मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मस्जिद के लिए अड़ा,बैठक में विवादों के साथ दो गुट बने,मौलाना नदवी को किया बर्खास्त Attack News

हैदराबाद 11 फरवरी। हैदराबाद में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने कहा कि, वह ‘निष्पक्ष न्याय और बराबर सम्मान’ पर आधारित बातचीत करके विवाद को खत्म करने के लिए तैयार है। वहीं, ये भी कहा कि, एक बार मस्जिद बन गई तो वह हमेशा मस्जिद है।” बता दें, हैदराबाद में बोर्ड की 26वीं पूर्ण बैठक शुक्रवार से चल रही है।

एआईएमपीएलबी के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने बैठक को संबोधित किया और बोर्ड के पहले के रुख को दोहराया कि, ”एक बार मस्जिद बन गई तो वह हमेशा मस्जिद है ।” इसके साथ ही ये भी कहा कि, ”बोर्ड ‘निष्पक्ष न्याय और बराबर सम्मान’ पर आधारित बातचीत के लिए तैयार है।”

‘मस्जिद को दी गई जमीन अल्लाह की’ :

एआईएमपीएलबी की कार्यकारी समिति की शुक्रवार शाम बैठक हुई थी। बैठक के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया कि बोर्ड अपनी दिसंबर 1990 और जनवरी 1993 वाले प्रस्ताव पर कायम है। इसमें कहा गया है कि यह जमीन मस्जिद के लिए है और इसे न तो बेचा जा सकता है और न ही गिफ्ट किया जा सकता है।

रिलीज में कहा गया है कि एक बार मस्जिद को दी गई जमीन अल्लाह की हो जाती है। इस मामले पर समझौते के लिए की गई सभी बातचीत बिना किसी नतीजे की रही हैं।

अयोध्या मामले पर 14 मार्च को होगी सुनवाई

वहीं, अयोध्या मामले में गुरुवार (8 फरवरी) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा कि अभी उन्हें दस्तावेजों के अनुवाद के लिए कुछ और समय चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 14 मार्च को होगी। कोर्ट ने 7 मार्च तक सभी दस्तावेजों को जमा करने के लिए कहा है।

तीन जजों की बेंच कर रही है सुनवाई :

सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की स्पेशल बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के अलावा बेंच में जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर हैं।

माना जा रहा है कि डॉक्यूमेंट्स का ट्रांसलेशन पूरा हो गया है। सुन्नी वक्फ बोर्ड के मुताबिक डॉक्युमेंट्स ट्रांसलेशन के चलते सुनवाई नहीं टलेगी। साथ ही अदालत ने भी कहा था कि 8 फरवरी के बाद सुनवाई नहीं टलेगी। सबसे पहले ओरिजनल टाइटल सूट दाखिल करने वाले दलीलें रखेंगे। फिर बाकी अर्जियों पर बात होगी।

हर रोज 3 घंटे होगी सुनवाई :

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार तीन जजों की बेंच प्रतिदिन 3 घंटे सुनवाई करेगी।

माना जा रहा है कि 30 दिन की कार्यवाही में सभी पक्षों की सुनवाई पूरी हो जाएगी और 16 मई से गर्मी की छुट्टियां शुरू होने से पहले ही बेंच फैसला सुरक्षित कर लेगी।

पिछले साल दिसंबर में 3 जजों की स्पेशल बेंच ने इस मामले की सुनवाई की थी। कोर्ट ने सभी पक्षों से साफ कहा था कि 8 फरवरी से सुनवाई की तारीख नहीं बढ़ेगी।

बता दें कि इस मामले से जुड़े 9,000 पन्नों के दस्तावेज और 90,000 पन्नों में दर्ज गवाहियां पाली, फारसी, संस्कृत, अरबी सहित विभिन्न भाषाओं में हैं, जिसपर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कोर्ट से इन दस्तावेजों को अनुवाद कराने की मांग की थी।

2010 में आया था हाईकोर्ट का फैसला :

अयोध्या मामले में टाइटल विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में तमाम पक्षकारों की ओर से विशेष अनुमति याचिका दायर की हुई है। अयोध्या के विवादास्पद ढांचे को लेकर हाई कोर्ट ने 30 सितंबर 2010 में फैसला दिया था। फैसले में कहा गया था कि विवादित जमीन को 3 बराबर हिस्सों में बांटा जाए जिस जगह रामलला की मूर्ति है उसे रामलला विराजमान को दिया जाए। सीता रसोई और राम चबूतरा निर्मोही अखाड़े को दिया जाए जबकि बाकी का एक तिहाई जमीन का हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया जाए।

AIMPLB को रास नहीं आया मौलाना नदवी का फॉर्मूला, हो गए बर्खास्त

अयोध्या में राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद को लेकर चल रहे विवाद को आपस में सुलझाने की पैरवी करने वाले मौलाना सैयद सलमान हुसैनी नदवी को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने बर्खास्त कर दिया है। उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का समर्थन किया था और मस्जिद को दूसरी जगह शिफ्ट करने का फॉर्मूला सुझाया था।

