नयी दिल्ली 08 दिसम्बर ।शुक्रवार को महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों के मुद्दे पर आमने-सामने आये विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच सोमवार को भी लोकसभा में तीखी नोक-झोक की संभावना है क्योंकि सरकार बहुचर्चित और विवादास्पद ‘नागरिकता संशोधन विधेयक 2019’ को लोकसभा में पेश करने जा रही है।
सूत्रों के अनुसार केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस विधेयक को प्रश्न काल और भोजनावकाश के बीच सदन में पेश कर सकते हैं।
विधेयक में बंगलादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में धर्म के आधार पर प्रताड़ना के कारण देश में शरण लेने वाले गैर मुस्लिमों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है।
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस के साथ साथ असम में अखिल असम छात्र संघ और पूर्वोत्तर राज्यों के अनेक दल तथा सामाजिक संगठन भी विधेयक का कड़ा विरोध कर रहे हैं। वर्ष 1985 में हुए असम समझौते में अवैध विदेशियों की पहचान के लिए 24 मार्च 1971 की तारीख तय की गयी थी।
विधेयक के विरोध के बीच केन्द्र सरकार ने बुधवार को कहा था कि इस विधेयक में सभी संबंधित पक्षों के साथ साथ ‘भारत के हित’ का भी ख्याल रखा गया है। मंत्रिमंडल द्वारा विधेयक को मंजूरी दिये जाने के बाद सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संवाददाताओं से कहा था, “ इसमें सभी के तथा ‘भारत के हितों ’ का ख्याल रखा गया है। ”
संसद में सीएबी का जोरदार विरोध करेगी कांग्रेस
इधर कांग्रेस संसद में नागरिकता (संशोधन) विधेयक का पुरजोर विरोध करेगी क्योंकि यह विधेयक देश के संविधान और पार्टी के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के खिलाफ है।
लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने रविवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के 10 जनपथ आवास पर कांग्रेस संसदीय रणनीतिक समूह की बैठक के बाद यह बयान दिया।
चौधरी के अलावा राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, लोकसभा में मुख्य सचेतक कोडिकुन्नील सुरेश और सचेतक गौरव गोगोई सहित अन्य ने बैठक में हिस्सा लिया।
विधेयक में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक अत्याचार का सामना करने वाले गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है ।