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मसूद अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने की मुहीम फिर तेज हुई, चीन के ऊपर अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन का दबाव, 15 में से 14 देशों का समर्थन attacknews.in

वाशिंगटन/ नईदिल्ली , 16 मार्च । ऐसा माना जा रहा है कि अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन अब चीन के साथ गहन ‘‘सद्भावना’’ वार्ता कर रहे हैं, ताकि आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद समिति में वैश्विक आतंकवादी घोषित करने को लेकर कोई ‘‘समझौता’’ किया जा सके।

इस मामले के जानकार लोगों के अनुसार अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने संबंधी प्रस्ताव की भाषा को लेकर भी चीन से बातचीत कर रहे हैं।

चीन ने अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित किए जाने के संबंध में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति में पेश प्रस्ताव को बुधवार को अपने वीटो के अधिकार के माध्यम से चौथी बार बाधित कर दिया था। इस प्रस्ताव को अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन ने पेश किया था।

इन तीनों देशों ने जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को हुए जैश-ए-मोहम्मद के हमले के कारण भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने के कुछ दिनों बाद प्रस्ताव पेश किया था। इस हमले में सीआरपीएस के 40 जवान शहीद हो गए थे।

मामले के जानकार लोगों के अनुसार, यदि इस प्रयास के बावजूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित नहीं किया जाता तो तीन स्थायी सदस्य इस मुद्दे पर खुली बहस के लिए प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र की सबसे शक्तिशाली शाखा में पेश करने की योजना बना रहे हैं।

भारत ने चीन के इस रुख के प्रति निराशा जताई है और प्रस्ताव पेश करने वाले देशों ने चेताया है कि वे अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए ‘‘अन्य कदमों’’ पर विचार करेंगे।

हालांकि सुरक्षा परिषद समिति की आंतरिक वार्ताएं गोपनीय रखी जाती हैं लेकिन इस बार आतंकवादी को बचाने के चीन के अनुचित दृष्टिकोण से हताश परिषद के कई सदस्यों ने अपनी पहचान गोपनीय रखते हुए मीडिया को बताया कि चीन किस प्रकार नकारात्मक भूमिका निभा रहा है।

ऐसा माना जा रहा है कि प्रस्ताव के मूल प्रायोजक पिछले 50 घंटों से चीन के साथ ‘‘सद्भावना’’ वार्ता कर रहे हैं जिसे मामले के जानकार कई लोगों ने ‘‘समझौता’’ करार दिया है। इसका संभवत: यह मतलब है कि अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद समिति में वैश्विक आतंकवादी तो घोषित किया जाएगा लेकिन उसे आतंकवादी घोषित करते समय इस्तेमाल की जाने वाली भाषा ऐसी होगी, जो चीन के लिए स्वीकार्य हो।

माना जा रहा है कि चीन ने अजहर को आतंकवादी घोषित किए जाने की भाषा में ‘‘कुछ बदलावों’’ का सुझाव दिया है और अमेरिका, ब्रिटेन तथा फ्रांस इन सुझावों पर विचार कर रहे हैं।

तीनों देशों ने संकेत दिया है कि यदि प्रस्ताव का मूल भाव नहीं बदलता और अंतत: अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया जाता है तो वे भाषा में बदलाव करने के चीन के अनुरोध को मानने के इच्छुक हैं।

लेकिन अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और सुरक्षा परिषद के अन्य सदस्य अतीत के विपरीत, इस बार चीन के साथ वार्ता का निष्कर्ष निकलने तक बहुत अधिक देर इंतजार करने के इच्छुक नहीं हैं।

ऐसा समझा जाता है कि चीन को इन देशों ने सूचित किया है कि वे अन्य विकल्पों पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। वे खासकर खुली बहस पर विचार कर रहे हैं जिसके बाद प्रस्ताव पर मतदान होगा।

बीजिंग को सूचित किया गया है कि यह कुछ महीनों, कुछ सप्ताह में नहीं, बल्कि कुछ दिनों में होगा।

साथ ही, इन देशों के अधिकारियों का मानना है कि चीन पहले की तुलना में इस बार अधिक सहयोग कर रहा है। इस प्रस्ताव पर चीन का सहयोग मिलने को बड़ी सफलता माना जाएगा। चीन, अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के बीच बातचीत होना एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है

भारत ने कहा: अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव अटका है ख़ारिज नहीं हुआ:

भारत ने पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठन जैश ए मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति के दायरे में लाये जाने को लेकर भरोसा व्यक्त किया है और कहा है कि चीन की आपत्ति के कारण यह प्रस्ताव अटका अवश्य है लेकिन खारिज नहीं हुआ है।

सूत्रों ने शनिवार को यहां बताया कि भारत को चीन के रवैये से निराशा हुई है। पर सुरक्षा परिषद में मसूद अजहर को प्रतिबंधित करने के प्रस्ताव का अटकने का यह मतलब नहीं है कि प्रस्ताव खारिज हो गया है। भारत प्रतिबंध संबंधी 1267 समिति के सदस्यों के साथ मिल कर अब भी प्रयासरत है। यह अपने आप में बड़ी बात है कि सुरक्षा परिषद के आधे सदस्य मसूद पर प्रतिबंध के प्रस्ताव का सह प्रायोजक बने।

