बेंगलुरु, चार जुलाई । नौवहन उत्पाद निर्माता कंपनी गार्मिन ने भारत में ‘नाविक’ युक्त उपकरण लांच किया है। यह जानकारी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने दी।
भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (आईआरएनएसएस) को ‘नाविक’ कहा जाता है। यह स्वतंत्र क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली है जिसका विकास भारत ने किया है। अंतरिक्ष एजेंसी ने गार्मिन द्वारा अपने उपकरण जीपीएसएमएपी 66 एसआर और जीपीएसएमएपी 65एस में नाविक को शामिल करने पर आभार व्यक्त करते हुए कंपनी से आह्वान किया कि वह उपग्रह नौवहन आधारित अपने सभी उपकरणों में नाविक को अभिन्न हिस्सा बनाए।
इसरो ने कहा, ‘‘नाविक सटीक जानकारी देता है और इसके सिग्नल पहाड़ी और सघन बसे शहरी इलाकों में भी उपलब्ध रहते हैं। नाविक युक्त उपकरणों से इसका लाभ मिल सकता है।’’ नाविक का विकास भारत में और इसकी सीमा से बाहर 1500 किलोमीटर के दायरे में स्थित जगहों के बारे में उपयोगकर्ताओं को सटीक जानकारी देने के लिए किया गया है।
इसरों के मुताबिक आईआरएनएसएस दो तरह की सेवाएं प्रदान करता है, पहला मानक स्थिति निर्धारण सेवा (एसपीएस) जो सभी उपयोगकर्ताओं को मुहैया कराई जाती है और दूसरी, प्रतिबंधित सेवा (आरएस) जो केवल अधिकृत उपयोगकर्ताओं को ही दी जाती है। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि प्राथमिक सेवा क्षेत्र में आईआरएनएसएस प्रणाली के 20 मीटर के दायरे के बराबर सटीक जानकारी देने का अनुमान है।
इस प्रणाली का इस्तेमाल जमीनी और समुद्री दिशा सूचक प्रणाली, आपदा प्रबंधन, वाहनों की निगरानी और कारवां प्रबंधन, यात्रियों को दिशा सूचक सेवा प्रदान करने, चालकों के लिए दृश्य व ध्वनि आधारित दिशा सूचक जैसी सेवा देने के लिए किया जा सकता है। इस प्रणाली को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘नाविक’ नाम दिया है।