मथुरा 25 अक्टूबर । उत्तर प्रदेश की कान्हानगरी मथुरा में लंकेश भक्त मंडल ने रविवार को यमुना तट पर स्थित शिव मन्दिर में घंटे, घड़ियाल, शंख ध्वनि एवं वैदिक मंत्रो के बीचय विधि विधान से रावण की पूजा की। इस अवसर पर मथुरा में लंकेश का विशाल भव्य मन्दिर बनवाने की भी घोषणा की गई।
रावण की भूमिका निभा रहे कुलदीप अवस्थी एवं अन्य द्वारा सबसे पहले भगवान शिव की पूजा अर्चना की गई और उन लोगों को सदबुद्धि देने की प्रार्थना की गई जो हर साल रावण के पुतले का दहन करते हैं और खुश होते हैं। विधिविधान से कई घंटे तक चले पूजन के बाद भावमय वातावरण में रावण की आरती की गई और सबसे अंत में उपस्थित जन समुदाय में प्रसाद वितरित किया गया । प्रसाद वितरण के दौरान बीच बीच में ‘जय लंकेश’ के गगनभेदी नारे भी लगाए गए।
इस अवसर पर लंकेश भक्त मंडल के अध्यक्ष ओमवीर सारस्वत ने कहा कि पुतला दहन की परंपरा को शास्त्र और संविधान अनुमति नहीं देता। धार्मिक ग्रंथों में पुतला दहन का कोई प्रसंग नहीं है। वैसे भी किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद बार-बार उसका पुतला दहन की कोई परंपरा नही है। कुछ लोगों के द्वारा प्रतिवर्ष पुतला दहन की जो परंपरा चलाई जा रही है वह एक कुप्रथा है इसे सभी को मिलकर दूर करना चाहिए। रावण के पुतला दहन से न केवल पर्यावरण प्रदूषित होता है बल्कि आनेवाली पीढ़ी को गलत संदेश दिया जाता है।
उनका कहना था कि रावण प्रकाण्ड विद्वान और संस्कारी था। उसकी अच्छाइयों से सीख लेनी चाहिए तथा उनकी तपस्या उनकी शक्ति से प्रेरणा लेनी चाहिए। रामेश्वरम मे हिन्द महासागर पर सेतु का निर्माण शुरू होने के पहले उसने सीता के साथ राम से पूजन ही नही कराया था बल्कि स्वयं पर विजय पाने का आशीर्वाद भी श्रीराम को दिया था। चूंकि सनातन धर्म में विवाहित व्यक्ति द्वारा किसी शुभ कार्य के पहले सपत्नीक ही पूजन किया जाता है इसलिए रावण लंका से सीता को अपने साथ ले गया था तथा पूजन कराने के बाद पुनः अशोक वाटिका में सीता को छोड़ दिया था। वह कभी भी सीता से मिलने अकेले नही गया। ऐसे उ़़च्च चरित्र के संस्कारी महामानव के पुतले का हर साल दहन नई पीढ़ी में कुसंस्कार पैदा करना है।
मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम रावण की विद्वता से प्रभावित थे तभी तो रावण के जीवन की अंतिम यात्रा के समय उन्होंने लक्ष्मण को रावण से शिक्षा लेने के लिए भेजा था।
कार्यक्रम के अन्त में उपस्थित समुदाय ने शपथ ली कि वह रावण का पुतला दहन न करने के लिए जनजागरण करेंगे।इस अवसर पर लंकेश मन्दिर बनाने की घोषणा का करतलध्वनि से स्वागत किया गया।