मुंबई, 19 जून । बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में भाई-भतीजावाद (नेपोटिज्म) कोई नई बात नहीं है, जब से फिल्में बननी शुरू हुई तब से इंडस्ट्री में भी भाई-भतीजावाद ने धीरे-धीरे जड़े जमानी शुरू की और आज इसकी जड़ें गहरी होकर वटवृक्षों का रूप ले लिया है।
छोटे पर्दे से सिल्वर स्क्रीन का सफर छोटे समय में तय करने वाले स्मॉल टाउन एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की कथित आत्महत्या के बाद बॉलीवुड में ‘नेपॉटिज्म’फिर से सुर्खियों में है। सोशल मीडिया पर उस बहस ने जन्म ले ही लिया जिसकी जड़ता पूरी फिल्म इंडस्ट्री को जकड़ती जा रही है। वह जड़ता है भाई भतीजावाद या फिर कहें तो परिवारवाद।
सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर देश के युवाओं ‘नेपोटिज्म’नाम की मुहिम छेड़ दी है। फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप समेत अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म युवाओं ने नेपोटिज्म के खिलाफ जंग छेड़ रखी है। युवाओं का आरोप है कि बॉलीवुड में नेपोटिज्म का शिकार होने से उभरते सितारे सुशांत ने आत्महत्या की है। युवाओं ने सुशांत की मौत की सीबीआई से जांच की मांग की है।
सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद से इंडस्ट्री के अंदर और बाहर हर ओर से भाई-भतीजावाद, बाहरी और फिल्म इंडस्ट्री का, फिल्म इंडस्ट्री के बड़े परिवार या किसी गॉडफादर से जुड़ा होने और बिना गॉडफादर के संघर्ष करने वाली लॉबी में बंटे होने जैसे सवाल उठाए जा रहे हैं।
कंगना रनौत, कोएना मित्रा, अभिनव कश्यप ,गीता फोगाट ,पायल रोहतगी ,रवीना टंडन, शेखर कपूर, और साहिल खान समेत कई हस्तियां इंडस्ट्री में भाई-भतीजवाद को लेकर अपनी राय रखी है। फिल्म इंडस्ट्री के ही कई लोग आरोप लगा रहे हैं कि बॉलीवुड में बाहरी कहकर सुशांत को इग्नोर किया जाता था। यह भी आरोप हैं कि सुशांत को विभिन्न समारोहों, शादियों एवं पार्टियों में नहीं बुलाया जाता था। ‘छिछोरे’ हिट होने के बाद सुशांत सिंह राजपूत ने सात फिल्में साइन की थी, लेकिन छह महीने में उसके हाथ से सारी फिल्में निकल गई।
सुशांत की आत्महत्या के बाद जिन लोगों पर परिवारवाद का आरोप लग रहा है वो बड़े नाम हैं। करण जौहर, आदित्य चोपड़ा, साजिद नाडियादवाला, संजय लीला भंसाली, दिनेश विजयन, टी सीरीज के भूषण कुमार, एकता कपूर और सलमान खान पर सुपरस्टार सुशांत को प्रताड़ित करने के आरोप लगाया है। कहा जा रहा है कि सुशांत ने यह आत्महत्या इन्हीं लोगों से तंग आकर की। यह भी कहा जा रहा है बड़े बैनर ने सुशांत को अपनी फिल्मों में लेने से मना कर दिया और देखते-देखते सात फिल्मों से उन्हें निकाल दिया गया, क्योंकि इन प्रोडक्शन हाउस की टीम ने मिल कर एक टैलेंटेड युवा सुशांत का बहिष्कार किया। छिछोरे जैसी सुपरहिट फिल्म के बाद भी उनके पास कोई फिल्म नहीं थी जिस सच को सुशांत अपना नहीं पा रहे थे।
सुशांत की आत्महत्या की खबर जब से सामने आई है, तब से उनके प्रशंसकों में आक्रोश भरा हुआ है। सुशांत के लिए न्याय की मांग ने एक बड़े आंदोलन का रूप ले लिया है। मामले में सबसे अधिक करण जौहर और सलमान खान लोगों के निशाने पर हैं। ज्यादातर यूजर्स बॉलीवुड में मौजूद भाई-भतीजावाद के लिए करण जौहर को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। करण ने इस मामले पर फिलहाल चुप्पी साध रखी है हालांकि उन्होंने अपने ट्विटर से स्टार किड्स और बाकी स्टार को अनफॉलो कर दिया हैं। उन्होंने ट्विटर पर हजारों लोगों को अनफॉलो कर लिया है।
