नयी दिल्ली, 07 फरवरी । उच्चतम न्यायालय ने बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित बालिका आश्रय गृह यौन उत्पीड़न मामले में नीतीश सरकार को गुरुवार को कड़ी फटकार लगाते हुए इसे दिल्ली स्थानांतरित कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा, “ हद होती है… सरकार कैसे चला रहे हैं? मुख्य सचिव को अदालत में पेश होने का आदेश दिया जायेगा।”
न्यायालय ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार इस तरह का व्यवहार बच्चों के मामले में कर रही है।
न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा कि यह मामला बिहार के मुजफ्फरपुर से दिल्ली के साकेत स्थित विशेष अदालत को स्थानांतरित किया जाता है। इतना ही नहीं, अदालत ने इस मामले की सुनवाई छह महीने के भीतर पूरी करने को भी कहा।
न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा, “बहुत हो गया। हम बिहार के मुख्य सचिव (दीपक कुमार) को आदेश देते हैं कि वह न्यायालय के सामने पेश हों।”
न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा, “ यहां (अदालत कक्ष में) किसी ऐसे व्यक्ति को भेजा जाये, जिसे पता हो कि राज्य में क्या हो रहा है? आप अपने अधिकारियों को इस तरह से पहले से परेशान बच्चों के साथ खिलवाड़ नहीं करने दे सकते। बच्चों को तो बख्श दो…।’
न्यायालय ने दो सप्ताह के भीतर मुजफ्फरपुर की अदालत में मौजूद मामले से संबंधित सभी दस्तावेज दिल्ली के साकेत स्थित बाल यौन अपराध संरक्षण कानून की विशेष अदालत को सौंपने का निर्देश भी दिया।
सीबीआई अधिकारी के तबादले पर कोर्ट का कड़ा रुख :
शीर्ष अदालत के आदेश के बावजूद बिहार में आश्रय गृह मामलों की जांच कर रहे सीबीआई के अधिकारी ए के शर्मा का तबादला किये जाने पर कड़ा रूख अपनाते हुये उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को जांच ब्यूरो के तत्कालीन अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव को व्यक्तिगत रूप से 12 फरवरी को पेश होने का निर्देश दिया।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने शीर्ष अदालत के दो आदेशों के उल्लंघन को गंभीरता से लिया और न्यायालय की अनुमति के बगैर ही जांच ब्यूरो के संयुक्त निदेशक शर्मा का तबादला सीआरपीएफ में किये जाने के मामले में नागरेश्वर राव को अवमानना नोटिस जारी किया।
पीठ ने जांच ब्यूरो के निदेशक ऋषि कुमार शुक्ला को उन अधिकारियों के नाम बताने का निर्देश दिया जो ए के शर्मा का तबादला जांच एजेन्सी से बाहर करने की प्रक्रिया का हिस्सा थे।
शीर्ष अदालत ने अपने पहले के आदेश का जिक्र किया जिसमें सीबीआई से कहा गया था कि शर्मा को बिहार आश्रयगृह मामलों की जांच के दल से हटाया नहीं जाये।
पीठ ने नागेश्वर राव के साथ ही जांच ब्यूरो के उन अधिकारियों को भी 12 फरवरी को पेश होने का निर्देश दिया है जो शर्मा के तबादले की प्रक्रिया का हिस्सा थे।
इसके अलावा, पीठ ने सीबीआई के प्रभारी अभियोजन निदेशक एस. भासु राम को भी उसके आदेश के उल्लंघन के लिये न्यायालय में उपस्थित रहने का निर्देश दिया है।
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में एक गैर सरकारी संगठन द्वारा संचालित आश्रय गृह में अनेक लड़कियों से कथित बलात्कार और उनके यौन उत्पीड़न का मामला सुर्खियों में आने के बाद बिहार पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू की थी। परंतु बाद में शीर्ष अदालत ने इस मामले की जांच केन्द्रीय जांच ब्यूरो को सौंप दी थी।
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