उन्होंने कहा कि प्रस्ताव को सुरक्षा परिषद के 15 में से 14 सदस्य देशों का समर्थन हासिल हुअा और भारत को पूरी उम्मीद है कि जैश के सरगना को अवश्य प्रतिबंधित किया जाएगा भले ही इसमें कुछ और समय लगे।

सूत्रों ने कहा कि भारत इस मामले में धैर्य का परिचय देगा और सावधानी पूर्वक प्रयास करेगा कि मसूद अजहर 1267 सूची में सूचीबद्ध हो। भारत को अंतरराष्ट्रीय समुदाय का दृढ़ समर्थन हासिल है। उन्होंने कहा कि चीन को पाकिस्तान के साथ कुछ मुद्दों को सुलझाना है। सूत्रों का मानना है कि चीन में भी आतंकवाद का बड़ा खतरा है और उसे पता है कि पाकिस्तान के अंदर कई संगठन चीन के खिलाफ काम कर रहे हैं।

इस बारे में अन्य देशों द्वारा चीन के साथ भारत की ओर से बात किये जाने संबंधी एक सवाल पर सूत्रों ने कहा कि भारत को चीन से बात करने के लिए तीसरे देश की जरूरत नहीं है। विदेश सचिव ने नई दिल्ली में चीन के राजदूत से और बीजिंग में भारत के राजदूत ने चीनी विदेश विभाग के अधिकारियों से तथा संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि ने चीन के स्थायी प्रतिनिधि से बात की है और यह सतत संवाद बना हुआ है।

उन्होंने कहा कि भारत के लिए आतंकवाद एक ऐसा विषय है जिस पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। भारत ने पुलवामा हमले के बाद सुरक्षा परिषद के पांचों स्थायी सदस्यों सहित तमाम देशों को इस बारे में विस्तृत जानकारियाें से अवगत कराया जिसकी सभी ने सराहना की है।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सरकार एक ऐसे विषय पर बचाव करने का प्रयास कर रही है जिसका बचाव किया ही नहीं जा सकता है।

सूत्रों का कहना है कि विदेश सचिव विजय गोखले की हाल में संपन्न अमेरिका की यात्रा के दौरान भी भारतीय वायुसेना की नियंत्रण रेखा पार की गयी कार्रवाई को लेकर बात हुई और सभी ने भारत के आत्मरक्षा के अधिकार को मान्यता दी और भारत द्वारा दिखाये गये संयम की सराहना की है।

सूत्रों के अनुसार अमेरिका में भारत ने अमेरिकी हथियारों का उसके विरुद्ध प्रयाेग का मसला भी उठाया। एफ-16 विमानों एवं एमराम मिसाइलों के प्रयोग को लेकर भी चिंता जाहिर की है। अमेरिका ने कहा कि पाकिस्तान को ये हथियार उस समय दिये गये थे जब अमेरिका पाकिस्तान एवं भारत से संबंध अब की तुलना में अलग थे। पर अमेरिकी प्रशासन ने इस बारे में समुचित कदम उठाने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका में पाकिस्तान द्वारा भारत पर लगाये गये आरोपों को किसी ने भी नहीं स्वीकार किया है।

सूत्रों ने कहा कि भारत धैर्य का परिचय देगा और उसे विश्वास है कि धैर्य का सकारात्मक परिणाम आएगा। इसमें कुछ और माह का समय लग सकता है।

भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति के साथ काम करना जारी रखेगा:

उधर भारत आतंकी गुट जैश-ए-मुहम्मद के मुखिया मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादियों की सूची में डालने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की प्रतिबंध समिति के साथ काम करना जारी रखेगा और संयम बनाए रखेगा।

आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी।

चीन द्वारा जैश-ए-मोहम्मद के सरगना को प्रतिबंधित करने के प्रस्ताव को एक बार फिर अपने वीटो अधिकार के जरिये नाकाम करने के कुछ दिनों बाद सूत्रों ने यह बात कही है।

उन्होंने यह भी कहा कि पिछले कुछ दिनों में आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान की ओर से उठाए गए कदम वास्तव में दिखावटी हैं।

आधिकारिक सूत्रों ने कहा, ‘‘ जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की दिशा में भारत यूएनएससी की प्रतिबंध समिति के साथ काम करना जारी रखेगा।’’

सूत्रों ने कहा कि भारत का मानना है कि ‘‘ आतंकवाद चीन के लिए एक प्रमुख मुद्दा है। उन्हें पता है कि पाकिस्तान में कई आतंकवादी समूह सक्रिय हैं।’’

चीन के अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने में बाधा डालने पर सूत्रों ने कहा कि हम जितना भी समय लगे संयम बनाए रखेंगे।

अजहर मुद्दे पर चीन के अड़ंगे के बारे में सरकारी सूत्रों ने कहा कि ऐसे कई मुद्दे हैं जिन्हें चीन को पाकिस्तान के साथ सुलझाने की जरूरत है।

चीन ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान में सक्रिय ‘आतंकवादी संगठन’ के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के प्रस्ताव को चौथी बार तकनीकी रोक के जरिये खारिज कर दिया था।

भारत ने चीन के इस कदम को ‘‘निराशाजनक’’ करार दिया था।

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