वर्ष 1913 में फिल्म राजा हरिश्चंद्र के साथ जब भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की शुरुआत हुयी तब यह कलात्मक शुरुआत थी। करीब पांच दशक तक इसका कलात्मक पक्ष इसके व्यावसायिक पक्ष पर हावी रहा। फिल्मकारों ने जो फिल्में बनायी उनमें चमक-दमक से ज्यादा यथार्थ को पेश किया। सत्तर के दशक तक फिल्मों का कथानक वर्तमान के जीवन से जुड़ा हुआ होता था। कहीं मध्यम वर्ग की समस्याएं, कहीं निम्नवर्ग की परेशानियां तो कहीं उच्च वर्ग के द्वारा शोषण के खिलाफ खड़े मजदूर दिखाई पड़ते थे। पहले के समय में जितने भी सुपरस्टार बनें सभी छोटे जगह और गांव से आकर एक मुकाम हासिल किया। लेकिन अब तकनीक और समय के साथ इंडस्ट्री भी बदल चुकी है।
अस्सी के दशक के बाद फिल्मों का कथानक बदलने लगे। फिल्में अब यथार्थ से ज्यादा कल्पना लोक की कहानियों पर बनने लगी। नाच, गाना, आइटम सांग, देश-विदेश के खूबसूरत लोकेशन फिल्मों में मुख्य हो गये। इसी दौर में पंजाबी कलाकारों, परिवारों, निर्माता एवं निर्देशकों का प्रभुत्व भी बढ़ा। जौहर परिवार, कपूर परिवार, चोपड़ा परिवार और खान परिवार का दबदबा बढ़ा।
बॉलीवुड में भाई-भतीजावाद कोई नई बात नहीं है। बॉलीवुड के पहले शो मैन राज कपूर का परिवार सबसे मजबूत माना जाता है। लगभग चार पीढ़ियों से इस परिवार के लोग बॉलीवुड में हैं। इनकी पूरी फैमिली फिल्मों का ही काम करती है जिसमें फिल्म निर्माण, डायरेक्शन, एक्टिंग और अन्य काम शामिल है। सबसे पहले भाई-भतीजावाद के आरोप राज कपूर पर लगे। उन पर आरोप था कि वे अपने परिवार और खास लोगों को ही फिल्मों में काम देते हैं, राज कपूर ने ज्यादातर फिल्में अपने परिवार के लोगों के साथ ही बनाईं थीं।
कपूर खानदान में पृथ्वी राजकपूर से शुरू होकर यह सिलसिला चौथी पीढ़ी तक चला आया है। इसी तरह महेश भट्ट, फिरोज खान ,राकेश रोशन, बोनी कपूर ,सलमान खान, फरहान अख्तर ,करण जौहर और आदित्य चोपड़ा जैसे लोगों के खानदान की दो-तीन पीढ़ियों से लोग इंडस्ट्री में काम करते आ रहे हैं। इन खानदानों के लोग वर्षों से एक दूसरे से अच्छे ताल्लुक रहने पर एक दूसरे को काम देने दिलाने में मदद करते रहते हैं।
बॉलीवुड में ही नहीं किसी भी फील्ड में भाई-भतीजावाद अघोषित रूप से चलता है। इन एक्टर्स के पापा, दादा यदि फिल्मों से ताल्लुक रखते रहे हों तो इन्हें अपनी लाइन क्लियर दिखती है। इनके लिए रास्ता आसान हो जाता है। किसी भी फील्ड में जुगाड़ की गाड़ी चलाने के लिए ज्यादातार लोग एक ‘गॉडफादर’ का होना जरूरी समझते हैं।
फिल्म इंडस्ट्रीं में अक्सर देखने को मिलता है कि फिल्मकार किसी बेहतरीन अभिनेता के पुत्र या पुत्री को लॉन्च करते रहते हैं, भले ही उन्हें अभिनय के बारे में जानकारी हो ना हो, उनका चेहरा भाव विहीन हो, फिल्मकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता इससे उसे बस उस अभिनेता की लोकप्रियता को भुनाना है और पैसा कमाना है। मौजूदा समय में फिल्मों मे जो नये चेहरे नजर आ रहे हैं उनमें से अधिकांश फिल्म जगत से जु़ड़े परिवारों से ही हैं।
श्रीदेवी और बोनी कपूर की बेटी जाह्नवी कपूर हो या फिर डेविड धवन के पुत्र वरुण धवन, सैफ अली खान-अमृता सिंह की बेटी सारा अली खान हो या फिर जैकी श्राफ के बेटे टाइगर श्राफ ,अनिल कपूर के बेटे हर्षवर्धन कपूर हो या फिर चंकी पांडे की बेटी अन्न्या पांडे। शक्ति कपूर की बेटी श्रद्धा कपूर हो या फिर सन्नी देओल के पुत्र करण देओल।
