नयी दिल्ली ,22 मई । दिल्ली उच्च न्यायालय ने कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच न्यायाधिकरण मेंं दस्तावेजों की अनिवार्य ई-फाइलिंग के खिलाफ एक याचिका पर राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के रजिस्ट्रार को नोटिस जारी किया है।
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की एकल पीठ ने 20 मई के अपने आदेश में कहा, “मुझे हालांकि प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता की दलीलों में दम लगता है, क्योंकि प्रतिवादी की ओर से कोई पेश नहीं होता है, इस संबंध में इस स्तर पर कोई आदेश पारित नहीं किया जा रहा है।”
इसके बाद पीठ ने एनसीएलएटी को नोटिस जारी कर 27 मई तक जवाब मांगा।
महामारी के बीच केवल ई-फाइलिंग की अनुमति देने की मांग करते हुए एक अधिवक्ता की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि संशोधित मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) इस बात पर जोर दे रहा है कि दलीलों की हार्ड कॉपी दायर की जाए। अधिवक्ताओं/ वादियों को निजी तौर पर ट्रिब्यूनल की रजिस्ट्री के लिए आने और खुद को कोविड-19 संक्रमितों के संपर्क में आने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
याचिका में कहा गया कि अधिकांश न्यायिक निकायों ने न केवल ऑनलाइन सुनवाई की, बल्कि वादियों और अधिवक्ताओं को घरों और अपने कार्यालयों से मामले और दस्तावेज दर्ज कराने के लिए ई-फाइलिंग प्रणाली भी शुरू की है।
उन्होंने कहा कि अगर जरुरी हो तो न्यायाधिकरण कामकाज शुरू करने के बाद, वादी/प्रतिवादी अपनी हार्ड कॉपी दाखिल करेंगे।