पटना 31 अक्टूबर ।बिहार के मुंगेर जिले में भीड़ पर हुई फ़ायरिंग मामले में घटनास्थल पर मौजूद सीआइएसएफ़ (CISF) ने बड़ा खुलासा किया है। रिपोर्ट में बेहद साफ़ तौर पर कहा गया है कि घटना में पुलिस की तरफ से बड़ी गलती हुई। इसके अलावा रिपोर्ट में यह बात भी कही गई है कि 26 अक्टूबर को गोली पुलिस द्वारा ही चलाई गई थी।
इस जानकारी के सामने आने के बाद मुंगेर की पूर्व एसपी लिपि सिंह किसी भी वक्त कार्रवाई के दायरे में आ सकती हैं। मुंगेर में भीड़ पर हुई फ़ायरिंग की घटना के बाद उन्होंने दावा किया था कि भीड़ द्वारा मचाए गए उपद्रव के बाद पुलिस ने गोली चलाई थी। पुलिस की इस कार्रवाई के चलते एक युवक की मौत हो गई थी।
सीआइएसएफ़ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 26 अक्टूबर की रात 11:20 पर CISF के 20 जवानों की टुकड़ी को मूर्ति विसर्जन की सुरक्षा ड्यूटी के लिए जिला स्कूल स्थित कैम्प से भेजा गया था। यहाँ बिहार पुलिस ने कुल 20 जवानों की टुकड़ी को 10-10 जवानों की दो टुकड़ियों में बाँट दिया था।
टुकड़ियों को बाँटने के बाद इसमें से एक टुकड़ी को एसएसबी और दूसरी टुकड़ी को बिहार पुलिस के जवानों के साथ दीनदयाल उपाध्याय चौक पर तैनात किया गया। इसके बाद रिपोर्ट में बताया गया है कि 26 अक्टूबर की रात 11:45 के आस-पास श्रद्धालुओं और पुलिसकर्मियों के बीच विवाद शुरू हुआ।
इसके बाद भीड़ में मौजूद कुछ लोगों ने पुलिस पर पत्थर फेंकना शुरू कर दिया और इस पथराव की जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने हवाई गोलीबारी कर दी। पुलिस की तरफ से हुई इस कार्रवाई के बाद भीड़ और आक्रोशित हो गई, मौके पर पथराव भी तेज़ हो गया।
हालात अनियंत्रित होने के बाद सीआइएसएफ़ के हेड कॉन्स्टेबल एम गंगैया पर अपनी इंसास राइफल से 5.56 एमए की 13 गोलियाँ फायर करने का आरोप भी है। रिपोर्ट के मुताबिक़ इसके बाद आक्रोशित लोगों की भीड़ अव्यवस्थित हो गई। फिर स्थानीय पुलिस, एसएसबी और सीआइएसएफ़ के जवान अपने कैम्प में वापस लौटे।
बिहार के मुंगेर में दुर्गा पूजा के विसर्जन के दौरान पुलिस की बर्बरता के वीडियो सामने आए थे। इन वीडियो में पुलिस को श्रद्धालुओं पर लाठियाँ बरसाते हुए देखा जा सकता है। पुलिस और श्रद्धालुओं की इस भिड़ंत में 1 युवक की मौत हो गई थी, जबकि कई घायल हुए थे।
सोमवार (अक्टूबर 26, 2020) की रात माँ दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन यात्रा पर मुंगेर पुलिस के लाठीचार्ज का वीडियो के वायरल होने के बाद जिला प्रशासन की खासी आलोचना भी हुई थी। इस घटना पर एसपी लिपि सिंह ने दावा किया था कि प्रतिमा विसर्जन के दौरान असामाजिक तत्वों ने पुलिस पर पथराव किया और गोलीबारी की, जिसके बाद अपने बचाव में पुलिस ने कार्रवाई की।