मुम्बई, तीन नवम्बर ।अपने दम पर हिंदी सिनेमा की बादशाहत हासिल करने वाले शाहरुख खान का कहना है कि उनके पास खोने के लिए कुछ नहीं है।
अभिनेता शनिवार को 54 वर्ष के हो गए । उपनगरीय बांद्रा में ‘सेंट एंड्रयूज ऑडिटोरियम’ में शनिवार रात उन्होंने यह खास दिन अपने हजारों प्रशंसकों के साथ बिताया।
शाहरुख ने कहा कि उन्होंने अपने करियर बुरे दिन देख चुके हैं और उनका मानना है कि जिंदगी जीने का सबसे सही तरीका हर पल का आनंद उठाना ही है।
जन्मदिन पर अपने प्रशंसकों के साथ मुलाकात करते हुए अभिनेता ने कहा, ‘‘ मैं खुशकिस्मत और बदकिस्मत दोनों रहा हूं, जब मैं काम करने मुम्बई आया था तब मैंने अपना सबकुछ खो दिया था, माता-पिता, पैसा..मेरी एक बहन थी जो अस्वस्थ थी…मेरी शादी बस हुई ही थी और मेरे पास रहने के लिए घर नहीं था।’’
उन्होंने कहा,‘‘ मुझे लगा कि जो होगा अच्छा ही होगा। तमाम नकारात्मकताओं के बावजूद मुझे यही लगता था कि कुछ गलत नहीं हो सकता। मुझे कभी नहीं लगा कि मैं कुछ खो दूंगा।’’
शाहरुख ने कहा कि वह फिल्म उद्योग में जूही चावला, फिल्म निर्माता अजीज मिर्जा, राजीव मेहरा और अभिनेता-निर्माता विवेक वासवानी जैसे दोस्त पाकर खुश हैं, जिन्होंने मुश्किल घड़ी में उनका साथ दिया।
निजी और पेशेवर जीवन में तालमेल बैठाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उन्हें कहीं भी तालमेल बैठाने की जरूरत नहीं पड़ी।
वहीं शाहरुख खान ने कहा कि वह अपने जीवन में ऐसे अच्छे किरदार निभाना चाहते हैं, जिससे उनके बेटे अबराम समझ पाएं कि लोग उनसे प्यार क्यों करते हैं।
उन्होंने कहा कि जब आर्यन और सुहाना बड़े हो रहे थे तब उन्होंने ‘बाजीगर’ और ‘कुछ कुछ होता है’…की ।
शाहरुख ने कहा, ‘‘ आर्यन का कहना है कि अगले तीन-चार साल में मुझे ऐसी बड़ी फिल्में करनी चाहिए जिससे अबराम को पता चले कि लोग मुझसे प्यार क्यों करते हैं। मैं यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत करूंगा कि मुझे कुछ नए किरदार निभाने को मिलें।’’
छोटे पर्दे से अपने कैरियर की शुरूआत करके बालीवुड के सिंहासन तक पहुंचने वाले फिल्म अभिनेता शाहरूख खान आज ने सिने प्रेमियों के दिलों पर अपनी अलग पहचान बनाई हैं।
फिल्म इंडस्ट्री में किंग खान के नाम से मशहूर शाहरूख का जन्म दो नवंबर 1965 को दिल्ली में हुआ था। उनके पिता ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से जुड़े हुये थे। अभिनय से जुड़ने और संचार की विभिन्न विधाओं को नजदीक से समझने के लिए उन्होंने ..जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की उपाधि ग्रहण की। वर्ष 1988 में शाहरूख खान ने बतौर अभिनेता छोटे पर्दे के धारावाहिक ‘फौजी’ से अपने करियर की शुरूआत की ।
वर्ष 1991 में अपने सपनो को साकार करने के लिये शाहरूख मुंबई आ गये। अजीज मिर्जा ने शाहरूख की प्रतिभा को पहचान कर उन्हें अपने धारावाहिक सर्कस में काम करने का मौका दे दिया। उन्हीं दिनो हेमा मालिनी को अपनी फिल्म ‘दिल आशना है’ के लिये दिव्या भारती के अपोजिट नये चेहरे की तलाश थी। शाहरूख को जब इस बात का पता चला तो वह अपने दोस्तों की मदद से इस फिल्म के लिये स्क्रीन टेस्ट देने के लिये गये और चुन लिये गये।
