मुंबई 21 मार्च । मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह ने शनिवार को महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख पर आरोप लगाया कि वह (देशमुख) एंटिलिया बम कांड में गिरफ्तार सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाजे से बारों तथा हुक्का पार्लर्स से हर महीने सौ करोड़ रुपये की उगाही करवाना चाहते थे।
इस सिलसिले में श्री सिंह ने राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को आठ पृष्ठ की चिट्ठी लिखी है, जिसमें उन्होंने खुद को बलि का बकरा बनाने का आरोप लगाया है।
उधर, श्री सिंह की चिट्ठी को लेकर श्री देशमुख ने उनपर (श्री सिंह) पर पलटवार किया है।
उन्होंने ट्वीट कर कहा कि मुंबई पुलिस के पूर्व प्रमुख विस्फोटकों से लदी एसयूवी मामले और मनसुख हिरेन की मौत के मामले में कार्रवाई से खुद को बचाने के लिए उन पर ऐसे झूठे आरोप लगा रहे हैं।
उन्होंने कहा, “पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने श्री मुकेश अंबानी (एसयूवी मामले) में सचिन वाजे की भागीदारी के रूप में खुद को बचाने के लिए झूठे आरोप लगाए हैं।
मनसुख हिरेन की मौत मामले में अब तक की गई जाँच से स्पष्ट हो रहा है और सूत्र भी सिंह की ओर की ओर इशारा कर रहे हैं।
महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने शनिवार को कहा कि वह भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के लिये मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराएंगे।
इससे पहले, राकांपा नेता देशमुख ने ट्वीट कर सिंह के इस आरोप को खारिज कर दिया कि उन्होंने पुलिस अधिकारियों को बार, रेस्त्रां और अन्य प्रतिष्ठानों से हर महीने 100 करोड़ रुपये वसूलने के लिये कहा था।
देशमुख ने एक बयान में सिंह से यह भी पूछा कि वह इतने लंबे समय तक क्यों चुप रहे। उन्होंने आरोप लगाया कि बुधवार को मुंबई पुलिस आयुक्त के पद से हटाए गए सिंह सचिन वाजे प्रकरण में अपने आपको बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ”सिंह द्वारा मुझ पर लगाए गए आरोप झूठे हैं और मैं उनके खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराउंगा।”
देशमुख ने कहा, ”मुकेश अंबानी मामले और मनसुख हिरन मौत मामले में सचिन वाजे की संलिप्तता के बारे में पता चल चुका है और जांच की आंच परम बीर सिंह तक पहुंचने वाली है। इसी आशंका के चलते उन्होंने ये आरोप लगाए हैं।”
उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास के पास विस्फोटकों से लदा एक वाहन पाए जाने से जुड़े मामले में पुलिस अधिकारी सचिन वाजे की गिरफ्तारी के बाद इस हफ्ते की शुरूआत में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सिंह का तबादला कर होमगार्ड में भेज दिया गया था। सिंह ने कहा कि उन्हें इस मामले में बलि का बकरा बनाया गया।
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे पत्र में सिंह ने कहा कि देशमुख ने वाजे से कहा था कि उन्होंने बार, रेस्त्राओं और ऐसे ही अन्य प्रतिष्ठानों से हर महीने 100 करोड़ रूपये की वसूली करने का लक्ष्य रखा है। इनमें से आधी रकम शहर में चल रहे 1,750 बार, रेस्त्राओं और ऐसे ही अन्य प्रतिष्ठानों से वसूले जाने हैं।
इस बीच, भाजपा ने सिंह द्वारा देशमुख पर लगाए गए आरोपों की स्वतंत्र जांच कराने की मांग करते हुए कहा कि इस प्रकार की ”आपराधिक मानसिकता” वाली सरकार को एक मिनट के लिये भी सत्ता में बने रहने का हक नहीं है।
भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने देशमुख से तत्काल इस्तीफा देने और केन्द्रीय एजेंसी या अदालत की निगरानी में मामले की जांच कराने की मांग की।
अनिल देशमुख ने कहा कि परमबीर सिंह के द्वारा महाविकास गठबंधन सरकार को बदनाम करने के लिए रची गई साजिश है.
गौरतलब है कि पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने सीएम उद्धव को जो विस्फोटक चिट्ठी लिखी है, उससे महाराष्ट्र की सियासत में बड़ा धमाका शुरू हो गया है।
एक एक बिंदु पर पेश की सफाई
अनिल देशमुख ने कहा कि मैं निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिंदुओं पर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा और आप देखेंगे कि परमबीर सिंह झूठ कैसे बोल रहे हैं.
- सचिन वाजे की गिरफ्तारी के बाद इतने दिनों तक चुप क्यों बैठे थे परमबीर सिंह? उसने उसी समय अपना मुंह क्यों नहीं खोला?
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यह महसूस करने के बाद कि आपको कल 17 मार्च को पुलिस आयुक्त के पद से हटा दिया जाएगा, 16 मार्च को परमबीर सिंह ने एसीपी को फोन किया. पाटिल से व्हाट्सएप चैट से कुछ सवाल पूछे गए और उन्हें अपेक्षित जवाब मिले।
यह परमबीर सिंह की एक बड़ी साजिश का हिस्सा था. इस चैट के माध्यम से, श्री. परमबीर सिंह व्यवस्थित रूप से सबूत इकट्ठा करना चाहते थे. इस चैट से उत्तर प्राप्त करते समय आप देख सकते हैं कि परमवीर सिंह कितने अधीर थे. परमबीर सिंह को बार-बार एसीपी पाटिल ने पूछा है. इसका क्या मतलब है?
- 18 मार्च को मैने लोकमत कार्यक्रम के दौरान बताया था कि कुछ गंभीर आरोपों के कारण परमबीर सिंह को पद से हटा दिया गया था.इसके बाद परमबीर सिंह ने खुद को बचाने के लिए 19 मार्च को फिर से व्हाट्सएप पर हुई बातचीत के साक्ष्य बनाने की कोशिश की
पुलिस विभाग में हर कोई जानता है कि सचिन वेज़ और एसीपी संजय पाटिल परम बीर सिंह के बहुत करीब हैं. 16 साल के लिए निलंबित वज़े को बहाल करने का निर्णय परमवीर सिंह ने अपने हाथों में लिया।
परमबीर सिंह के आरोप पूरी तरह से झूठे हैं साबित करना. मैं उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर कर रहा हूं.
परमबीर सिंह ने खुद को बचाने के लिए ये झूठे आरोप लगाए हैं.
अगर सचिन वज़े कहते हैं कि उन्होंने फरवरी में परमबीर सिंह से मुलाकात की और उन्हें यह सब बताया, तो उन्होंने इसे उसी समय क्यों नहीं कहा? इतने दिन चुप क्यों रहे?
यह पता चलने के बाद कि हम विस्फोटक मामले में मुश्किल में पड़ सकते हैं, परमबीर सिंह ने इस तरह के झूठे आरोप लगाकर सरकार को ब्लैकमेल करने की कोशिश की है।
यह विस्फोट मामले में जांच और मनसुख वीरेन की संदिग्ध मौत को रोकने के लिए परमबीर सिंह द्वारा रची गई साजिश है.
– मुख्यमंत्री को परमबीर सिंह द्वारा लगाए गए आरोपों की निष्पक्ष जांच करनी चाहिए।