नयी दिल्ली 25 जुलाई । तीन तलाक की प्रथा को गैर-कानूनी करार देने वाला मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019 विपक्ष के विरोध के बीच गुरुवार को लोकसभा में पारित हो गया।
विधेयक पर सदन में पाँच घंटे चली चर्चा और विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद के चर्चा पर जवाब के बाद जब मंत्री ने विधेयक को विचार के लिए रखने का प्रस्ताव किया तो विपक्ष ने इसका विरोध करते हुये मतविभाजन की माँग की। हालाँकि 82 के मुकाबले 303 मतों से विधेयक को विचार के लिए स्वीकार कर लिया गया। विपक्ष के सभी संशोधन भी खारिज हो गये जिनमें कुछ पर मतदान विभाजन भी हुआ।
इस विधेयक में तीन तलाक को गैर-कानूनी घोषित किया गया है तथा तीन तलाक देने वालों को तीन साल तक की कैद और जुर्माने की सजा का प्रावधान है। साथ ही जिस महिला को तीन तलाक दिया गया है उसके और उसके बच्चों के भरण-पोषण के लिए आरोपी को मासिक गुजारा भत्ता भी देना होगा। मौखिक, इलेक्ट्रॉनिक या किसी भी माध्यम से तलाक-ए-बिद्दत यानी तीन तलाक को इसमें गैर-कानूनी बनाया गया है।
यह विधेयक मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) दूसरा अध्यादेश, 2019 का स्थान लेगा जो इस साल 21 फरवरी को प्रभाव में आया था। इस विधेयक को सदन में पेश करते समय 21 जून को भी मतविभाजन हुआ था जिसमें 186 सदस्यों ने इसे पेश करने के समर्थन में और 74 सदस्यों ने विरोध में मत दिया था।
श्री प्रसाद ने चर्चा का जवाब देते हुए विपक्ष पर तीखे हमले किये और सफाई भी दी कि इस विधेयक में तीन तलाक देने का दोषी पाये जाने पर पति के लिए दंडात्मक प्रावधान कुप्रथा के अवरोध के रूप में किया गया है। ये प्रावधान हिन्दुओं में बाल विवाह पर रोक लगाने संबंधी 1955 के शारदा अधिनियम, 1961 के दहेज प्रथा उन्मूलन कानून, 1983 के भारतीय दंड विधान की धारा 498 के अनुरूप ही रखे गये हैं।
सरकार ने मुस्लिम समाज में तीन तलाक की प्रथा को पैगंबर मोहम्मद की शिक्षाओं के विरुद्ध बताते हुये आज कहा कि वह सियासी नफा-नुकसान और वोट के हिसाब के अनुसार अपनी सोच नहीं बदलेगी और हर हाल में मुस्लिम महिलाओं के साथ नाइंसाफी नहीं होने देगी।
विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस विधेयक पर करीब साढ़े पाँच घंटे तक चली चर्चा का जवाब देते हुए विपक्ष पर तीखे हमले किये और सफाई भी दी कि इस विधेयक में तीन तलाक देने का दोषी पाये जाने पर पति के लिए दंडात्मक प्रावधान कुप्रथा के अवरोध के रूप में किया गया है। ये प्रावधान हिन्दुओं में बाल विवाह पर रोक लगाने संबंधी 1955 के शारदा अधिनियम, 1961 के दहेज प्रथा उन्मूलन कानून, 1983 के भारतीय दंड विधान की धारा 498 के अनुरूप ही रखे गये हैं।
बाद में विधेयक को मतदान के लिए रखे जाने पर विपक्ष ने मतविभाजन की माँग की जिस पर 303 मत पक्ष में और 82 वोट विरोध में पड़े। सदन में विपक्ष के सभी संशोधन प्रस्तावों को नामंजूर कर दिया गया और विधेयक को पारित कर दिया गया।
तीन तलाक़ पर घटनाक्रम:
लोकसभा में गुरुवार को पारित मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019 का घटनाक्रम इस प्रकार है –
22 अगस्त 2017 : शायरा बानो मामले में उच्चतम न्यायालय का फैसला, तलाक-ए-बिद्दत गैर-कानूनी घोषित
28 दिसंबर 2017 : मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017 लोकसभा में पेश
28 दिसंबर 2017 : मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017 लोकसभा में पारित
19 सितंबर 2018 : मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अध्यादेश, 2018
17 दिसंबर 2018 : मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2018 लोकसभा में पेश
27 दिसंबर 2018 : मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2018 लोकसभा में पारित
12 जनवरी 2019 : मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अध्यादेश, 2019
21 फरवरी 2019 : मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) दूसरा अध्यादेश, 2019
21 जून 2019 : मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019 लोकसभा में पेश
25 जुलाई 2019 : मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019 लोकसभा में पारित
attacknews.in