इस बीच उन्हें फिल्म ‘दीवाना’ में काम करने का अवसर मिला। ऋषि कपूर जैसे मंझे हुये अभिनेता की मौजदूगी में भी शाहरूख ने अपने दमदार अभिनय से दर्शको को अपना दीवाना बना लिया जिसके लिये उन्हें फिल्म फेयर की ओर से उन्हें नये अभिनेता का फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिला।
इस बीच निर्देशक जोड़ी अब्बास-मस्तान की नजर शाहरूख पर पड़ी। उस समय वह अंग्रेजी के नोबल ‘ए किस बिफोर डेथ’ पर एक फिल्म बनाना चाह रहे थे। इस फिल्म में शाहरूख का किरदार ग्रे शेडस लिये हुये थे। शाहरूख ने इसे चुनौती के तौर पर लिया और इसके लिए हामी भर दी। वर्ष 1993 में प्रदर्शित फिल्म ‘बाजीगर’ सुपरहिट साबित हुयी और वह काफी हद तक इंडस्ट्री में पहचान बनाने में कामयाब हो गये ।
वर्ष 1993 में ही शाहरूख को यश चोपड़ा की ‘डर’ में काम करने का अवसर मिला। इस फिल्म में उनके बोलने की शैली ..क.क.क.. किरण की सभी नकल करने लगे। वर्ष 1995 में शाहरूख को यश चोपड़ा की ही फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनियां ले जायेंगे’ में काम करने का अवसर मिला जो उनके सिने कैरियर के लिये मील का पत्थर साबित हुयी। शाहरूख खान के संजीदा अभिनय से फिल्म सुपरहिट साबित हुयी ।
वर्ष 1999 में शाहरूख खान ने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी कदम रख दिया और अभिनेत्री जूही चावला के साथ मिलकर ‘ड्रीम्स अनलिमिटेड’ बैनर की स्थापना की इस बैनर के तहत सबसे पहले शाहरूख खान ने ‘फिर भी दिल है हिंदुस्तानी’ का निर्माण किया। दुर्भाग्य से अच्छी पटकथा और अभिनय के बाद भी फिल्म टिकट खिड़की पर असफल हो गयी। बाद में इसी बैनर तले शाहरूख खान ने अपनी महत्वाकांक्षी फिल्म ‘अशोका’ बनायी लेकिन इसे भी दर्शकों ने बुरी तरह से नकार दिया। हालांकि उनके बैनर तले बनी तीसरी फिल्म ‘चलते चलते’ सुपरहिट साबित हुयी।
वर्ष 2004 में शाहरूख ने ‘रेडचिली इंटरटेनमेंट’ कंपनी का भी निर्माण किया और उसके बैनर तले ‘मैं हूं ना’ का निर्माण किया जो टिकट खिड़की पर सुपरहिट साबित हुयी। बाद मे इसके बैनर तले उन्होंने पहेली, काल, ओम शांति ओम, बिल्लू बार्बर, चेन्नई एक्सप्रेस, हैप्पी न्यू इयर और दिलवाले जैसी कई फिल्मों का भी निर्माण किया।
वर्ष 2007 शाहरूख के कैरियर का महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ जब लंदन के सप्रसिद्ध म्यूजियम ..मैडम तुसाद ..में उनकी मोम की प्रतिमा लगायी गयी। उसी साल शाहरूख ने एक बार फिर छोटे पर्दे की ओर रूख किया और स्टार प्लस के सुप्रसिद्ध शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ के तीसरे सीजन में होस्ट की भूमिका निभाकर दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया।
शाहरूख अपने सिने कैरियर में आठ बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से नवाजे जा चुके हैं। शाहरूख के सिने कैरियर में उनकी जोड़ी अभिनेत्री काजोल के साथ खूब जमी। अपनी मेहनत और लगन के बलबूते शाहरूख अन्य अभिनेताओं से काफी दूर निकल चुके हैं और आज किसी फिल्म में उनका होना ही सफलता की गारंटी माना जाता है। वर्ष 2018 में शाहरूख की फिल्म जीरो प्रदर्शित हुयी जो बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं रही।