है।
अधिकारी ने कहा कि कर्नाटक के दो विधेयक– न्यूनतम मजदूरी (कर्नाटक संशोधन) विधेयक 2017 और कर्नाटक समुद्री बोर्ड विधेयक 2015– को भी राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है।
कर्नाटक मजदूरी बिल 23 उद्योगों के श्रमिकों को बेहतर मजदूरी मुहैया कराने के लिए है जबकि समुद्री बोर्ड विधेयक एक प्राधिकरण को स्थापित करने का प्रस्ताव करता है जो बंदरगाहों पर परियोजनाओं का शुरू करने के लिए रास्ते बताएगा।
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि औद्योगिक विवाद (पश्चिम बंगाल संशोधन) विधेयक 2016, औद्योगिक विवाद (झारखंड संशोधन) विधेयक 2016 और औद्योगिक विवाद (केरल संशोधन) विधेयक 2016 को भी राष्ट्रपति ने अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है।
इन तीनों विधेयकों का मकसद, औद्योगिक प्रतिष्ठानों के प्रबंधन और कर्मचारियों के बीच विवादों के निपटान के लिए नियम तय करना, कानून के तहत आने वाले कर्मचारियों का दायरा बढ़ाना एवं सभी औद्योगिक इकाइयों में शिकायत निवारण समितियों को गठित करना है।
श्रीकृष्ण आयुष विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्र विधेयक 2016 को भी राष्ट्रपति ने स्वीकृति दे दी है। यह विधेयक हरियाणा के कुरूक्षेत्र में आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना में सहायता करेगा।attacknews
अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रपति ने दंत चिकित्सक (आंध्र प्रदेश संशोधन) विधेयक 2017 और भारतीय स्टांप (मध्य प्रदेश संशोधन) विधेयक 2016 को भी अपनी मंजूरी दे दी है।