काठमांडू, 20 दिसंबर । नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने रविवार को प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की सरकार की सिफारिशों पर संसद को भंग कर दिया।
राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा, “माननीय प्रधानमंत्री की सिफारिश के अनुसार संघीय संसद की वर्तमान प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया गया है और चुनाव का पहला चरण शुक्रवार तीन अप्रैल को और दूसरा चरण सोमवार 11 अप्रैल को तय किया गया है।
इससे पहले प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने रविवार को अप्रत्याशित कठोर कदम उठाते हुए राष्ट्रपति बिद्यादेवी भंडारी से संसद भंग करने की सिफारिश करने का निर्णय लिया।
काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक आज सुबह ओली सरकार के मंत्रिमंडल की एक आपात बैठक में संघीय संसद को भंग करने की राष्ट्रपति से सिफारिश करने का फैसला किया गया।
ऊर्जा मंत्री बरशमैन पुन ने कहा, “आज की बैठक में कैबिनेट ने संसद को भंग करने की राष्ट्रपति से सिफारिश करने का फैसला किया।”
श्री ओली पर संवैधानिक परिषद अधिनियम से संबंधित एक अध्यादेश को वापस लेने का दबाव था, जिसे उन्होंने मंगलवार को जारी किया था और राष्ट्रपति ने अपनी मंजूरी भी दी थी।
प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने रविवार को हुई मंत्रिमंडल की आपात बैठक में संसद भंग करने की सिफारिश की है।
ओली ने सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष नेताओं और मंत्रियों के साथ शनिवार को सिलसिलेवार मुलाकातों के बाद मंत्रिमंडल की आपात बैठक बुलाई थी। यह खबर हिमालयन टाइम्स अखबार ने प्रकाशित की।
‘काठमांडू पोस्ट’ ने ऊर्जा मंत्री वर्षमान पून के हवाले से कहा, ‘आज मंत्रिमंडल ने राष्ट्रपति से संसद भंग करने की सिफारिश करने का फैसला किया है।’
ओली ने पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दल प्रचंड के साथ सत्ता संघर्ष के बीच यह कदम उठाया है।
नेपाल के प्रधानमंत्री ओली ने मौजूदा राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा के लिए बुलायी थी सर्वदलीय बैठक:
काठमांडो, से खबर है कि आठ दिसंबर को सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के भीतर गुटबाजी और बाहर राजशाही के समर्थकों से चुनौतियों का सामना कर रहे प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने मौजूदा राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए मंगलवार को बैठक बुलायी थी। उन्होंने देश में कोविड-19 महामारी और संविधान विरोधी गतिविधियों से मुकाबले के लिए दलों से एकजुटता का आह्वान किया था ।
ओली के प्रेस सलाहकार सूर्य थापा ने बताया कि प्रधानमंत्री के आधिकारिक निवास बालुवाटार में दिन में ग्यारह बजे बैठक शुरू हुई थी । बैठक को संबोधित करते हुए ओली ने कोविड-19 महामारी और देश में बढ़ रही असंवैधानिक और हिंसक गतिविधियों के खिलाफ राजनीतिक दलों से एकजुटता दिखाने का आह्वान किया था ।
थापा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने कोविड-19 से मुकाबला करने, लोकतांत्रिक उपलब्धियों की रक्षा करने और असंवैधानिक तथा हिंसक गतिविधियों के खिलाफ सभी दलों से एकजुटता दिखाने का आग्रह किया। ’’
एनसीपी, मुख्य विपक्षी नेपाली कांग्रेस, जनता समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी, राष्ट्रीय जन मोर्चा और नेपाल वर्कर्स एंड पीजेंट पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने इस बैठक में शिरकत की थी।
यह बैठक ऐसे समय में आयोजित की गयी थी जब राजशाही के समर्थन में कुछ संगठन राजधानी काठमांडू समेत देश के अलग-अलग भागों में रैलियां निकाल रहे हैं। ये संगठन देश में राजशाही और नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग कर रहे हैं। पूर्व राजा ज्ञानेंद्र के समर्थन में और नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन तेज हो गया है।
ओली को पार्टी के भीतर से भी दबाव का सामना करना पड़ रहा है और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ के नेतृत्व वाले प्रतिद्वंद्वी खेमे ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।