काठमांडू, 12 जनवरी । नेपाल के विदेश मंत्री के नयी दिल्ली के दौरे से पहले नेपाल के प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली ने कहा है कि भारत या चीन के साथ संबंधों में उनका देश संप्रभुता की बराबरी से समझौता नहीं करेगा। विदेश मंत्री के दौरे में सीमा गतिरोध पर वार्ता केंद्रित रहने की उम्मीद है।
‘डब्ल्यूआईओएन’ समाचार चैनल ने 68 वर्षीय ओली के हवाले से बताया, ‘‘लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी के इलाके नेपाल का ही हिस्सा हैं।’’
ओली ने कहा, ‘‘हम चीन या भारत के क्षेत्र पर दावे करने की स्थिति में नहीं हैं। लेकिन हम अपने मित्रों के साथ अपने क्षेत्रों पर दावा जरूर करेंगे।’’ पिछले वर्ष ओली सरकार ने एक नया राजनीतिक मानचित्र जारी कर तीन भारतीय क्षेत्रों को नेपाल का हिस्सा बताया था जिसके बाद सीमा गतिरोध जारी हो गया था।
नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली के 14 जनवरी को नयी दिल्ली के दौरे से दो दिनों पहले उनका यह बयान आया है। द्विपक्षीय संबंधों में तनाव आने के बाद वह सबसे वरिष्ठ नेता हैं जो भारत के दौरे पर जा रहे हैं।
ओली ने रविवार को कहा था कि नयी दिल्ली में ग्यावली की वार्ता सीमा मुद्दे पर केंद्रित होगी।
ओली ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि 2021 वह वर्ष होगा जब हम घोषणा करेंगे कि नेपाल और भारत के बीच कोई समस्या नहीं है।’’
चैनल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि उन्होंने भारत और चीन के बीच जारी विवाद का समाधान कराने की भी पेशकश की।
ओली ने कहा, ‘‘अगर हम उनकी सहायता करने में मददगार साबित हो सकते हैं तो हम तैयार हैं।’’
घरेलू राजनीतिक संकट पर जिस कारण उन्हें प्रतिनिधि सभा को भंग करने की अनुशंसा करनी पड़ी थी, ओली ने पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ को सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में विभाजन के लिए जिम्मेदार ठहराया।
ओली ने यह भी दावा किया कि भारत के कुछ तत्व उन्हें पद से हटाने के लिए षड्यंत्र रच रहे हैं लेकिन नेपाल की अंदरूनी राजनीति में चीन का हाथ होने से उन्होंने इंकार किया।
उन्होंने चीन और भारत का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘हम अपनी स्वतंत्रता और अपने अंदरूनी मामलों में निर्णय की स्वतंत्रता को पसंद करते हैं और हम बाहरी हस्तक्षेप नहीं चाहते हैं, उत्तर या दक्षिण से।’’