कोलकाता, 22 अगस्त । नेताजी सुभाष चंद्र बोस के निधन से जुड़े विवाद के बीच बृहस्पतिवार को उनकी पुत्री अनिता बोस फाफ ने अस्थियों की डीएनए जांच के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने की मांग की। साथ ही उन्होंने दावा किया कि पिछली सरकारों में कुछ खास लोग नहीं चाहते थे कि रहस्य से पर्दा उठे।
माना जाता है कि जापान के रेनकोजी मंदिर में रखी अस्थियां नेताजी की हैं।
अनीता बोस फाफ ने बहुचर्चित स्वतंत्रता सेनानी नेताजी की मृत्यु से जुड़े रहस्य को सुलझाने के प्रयासों को लेकर प्रधानमंत्री मोदी की सराहना की ।
उन्होंने कहा कि वह भी इस धारणा को साझा करती हैं कि उनके पिता की मृत्यु 18 अगस्त 1945 को विमान दुर्घटना में हुई थी, अन्यथा कुछ और साबित नहीं हो जाता।
उन्होंने कहा कि रेनकोजी मंदिर में रखी अस्थियों के डीएनए परीक्षण की अनुमति देने के लिए अनुरोध करने की खातिर वह प्रधानमंत्री से और जापानी अधिकारियों से भी मिलना चाहेंगी।
अनीता ने जर्मनी से टेलीफोन पर दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘जब तक कुछ और साबित नहीं हो जाए, मुझे विश्वास है कि उनकी मृत्यु 18 अगस्त 1945 को विमान दुर्घटना में हुयी। लेकिन बहुत लोग इसे नहीं मानते। मैं निश्चित रूप से चाहूंगी कि रहस्य सुलझ जाए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे लगता है कि रहस्य को सुलझाने का सबसे अच्छा तरीका जापान में मंदिर में रखी अस्थियों का डीएनए परीक्षण करना है। डीएनए परीक्षण से सच साबित हो जाएगा कि यह वास्तव में उनकी है या नहीं।’’
उन्होंने कहा कि वह केंद्र सरकार के पास रखी गई फाइलों को सार्वजनिक करके रहस्य को सुलझाने के प्रयासों को लेकर धन्यवाद देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी से मिलना चाहेंगी। उन्होंने कहा कि वह जापानी अधिकारियों से भी अनुरोध करेंगी कि अगर उनके पास नेताजी से जुड़ी कोई फाइल है तो वे उसे सार्वजनिक करें।
उनकी टिप्पणी 18 अगस्त को केंद्र सरकार के प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) के एक ट्वीट पर पैदा हुए विवाद की पृष्ठभूमि में आयी है। पीआईबी ने ट्वीट कर कहा था कि पीआईबी महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस को उनकी पुण्यतिथि पर याद करता है।
नेताजी के परिवार के एक वर्ग द्वारा विरोध किए जाने के बाद इसे वापस ले लिया गया था।
अनिता ने इस सवाल का सीधा जवाब नहीं दिया कि क्या उन्हें लगता है कि पिछली सरकारों ने (कांग्रेस सरकार सहित) नेताजी की मौत के रहस्य को जानबूझकर नजरअंदाज किया।
जर्मनी में रह रही प्रख्यात अर्थशास्त्री अनिता ने कहा कि हालांकि उनके पास ऐसा कोई सबूत नहीं है कि कांग्रेस सरकारों ने इस मुद्दे की अनदेखी की लेकिन ‘‘पिछली सरकारों में कुछ लोग नहीं चाहते थे कि यह रहस्य सुलझे और इसकी अनदेखी की गई।’’
कई रिपोर्ट के अनुसार 1945 में 18 अगस्त को बोस ताइवान के थाइहोकू हवाई अड्डे से विमान में सवार हुए थे जो बाद में दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
हालांकि अनेक लोगों, विशेषकर बंगाल के लोगों, का मानना है कि वह इस दुर्घटना में बच गए थे और बाद में गुमनामी में जीवन बिताया।