नयी दिल्ली, 29 मई । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने 12 करोड़ लाभार्थियों को छह लाख करोड़ रुपये के मुद्रा ऋण बांटे हैं। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों ने छोटे कारोबारों की मदद के पर्याप्त उपाय करने के बजाय मदद का दिखाव भर किया था।
मोदी ने कहा कि पिछली सरकारों के ऋण मेला कार्यक्रमों के विपरीत प्रधानमंत्री मुद्रा योजना ने लोगों को लीक से हट कर चलने के लिए प्रोत्साहित किया। इससे लोगों को अपना छोटा मोटा कारोबारों स्थापित कर अपने सपनों साकार करने के साथ-साथ अन्य लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने में मदद मिली।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की शुरुआत मोदी ने आठ अप्रैल 2015 को की थी। इसका मकसद छोटे और मझोले उद्यमियों को गैर-कारपोरेट, गैर-कृषि कार्य के लिए 10 लाख रुपये तक का ऋण उपलब्ध कराया जाता है।
पिछले वित्त वर्ष में सरकार ने मुद्रा योजना के तहत सरकार ने 2.53 लाख करोड़ रुपये के ऋण दिलवाए जबकि पिछले तीन साल में इस योजना के तहत कुल 5.73 लाख रुपये के ऋण दिए गए हैं।
मुद्रा ऋण के लाभार्थियों के साथ वीडियो कांफ्रेस के माध्यम से एक बातचीत में मोदी ने कहा कि पहले लगने वाले ऋण मेलों में चुनिंदा लोगों को ऋण मिलता था और कोई इनके भुगतान की चिंता भी नहीं करता था।
उन्होंने कहा, ‘‘ आज से 25 से 30 साल पहले राजनीतिक फायदे के लिए ऋण मेला लगाए जाते थे और जो लोग राजनीतिज्ञों के करीब होते थे उन्हें यह ऋण मिलता था जिसे वापस करने की उनकी कोई इच्छा नहीं होती थी। इन मेलों से वाहवाही तो खूब मिलती थी लेकिन इसके परिणामों को लेकर किसी को कोई चिंता नहीं थी।’’
मोदी ने कहा कि राजग सरकार ने कोई ऋण मेला आयोजित नहीं किया और ना ही दलालों को कोई जगह दी। इसने देश के युवा और महिलाओं पर भरोसा किया और उन्हें सीधे बैंक से ऋण दिलवाया ताकि वह अपना खुद का छोटा कारोबार कर सकें।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने छोटे कारोबारों पर और पहली बार उद्यम लगाने वाले लोगों के कारोबार कौशल पर विश्वास किया, उन्हें मुद्रा योजना के तहत खुद का उद्यम लगाने के लिए ऋण दिया गया।’’
उन्होंने कहा कि सरकार ने एक नया उत्पाद ‘मुद्रा’ विकसित किया। इसका मकसद बिना कुछ गिरवी रखे गरीब और छोटे कारोबारों को बैंक से ऋण की सुविधा उपलब्ध कराना है, ताकि वह अपना खुद का छोटा व्यवसाय शुरु कर सकें या अपने मौजूदा व्यवसाय का विस्तार कर सकें।
मोदी ने कहा कि मुद्रा ने स्वरोजगार के अवसरों को पैदा किया और इससे कई और लोगों के लिए रोजगार सृजन हुआ। इस योजना के तहत करीब 12 करोड़ लोगों को छह लाख करोड़ रुपये का ऋण बांटा गया।
मोदी ने कहा, ‘‘इन 12 करोड़ लाभार्थियों में से करीब 28 प्रतिशत यानी 3.25 करोड़ लोग पहली बार उद्यम शुरु करने वाले लोग हैं।’’
उन्होंने कहा कि इसमें 74% लाभार्थी महिलाएं हैं जो संख्या में करीब नौ करोड़ हैं। इसमें 55% ऋण अनुसूचित जाति/जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को दिए गए हैं।
‘लाइसेंस-इंस्पेक्टर राज’ की याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले पहुंच वाले लोगों की सिफारिश पर अमीर लोगों को ऋण दिया जाता था। गरीब लोगों का कोई संपर्क सूत्र नहीं होने से वह आधिकारिक ऋण प्रणाली से बाहर रह जाते थे।
‘वह (गरीब) महाजनों से ऋण लेने के लिए मजबूर थे जिस पर उन्हें मनमाना ब्याज देना होता था। लेकिन मुद्रा योजना ने युवाओं को महाजनों के जाल से निकालने का काम किया है।’
मोदी ने कहा, ‘‘एक ऐसा समय था जब देश का वित्त मंत्री शीर्ष कारपोरेटों को ऋण दिलाने की हर संभव कोशिश करता था। वहीं छोटे कारोबार कभी महाजनों के जाल से छूट ही नहीं पाए जहां उन्हें 40% तक का ऊंचा ब्याज देना होता था।’’
मोदी के साथ इस बातचीत में महाराष्ट्र, कर्नाटक, असम, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और पश्चिम बंगाल के लाभार्थियों ने बातचीत की।
पिछली सरकारों पर चुटकी लेते हुए मोदी ने कहा, ‘‘इस देश की जनता पहले भी ‘गरीबी हटाओ’ के नारे सुन चुकी है, लेकिन जमीन पर कुछ नहीं हुआ। नतीजतन लाखों लोगों का भरोसा टूटा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुद्रा ने व्यवस्था में लोगों के भरोसे को फिर कायम किया है। इस योजना के तहत ऋण देने में किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं किया जाता है।’’
उन्होंने कहा कि इसने कई गरीबों को वित्तीय प्रणाली की मुख्यधारा में लाया है। बैंकों के अलावा इससे गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां और लघुवित्त संस्थान भी जुड़े हैं।
मुद्रा उन योजनओं में से एक है जिसमें लक्ष्य से ज्यादा ऋण आवंटित किए गए।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि मुद्रा जैसी योजना दशकों पहले देश के युवाओं को मिल जाती तो मुझे भरोसा है कि शहरों की ओर हुआ बड़ा पलायन नहीं होता।’’
मोदी ने मुद्रा के लाभार्थियों से डिजिटल लेनदेन बढ़ाने और रोजगार सृजन करने का भी आग्रह किया।attacknews.in