दरअसल मौलाना नदवी को मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने शुक्रवार को हैदराबाद में सलाह दी थी कि बोर्ड के विरुद्ध जाकर कोई भी ऐसी बात न करे, जिससे मुसलमानों के बीच मस्जिद को लेकर गलत सन्देश पहुंचे। लेकिन मौलाना नदवी ने बोर्ड की सभी बातों को ख़ारिज करते हुए उन्होंने आपस में बातचीत की सिफारिश की जो मुस्लिम बोर्ड को रास नहीं आई, जिसके चलते उनको बर्खास्त कर दिया गया।

उल्लेखनीय है कि बोर्ड के सदस्य सलमान हुसैन नदवी ने मुस्लिम पक्षों पर रविवार को आरोप लगाया था कि कमाल फारूकी और क़ासिम रसूल इलियास ने उनके साथ बदतमिजी की। उन्होंने कहा था कि बैठक में ऐसा लग रहा था कि जैसे कुछ लोग पहले से ही हंगामे की योजना बना कर आए थे।

साथ ही उन्होंने ने कहा था कि हंबली मसलक के मुताबिक, मस्जिद दूसरी जगह शिफ्ट की जा सकती है। हम मस्जिद में बुत नहीं रख रहे, बल्कि मस्जिद शिफ्ट करने की बात कर रहे हैं। ये देश और मुसलमान दोनों के हित में है। साथ ही उन्होंने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर देश में बड़े दंगे कराने की साजिश रचने का आरोप भी लगाया था।

वहीं बोर्ड के सदस्य कासिम इलयास ने मौलाना नदवी को निकाले जाने की जानकारी देते हुए रविवार को पत्रकारों से कहा, कि समिति ने ऐलान किया कि AIMPLB अपने पुराने रुख पर कायम रहेगा और मस्जिद को न तो गिफ्ट किया जा सकता है, न बेचा जा सकता है क्योंकि सलमान नदवी इस एकमत रुख के खिलाफ गए, इसलिए उनको बोर्ड से निकल दिया गया है।

मस्जिद का निर्माण मुसलमानों के लिए आस्था का विषय, समझौते का सवाल नह

अयोध्या विवाद को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने रविवार को एक बार पिर से अपना रुख़ साफ़ करते हुए कहा कि बाबरी मस्जिद इस्लाम और मुस्लिम समुदाय के लिए आस्था का विषय है इसलिए इसमें किसी भी तरह के समझौते का कोई सवाल ही नहीं उठता।

उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद जैसे संजीदा मामले में जहां करोंड़ो मुसलमानों की इससे आस्था जुड़ी है, ऐसे में मुस्लिम समुदाय किसी भी तरह से त्याग या ज़मीन दान करने की बात सोच भी नहीं सकता।

एआईएमपीएलबी ने कहा, ‘बाबरी मस्जिद एक मस्जिद है और अनंतकाल तक ये मस्जिद ही रहेगी। इसे धव्स्त करने से इसकी पहचान ख़त्म नहीं होगी।’

आगे उन्नेहोंने कहा, ‘बाबरी मस्जिद के पुनर्निर्माण के लिए हमारा संघर्ष जारी रहेगा। हमने सुप्रीम कोर्ट में भी मज़बूती से अपना पक्ष रखा है।’

इससे पहले एआईएमपीएलबी ने अयोध्या विवाद पर सुलह की सलाह देने वाले बोर्ड के कार्यकारी सदस्य मौलाना सैयद सलमान हुसैन नदवी को संगठन से बाहर निकाल दिया।

एआईएमपीएलबी के सदस्य कासिम इलियास ने कहा, ‘कमेटी ने घोषणा की कि एआईएमपीएलबी बोर्ड अपने पुराने रुख पर कायम है। क्योंकि सलमान नदवी इस फैसले के खिलाफ गये इसलिए इन्हें निष्कासित कर दिया गया है।’

एआईएमपीएलबी प्रवक्ता ने कहा कि अनुशासनात्मक समिति की सिफारिश के बाद नदवी को निष्कासित किया गया।

नदवी ने ‘आर्ट आफ लिविंग’ के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर से मुलाकात की थी। रविशंकर ने पिछले दिनों बेंगलुरु में सुन्नी वक्फ बोर्ड के सदस्यों से भी मुलाकात की थी।

उन्होंने कहा था कि बाबरी मस्जिद राम जन्मभूमि विवाद के आपसी सहमति के समाधान का समर्थन करते हैं। नदवी ने कहा, ‘इस्लाम में दूसरी जगह पर मस्जिद बनाने का प्रावधान है।’

वहीं ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य असदुद्दीन ओवैसी ने बोर्ड की 26वें अधिवेशन के बाद कहा, ‘बाबरी मस्जिद के बारे में, यह स्पष्ट रूप से कहा गया कि एक बार जब मस्जिद बन जाती है तो अनंतकाल तक यह मस्जिद रहती है।’

उन्होंने हैदराबाद में सुलह के सवाल पर कहा, ‘इस पर कोई समझौता नहीं होगा। जहां तक बाबरी मस्जिद की बात है, मस्जिद मुद्दे पर समझौता करने वाले लोग अल्ला के सामने जवाबदेह होंगे।’

साथ ही ओवैसी बाताया कि एआईएमआईएम के अध्यक्ष और महासचिव ने अपने संबोधन में सरकार द्वारा प्रस्तावित तीन तलाक बिल पर कहा कि इसे मुस्लिम समुदाय के लोग स्वीकार नहीं करेंगे।