हाल के वर्षो में करण जौहर, सलमान खान, यशराज फिल्मस, संजय लीला भंसाली ने कई स्टार किड को लॉन्च किया है। भंसाली ने जहां अपनी फिल्म सांवरिया से दो स्टार किड रणबीर कपूर और सोनम कपूर को लॉन्च किया वहीं, सलमान खान ने अपने जीजा आयुष शर्मा, महेश मांजरेकर की पुत्री साई मांजेरकर, मोहनीश बहल की पुत्री प्रनूतन बहल ,आदित्य पंचालेी के पुत्र सूरज पंचोली ,सुनील शेट्टी की बेटी अथिया शेट्टी जैसे कई स्टार को लॉन्च किया। यशराज फिल्म ने बोनी कपूर के पुत्र अर्जुन कपूर, प्रियंका चोपड़ा की चचेरी बहन परिणीति चोपड़ा, अनिल कपूर के रिश्तेदार रणवीर सिंह जैसे कलाकारों को लॉन्च किया।
करण जौहर ने आलिया भट्ट, वरुण धवन, अनन्या पांडे, ईशान खट्टर, जाह्नवी कपूर जैसे एक्टर को लॉन्च किया। फिल्म इंडस्ट्री सिर्फ कुछ परिवारों का उद्योग बनता जा रहा है। ऐसे में सुशांत सिंह राजपूत जैसे अभिनेताओं को यदि एक साथ कई फिल्मों से साइन करने के बाद भी निकाल दिया जाता है तो उनमें निराशा आना स्वाभाविक है।
नीचा दिखाने वाले लोगों को विरोध करें :आयशा टाकिया
बॉलीवुड अभिनेत्री आयशा टाकिया का कहना है कि यदि कोई आपको नीचा दिखाने का प्रयास करता है तो आपको उसका विरोध करना चाहिये।
सुशांत सिंह राजपूत निधन के बाद से कई कलाकारों ने दावा किया है कि फिल्म उद्योग में भाई भतीजावाद है और इंडस्ट्री से जुड़े लोगों के बच्चों को तरजीह दी जाती है जबकि बाहरी व्यक्ति को परेशान किया जाता है। आयशा टाकिया ने भी अब बॉलीवुड में बुली करने की आदत पर अपने अनुभव साझा किए हैं।
आयशा टाकिया उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट साझा कर इसका खुलासा किया है। आयशा ने लिखा, “ट्रोलिंग और काम की जगह बुलिंग के मेरे अपने अनुभव रहे हैं। मैं इस पर खुलकर अपनी बात रखना चाहती हूं और चाहती हूं कि अगर कोई आपको नीचा दिखाने का प्रयास करता है, तो उसका विरोध करें। यह मान लीजिए कि आप सबसे खास हैं। आप यहां बने रहने और अपने हक की खातिर लड़ने के लिए मौजूद हैं। आप उज्ज्वल और अलग हैं। आपको उन्हें जीतने नहीं देना चाहिए। किसी से बात करें। लोगों तक अपनी बात पहुंचाएं। डायरी पर अपनी बात लिखें या ऑनलाइन किसी से बात करें, लेकिन किसी को खुद पर हावी न होने दें। इन बकवासों को सहन न करें।”
आयशा ने लिखा, “मुझे पता है कि यह सब कुछ कहना आसान है, लेकिन आपको ऐसा करना होगा, आपको ऐसा करने की जरूरत है, कोई न कोई आपकी जरूर सुनेगा। हमें अपनी आगामी पीढ़ी के लिए इस धरती को एक बेहतर स्थान बनाना है और इस खातिर आपस में प्यार और सहिष्णुता बनाए रखें। लोगों संग अच्छा बर्ताव करें, क्योंकि कौन किस मुश्किल दौर से गुजर रहा है, इसका अंदाजा आपको नहीं है।”
फिल्म इंडस्ट्री में गंदी राजनीति : रवीना टंडन
बॉलीवुड अभिनेत्री रवीना टंडन का कहना है कि फिल्म इंडस्ट्री में गंदी राजनीति है जो कई कैंप्स में बंटी हुयी है।
सुशांत सिंह राजपूत के निधन से एक और पूरा देश सदमे में है वहीं दूसरी ओर बॉलीवुड के कई सितारे फिल्म इंडस्ट्री के अंदर की गड़बड़ी की ओर इशारा कर रहे हैं। रवीना टंडन ने ट्विटर पर भड़ास निकाली है।
रवीना ने ट्वीट किया, “ आपको बने रहने के लिए संघर्ष करना पड़ता है, फाइट बैक करना पड़ता है, कुछ सर्वाइव करते हैं कुछ नहीं। जब आप सच बोलते हैं तो आपको झूठा, पागल, सायकॉटिक प्रचारित कर दिया जाता है। चमचे पत्रकार पेज भर-भरकर लिखते हैं और आपकी सारी मेहनत को बर्बाद कर देते हैं।”
रवीना ने कहा, “ वह आभारी हैं इंडस्ट्री ने काफी कुछ दिया है लेकिन कुछ लोगों की गंदी राजनीति मन खट्टा कर देती है। गंदी राजनीति हर जगह होती है। मुझे अपनी इंडस्ट्री से प्यार है लेकिन हां, प्रेशर काफी ज्यादा है। यहां अच्छे लोग हैं और ऐसे लोग भी हैं जो गंदा काम करते हैं। हर तरह के लोग हैं लेकिन दुनिया ऐसी ही है।”