नयी दिल्ली/मास्को, 11 सितंबर । भारत ने स्पष्ट रूप से चीन से पूर्वी लद्दाख में सभी तनाव वाले क्षेत्रों से सैनिकों की व्यापक वापसी सुनिश्चित करने को कहा है जो भविष्य में किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए आवश्यक है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने गुरुवार को रूस के मॉस्को में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक से इतर मुलाकात के दौरान इस आशय की बात कही। लगभग ढाई घंटे तक चली इस बैठक के दौरान लद्दाख क्षेत्र में व्याप्त सीमा विवाद के हल को लेकर विचार-विमर्श हुआ।
सूत्रों के मुताबिक बैठक के दौरान भारतीय पक्ष ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर उपकरणों के साथ चीनी सैनिकों की बड़े पैमाने पर मौजूदगी पर चिंता व्यक्त की। भारत ने साफ तौर पर कहा कि सैनिकों की इतनी बड़ी उपस्थिति 1993 और 1996 के समझौतों के अनुरूप नहीं है और इससे एलएसी पर फ्लैश प्वाइंट बनाए गए।
सूत्रों ने कहा, “ चीनी पक्ष ने इस तैनाती के लिए कोई विश्वसनीय स्पष्टीकरण नहीं दिया है।” उन्होंने कहा कि एलएसी पर तनाव की कई घटनाओं में चीनी सीमावर्ती सैनिकों के उत्तेजक व्यवहार ने द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल के प्रति उपेक्षा दिखाई।
भारत और चीन सीमा पर तनाव कम करने पर सहमत
भारत और चीन सीमा पर जल्द से जल्द तनाव घटाने तथा विश्वास बहाली के उपायों पर तेजी से काम करने पर सहमत हो गये हैं।
विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने मुलाकात के दौरान दोनों देशों के बीच संवाद कायम रखने और सीमा पर जल्द से जल्द तनाव घटाने पर सहमति जतायी।
लगभग ढाई घंटे तक चली इस बैठक के बाद जारी एक संयुक्त बयान में दोनों पक्ष इस बात पर राजी हुए कि मतभेदों को विवाद नहीं बनने देना चाहिए और दोनों देशों को विकसित हो रहे भारत-चीन संबंधों पर नेताओं की आम सहमति से मार्गदर्शन लेना चाहिए।
संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों विदेश मंत्रियों ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के घटनाक्रम और भारत-चीन संबंधों पर एक ‘स्पष्ट और रचनात्मक चर्चा’ की।
दोनों विदेश मंत्रियों ने इस बात पर सहमति जतायी कि सीमावर्ती क्षेत्रों में मौजूदा स्थिति किसी भी पक्ष के हित में नहीं है तथा दोनों पक्षों को चीन-भारत सीमा से संबंधित मामलों में सभी समझौतों और प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए बाध्य हैं। सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाये रखें और ऐसे मामलों से बचें जो विवाद बढ़ा सकते हैं।
दोनों पक्षों ने भारत-चीन सीमा मुद्दों पर विशेष प्रतिनिधि तंत्र के माध्यम से संवाद और संचार जारी रखने पर भी सहमति व्यक्त की