मथुरा 12 अक्टूबर । उत्तर प्रदेश में मथुरा की एक अदालत ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की जमीन के एक भाग में बनी शाही मस्जिद को हटाने संबंधी मामले में वादकारियों से 16 अक्टूबर को साक्ष्य प्रस्तुत करने को कहा है।
वादकारियों के अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने बताया कि जिला न्यायाधीश साधना रानी ठाकुर ने उनसे निचली अदालत में प्रस्तुत किये गए साक्ष्य आदि को 16 अक्टूबर को प्रस्तुत करने को कहा है।
वादी रंजना अग्निहोत्री एवं अन्य के अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने बताया कि कोड आफ सिविल प्रोसीजर 1908 की धारा 96 के अन्तर्गत दायर अपील में कहा गया है कि निचली अदालत द्वारा दिया गया निर्णय त्रुटिपूर्ण, कानून एवं तथ्यों के विपरीत है। निर्णय भारतीय संविधान की आर्टिकल 25 में दिए ’’राइट टु रिलीजन’’ के विपरीत इसलिए है कि निचली अदालत ने कहा है कि हर भक्त को इस प्रकार का वाद दायर करने की इजाजत नही दी जा सकती।
अपील में 20 जुलाई 1973, 7 नवम्बर 1974 के निर्णय और सिविल जज द्वारा सिविल सूट नम्बर 43 सन 1967 पारित किये गए निर्णय को वादकारियों के पक्ष में निरस्त करने , वादकारियों पर लागू न होने, वादकारियों के पक्ष में मैन्डेटरी इन्जंक्शन देने, उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड लखनऊ के चेयरमैन, शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी आफ मैनेजमेन्ट ट्रस्ट को श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के एक भाग में बने निर्माण को हटाने व भूभाग को श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट को वापस करने, इस भू भाग पर सुन्नी वक्फ बोर्ड, शाही मस्जिद ईदगाह के अधिकारियों , कर्मचारियों, समर्थकों और उनके निर्देश पर काम करनेवाले हर व्यक्ति के प्रवेश पर रोक लगाने की मांग की गई है।