नयी दिल्ली, 21 फरवरी । सार्वजनिक क्षेत्र के 12 बैंकों में पूंजी डालने के बाद भी इन बैंकों की स्थिति सुधरने में कम से कम दो साल लगेंगे। रेटिंग एजेंसी मूडीज ने यह अनुमान लगाया है।
मूडीज का कहना है कि इससे बैंकों में मूल पूंजी की स्थिति तो सुधरेगी, लेकिन उनकी स्थिति में पूरी तरह सुधार अभी दूर है क्योंकि विरासत में उन्हें डूबे कर्ज की समस्या मिली है।
सरकार ने बुधवार को सार्वजनिक क्षेत्र के 12 बैंकों में 48,239 करोड़ रुपये की पूंजी डालने की घोषणा की है। इससे बैंकों को नियामकीय पूंजी की जरूरत को पूरा करने और वृद्धि योजनाओं के वित्तपोषण में मदद मिलेगी।
दिसंबर, 2018 में सरकार ने चालू वित्त वर्ष में बैंकों के पुनर्पूंजीकरण की योजना को 41,000 करोड़ रुपये बढ़ाकर 1.06 लाख करोड़ रुपये कर दिया था। पहले बैंकों में 65,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालने का लक्ष्य था।
रेटिंग एजेंसी मूडीज ने बृहस्पतिवार को कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए पूंजी समर्थन मूल योजना से बढ़ाने की जरूरत इसलिए पड़ी है क्योंकि बैंकों की पूंजी की कमी शुरुआती अनुमान से अधिक रही है।
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