नयी दिल्ली 22 जुलाई । देश के चारों महानगरों को जोड़ने वाली छह रेलवे लाइनों के 2020 तक सेमी हाईस्पीड ट्रेन के लिए संचालन के अनुकूल बन जाने की संभावना है। इसी के साथ समतल भूभाग पर गाड़ियों की गति बढ़ाने के लिए अन्य सभी रेल लाइनों को कम से कम 130 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार पर चलने के अनुकूल बनाया जाएगा।
रेलवे बोर्ड ने विगत डेढ़ साल से मिशन रफ्तार के तहत कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये हैं जिन पर तेजी से काम हो रहा है। रेलवे बोर्ड ने नई बनने वाली सभी रेलवे लाइनों पर लेवल क्रासिंग नहीं बनाने का फैसला किया है। अगर आवश्यकता होगी तो उस बारे में कोई भी फैसला रेलवे बोर्ड के स्तर पर लिया जाएगा।
बोर्ड के एक परिपत्र में सभी ज़ोनल महाप्रबंधकों से कहा गया है, “पर्वतीय क्षेत्रों को छोड़कर नये सेक्शनों पर गाड़ियों की गति 160 किलोमीटर प्रतिघंटा सुनिश्चित करने के लिए लाइन में कहीं भी एक डिग्री से अधिक का घुमाव नहीं होना चाहिए।”
मिशन रफ्तार की नीति के अनुसार ग्रांड कॉर्ड की चार लाइनों – दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-कोलकाता, कोलकाता-चेन्नई और चेन्नई-मुंबई तथा उसकी दो विकर्ण लाइनें -दिल्ली-चेन्नई और कोलकाता-मुंबई मार्ग को 160 किलोमीटर की गति से गाड़ियों के संचालन के अनुरूप उन्नत करने तथा अन्य सभी गैर पर्वतीय लाइनों को 130 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति से गाड़ियों के परिचालन के अनुरूप बनाने का निर्णय लिया गया है। इस बारे में समयसीमा पूरी कार्ययोजना लगभग तैयार हो चुकी है और उसका कार्यान्वयन कई स्थानों पर शुरू होने वाला है।
बोर्ड ने इसके अलावा ग्रांड कॉर्ड और उसकी दो विकर्ण लाइनों पर सभी मालगाड़ियों की गति 75 किलोमीटर प्रतिघंटा से बढ़ाकर 100 किलोमीटर तक करने का निर्णय लिया है। सूत्रों का कहना है कि मालगाड़ियों की गति बढ़ने से ट्रैक जल्दी खाली होंगे और यात्री गाड़ियों की गति बनाये रखने या बढ़ाने में मदद मिलेगी। इससे उनकी समयबद्धता भी सुनिश्चित की जा सकेगी।
मिशन रफ्तार की नीति के अनुसार ग्रांड कॉर्ड और उसकी दो विकर्ण लाइनों पर मालगाड़ियों की गति बढ़ाने के लिए पॉवर के लिए 356 अतिरिक्त इंजनों की दरकार है और राजधानी आदि प्रीमियम गाड़ियों की गति बढ़ाने के लिए 131 अतिरक्त इंजनों की ज़रूरत है। इसके साथ ही इन मार्गों पर चलने वाली पैसेंजर गाड़ियों के रैक को डेमू/मेमू रैक से बदला जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार ग्रांड कॉर्ड और उसकी दो विकर्ण लाइनों पर वजन में गाड़ियों के हल्के कोच वाले रैक तथा नये ट्रेनसेट लाने की भी सिफारिश की गयी है। उसी के अनुरूप चेन्नई में बने रहे नये ट्रेन सेट ट्रेन-18 और ट्रेन-20 को इन्हीं मार्गों पर चलाने की योजना है। सूत्रों के मुताबिक नये इंजनाें की खरीद की योजना बनायी गयी है। बिहार के मढ़ोहरा एवं मधेपुरा के कारखाने में बनने वाले उच्चक्षमता वाले इंजनों को इसके लिए उपयुक्त माना जा रहा है।
सूत्राें ने बताया कि ग्रांड कॉर्ड और उसकी दो विकर्ण लाइनों पर लाइनों का संरक्षा कार्य बहुत द्रुतगति से चल रहा है और इसी साल पटरियों को पूरी तरह से बदल दिये जाने की संभावना है। नयी पटरियों, सुरक्षित घुमाव और बड़े हिस्से में तीसरी एवं चौथी लाइनों के बिछाने के साथ ही गाड़ियों की गति बढ़ाना संभव हो जाएगा। पूर्वी एवं पश्चिमी मालवहन गलियारे (डीएफसी) के भी 2020 के अंत तक चालू होने की उम्मीद है। इससे भारतीय रेलवे की क्षमता अगले 40-50 साल की ज़रूरत के हिसाब से बढ़ जाएगी और गति के मामले में भी भारतीय रेलवे का सेमीहाईस्पीड युग आरंभ होगा।attacknews.in